कहानी के विभिन्न तत्त्व क्या हैं ?

कहानी के विभिन्न तत्त्व क्या हैं ? 

उत्तर— कहानी के तत्त्व–कहानी के मुख्य तत्त्व निम्न हैं—
(1) कथानक—कहानी के अंदर जो कहानी चलती है उसे कथानक कहते हैं । यह कथानक किसी एक या कुछ प्रसंगों पर आधारित होता है। उसमें किसी एक घटना का चित्रण अथवा किसी प्रसंग विशेष में किसी पात्र की मनोदशा का चित्रण हो सकता है।
(2) पात्र—पात्र कहानी के अंदर का वह तत्त्व है जो कथानक को आगे बढ़ाता है अथवा घटना, प्रसंग विशेष को अलग-अलग मनोभावों की रक्षा देता है। प्रायः कहानी से पात्रों की संख्या बहुत अधिक नहीं होती ।
(3) भाषा शैली—प्रत्येक कहानी का रचना विधान अलग होता है जो उसके उद्देश्य, कथानक, देशकाल, वातावरण आदि द्वारा निर्धारित होते हैं। कहानीकार अपनी रुचि के अनुसार और कहानी के मर्म और पात्रगत विशेषताओं के आधार पर भाषा के स्वरूप का निर्धारण करता है। उदाहरण के लिए ग्रामीण पृष्ठभूमि से सम्बन्ध रखने वाले पात्रों की भाषा में वहाँ की ग्रामीण भाषा अथवा स्थानीयता का पुट होगा जो पात्रों को स्वाभाविकता प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त स्वयं कहानीकार की भाषायी रुचि एवं उसके भाषायी वैशिष्ट्य का प्रभाव कहानी की भाषा पर पड़ता है।
(4) संवाद अथवा कथोपकथन—कहानी के पात्र आपस में बातचीत या संवाद करते हैं जिससे पात्रों की विशिष्टताएँ और कहानी का घटनाक्रम तय होता है। ये संवाद कहानी में रोचकता और सरसता का प्रवाह करते । पात्र अपनी विशिष्टताओं के अनुरूप संवाद बोलते हैं । कहानी में बहुत लम्बे संवाद की जगह छोटे संवाद होते हैं जो पाठक के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं।
(5) उद्देश्य—कहानीकार के मानस में अलग-अलग उद्देश्य होते हैं जिन्हें लेकर वह कहानी बुनता है लेकिन फिर भी कहानी का प्रमुख उद्देश्य होता है— कलात्मक ढंग से जीवन की व्याख्या करना । कहानीकार किसी घटना के प्रसंग को लेकर किसी भाव या विचार का सम्प्रेषण कर समस्या की ओर पाठक का ध्यान आकर्षित करता है और सामाजिक तथा नैतिक मूल्यों की स्थापना करता है। विशुद्ध स्वस्थ मनोरंजन के लिए भी कहानियाँ लिखी जाती हैं।
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