शिक्षा की कोई दो परिभाषाएँ दीजिए व उनके निहितार्थ समझाइये ।
शिक्षा की कोई दो परिभाषाएँ दीजिए व उनके निहितार्थ समझाइये ।
उत्तर— शिक्षा एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया है जो शैशवावस्था से मृत्युपर्यन्त चलती है। इस प्रक्रिया में व्यक्ति में सर्वमान्य विचार स्वाभाविक रूप से बाहर निकाले जाते हैं। साथ ही शिक्षा व्यक्ति को उसके वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करने में भी सहायता प्रदान करती है। शिक्षा की दो परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं—
(1) सुकरात के अनुसार, “शिक्षा का अर्थ है— संसार के उन सर्वमान्य विचारों को प्रकाश में लाना जो कि प्रत्येक मानव के मस्तिष्क में स्वभावतः निहित होते हैं । “
(2) बॉसिंग के अनुसार, “शिक्षा का कार्य व्यक्ति वातावरण के साथ उस सीमा का अनुकूलन करना है जिससे व्यक्ति तथा समाज दोनों के लिए स्थायी संतोष प्राप्त हो सके।”
शिक्षा के निहितार्थ– इस प्रकार विद्वानों की विभिन्न परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि वे शिक्षा का अर्थ व्यक्ति के वैयक्तिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक तथा आध्यात्मिक विकास से लगाते हैं। इसलिए शिक्षा उसकी विकृतियाँ दूर कर उसे संस्कारित करती है। शिक्षा व्यक्ति के दुर्गुण दूर कर उसे पवित्र तथा निर्माण बनाती है। शिक्षा के माध्यम से मनुष्य को सामर्थ्यवान, सम्पन्न तथा सुसभ्य बनाया जा सकता है। शिक्षा व्यक्ति की सृजनात्मक एवं रचनात्मक शक्तियों को विकसित करती है । छात्रों का सर्वांगीण विकास करना ही शिक्षा है।
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