आत्मकथा के अर्थ एवं परिभाषा को समझाइए।

आत्मकथा के अर्थ एवं परिभाषा को समझाइए। 

उत्तर— आत्मकथा का अर्थ एवं परिभाषा— ‘आत्मकथा’ दो शब्द आत्म कथा के मेल से बना है जिसका अर्थ है-अपनी कथा अर्थात् कहानी। आत्मकथा में जीये हुए जीवन का, भोगे हुए क्षणों का, झेले हुए सुख-दुःख का, सच्चा लेखा-जोखा आत्मकथा लेखक अपने समग्र जीवन के पुनरीक्षण के रूप में प्रस्तुत करता है। आत्मकथा स्वयं लिखी जाती है और जीवनी अन्य लेखक द्वारा । जीवनी से आत्मकथा अधिक प्रभावोत्पादक रोचक और सरल होती है। श्री देशराज भाटी का कथन है- आत्मकथाकार का यह कर्त्तव्य है कि आत्मश्लाघा के चक्कर में पड़कर आत्मकथा को अपने गुणों से आपूरित न कर दे और न ही वह आत्मप्रकाश में शील संकोच दिखाए। उसे बड़े ही शुद्ध हृदय से अपने विषय में सब कुछ साफ-साफ कह देना चाहिए ।

(i) लॉगफैलो के अनुसार—आत्मकथा भोगा हुआ अनुभव है।
(ii) स्टीवेन्सन के अनुसार—आत्मकथा में लेखक के जीवन का क्रमबद्ध वर्णन रहता है जिसमें, अन्तरावलोकन पर अधिक बल दिया जाता है। लेखक अपने जीवन का जो वैयक्तिक अध्ययन प्रस्तुत करता है, उसका अपना आकर्षण और महत्त्व होता है।
(iii) सिंहनाथ पाण्डेय—आत्मकथा लेखक के द्वारा लेखक के अपने बीते हुए जीवन का सिंहावलोकन करने तथा व्यापक परिवेश में अपने जीवन के महत्त्व को प्रदर्शित करने के समर्थ नहीं हो पाता है।
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