गैस्टाल्टवाद के अधिगम सिद्धान्त का कीजिए ।

गैस्टाल्टवाद के अधिगम सिद्धान्त का कीजिए ।

प्रश्न – गैस्टाल्टवाद के अधिगम सिद्धान्त का कीजिए ।

उत्तर– गैस्टाल्टवाद का अधिगम सिद्धान्त- गेस्टाल्ट सिद्धान्त ने अधिगम को बहुत प्रभावित किया है। गेस्टाल्ट शब्द से किसी वस्तु या अनुभव में निहित समग्रता का पता चलता है। इसके प्रमुख सिद्धान्त इस प्रकार हैं –
 (1) मनोवैज्ञानिक – क्षेत्र कोफका ने सबसे पहले व्यवहार के सामान्य क्षेत्र सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। कोफका ने बताया कि व्यक्ति ही मनोवैज्ञानिक अनुभव का गत्यात्मक क्षेत्र है और उसका पर्यावरण ही व्यवहार का निर्धारक है। यह सिद्धान्त को समझने में सहायता करता है ।
(2) शारीरिक समग्राकृति- इसमें वास्तविकता भौतिक या शारीरिक मानते हैं । यह नाड़ी संस्थान व उसके वातावरण की अन्तःक्रिया से निर्मित होती है। दूसरी वास्तविकता दृश्य वस्तु का अनुभव है। इन दोनों प्रकार की वास्तविकताओं में जिस सिद्धान्त से सम्बन्ध स्थापित होता है वह गेस्टाल्ट सिद्धान्त से समग्रकृतिवाद के नाम से जानते हैं । मनोविज्ञान का सम्पूर्ण क्षेत्र इस सिद्धान्त में सम्मिलित है ।
(3) संगठन के तत्व- किसी इकाई या वस्तु को संगठित रूप से देखने की एकता स्थापित करने में दिमाग गत्यात्मक रूप से विभिन्न तथ्यों का असमानता व समानता के आधार पर पृथक्कीकरण व संयुक्तीकरण का संगठन प्रक्रिया सम्पन्न करता है। वर्दीमर ने संगठन के सिद्धान्त या नियम इस प्रकार बताये हैं –
(i) समीपता का नियम – समीपता के नियम से तात्पर्य यह है कि दृश्य क्षेत्र में जिन तत्वों में एक दूसरे से समीपता होती है, वे एक वर्ग में दिखाई देते हैं ।
(ii) समानता का नियम – एक दूसरे के समान तत्व होने पर विभिन्न तत्व एक समान दिखाई देते हैं। इनको एक वर्ग में रखा जा सकता है ।
(iii) बन्द आकृति का नियम – बन्द आकृति के नियम से तात्पर्य यह है कि मस्तिष्क की प्रवृत्ति यह है कि वह अपूर्ण है सम्पूर्णों को पूर्ण व बन्द आकृतियों में देखता है ।
(iv) समान दिशा का नियम- इससे तात्पर्य यह है कि समान दिशा या नियति वाली वस्तुओं में विभिन्नताओं होते हुए भी वे सभी एक इकाइयों के रूप में दिखाई देती हैं ।
(v) निरन्तरता का नियम- इस नियम से यह अर्थ है कि निरन्तरता या सततता होने पर भी विभिन्न वर्गों या संगठनों में एकता-सी दिखाई देती है।
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Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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