उपचारात्मक विधि को परिभाषित कीजिए। इसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए ।

उपचारात्मक विधि को परिभाषित कीजिए। इसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए ।

उत्तर— उपचारात्मक विधि (Clinical Method)– इस विधि में अनेक विधियों को सम्मिलित किया जाता है क्योंकि इस विधि में व्यक्ति की विभिन्न समस्याओं को जानने हेतु उनका शारीरिक परीक्षण, मानसिक परीक्षण, साक्षात्कार आदि किया जाता है तथा समस्या के कारणों का पता लगाया जाता है और अन्त में चिकित्सा एवं मनोवैज्ञानिक विधियों के माध्यम से उसके यथा कारणों को दूर किया जाता है। चूँकि इस विधि में निदान एवं उपचार दोनों शामिल है। अत: इसे उपचारात्मक विधि कहते हैं।
गुण (Merits)– इस विधि के गुण निम्न हैं—
(1) इस विधि के द्वारा असामान्य बालकों (तोतले, हकले) के व्यवहार को परिमार्जित करने में विशेष सहायता मिलती है।
(2) इस विधि के द्वारा चिंता, भय और कुसमायोजन के कारणों का पता लगाकर उसका उपचार करने में सहायता मिलती है।
(3) मानसिक एवं व्यावहारिक दृष्टि से व्यक्तियों के असामान्य व्यवहार के कारणों को जानने और उन्हें दूर करने की अति उत्तम विधि है।
दोष (Demerits)— इस विधि के निम्न दोष हैं—
(1) व्यक्ति की समस्याओं के कारणों का पता लगाना और दूर करना एक अत्यन्त कठिन कार्य है, यह कार्य योग्य एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा ही सम्भव होता है जो मिलना कठिन है।
(2) यह विधि समय, श्रम तथा धन की दृष्टि से अत्यन्त व्यय साध्य है।
(3) इस विधि का प्रयोग कुशल मनोवैज्ञानिक ही कर सकते हैं।
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