शिक्षक तथा छात्राध्यापक का विभिन्न लेखो जैसे समाचार-पत्रों, मैगजीन लेख विभिन्न विषयों के चयन में योगदान विस्तार से समझाइए ।
शिक्षक तथा छात्राध्यापक का विभिन्न लेखों जैसे समाचार-पत्रों, मैगजीन लेख विभिन्न विषयों के चयन में योगदान विस्तार से समझाइए ।
उत्तर— समाचार पत्र की तरह आकाशवाणी के समाचार पठनीय नहीं, केवल सुने जाते हैं। समाचार लेखन के दौरान यह बात स्मरण रखनी है। सभी समाचारों को भाषा की दृष्टि से पढ़कर भारी और कठिन शब्दों के स्थान पर सरल शब्द लगाये जाने चाहिए। ऐसे समाचार तैयार करते समय समाचारों की संक्षिप्तता को बनाये रखने को ध्यान में रखा जाना चाहिए। समाचार सम्पादक अपने समाचार बुलेटिन को ध्यान में रखते हुए, आवश्यक जानकारी को संक्षिप्त करते हैं। किसी सामान्य समाचार को 50 शब्दों तथा उससे महत्त्वपूर्ण समाचार को 100 शब्दों में तथा अति आवश्यक और महत्त्वपूर्ण समाचार को 200 शब्दों से अधिक नहीं करना चाहिए।
सफल सम्पादक वही है जिसका समाचार बुलेटिन पूरी कसावट लिये हो और आसानी से समझ आ सके।
समाचारों के चयन एवं लेखन में जिन बातों को ध्यान में रखना चाहिए, उनके बारे में पार्थसारथी समिति ने निम्नांकित संकेत दिये हैं—
(1) घटना प्रधान खबरें दें। सभी विचार समाचार नहीं होते।
(2) खबरों को सन्तुलित करके देना चाहिए। विशाल श्रोता वर्ग को ध्यान में रखते हुए भाषा सरल होनी चाहिए।
(3) विकास सम्बन्धी समाचार देने में लोगों और स्थानों के सा संगठनों के भी नाम दें। इससे लोगों को पहल करने का प्रोत्साहन मिलेगा।
(4) सरल शब्दों का प्रयोग करें। सीधी बात कहें । बड़े और भारी-भरकम शब्दों का प्रयोग न करें।
(5) ऐसी खबर न दें जिससे किसी एक व्यक्ति का हित साधन होता है। यही बात किसी एक प्रतिष्ठान या उत्पाद पर भी लागू होती है, किन्तु समाचार की दृष्टि से यदि ऐसा करना आवश्यक हो तो यह प्रतिबन्ध लागू नहीं होता। प्रतिबन्ध का मुख्य आशय यह है कि समाचार के छद्मवेश में विज्ञापन नहीं जाने पाएँ।
(6) श्रोता वर्ग का यह अधिकार है कि विभिन्न प्रकार के समाचार सुनें । उसके इस अधिकार का सम्मान करें।
(7) मान्यता प्राप्त माध्यमों से ही प्रसारण के लिए समाचारों का चयन करें। अगर किसी अन्य स्रोत से समाचार लें तो उसकी प्रामाणिकता और संत्यता को पूरी तरह परख लें।
(8) यदि किसी समाचार के प्रसारण के लिए कोई समय निश्चित है (इसे ‘एम्बार्गो’ कहते हैं) तो उससे पहले वह समाचार प्रसारित न करें।
(9) मौसम सम्बन्धी भविष्यवाणी मौसम विभाग अथवा अन्य प्रामाणिक स्रोतों से ही लें।
(10) समाचारों में प्रचारात्मक तत्त्व प्रवेश न करने पाये।
(11) अगर कोई अन्तर्राज्यीय विवाद है तो जहाँ तक व्यावहारिक हो, सभी सम्बद्ध पक्षों के विचार प्रसारित करें।
(12) संक्षिप्त नामों का उस समय तक प्रयोग न करें, जब तक वे भली-भाँति समझ न लिये जाएँ
उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए शिक्षक तथा छात्राध्यापक को विभिन्न लेखों जैसे- समाचार पत्र, लेख, मैगजीन आदि का चयन करना चाहिये।
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