ज्ञान की प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।

ज्ञान की प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर— ज्ञान की प्रकृति–हमारा सम्पूर्ण ज्ञान अनुभवों से प्राप्त तथा अनुभवों पर ही आधारित है। विचार प्राप्त करने के मुख्य रूप साधन है इन्द्रियानुभव जिसमें इन्द्रियों की सहायता से मन ज्ञान से भरपूर होता है और उसका प्रतिबिम्ब या आन्तरिक इन्द्रियानुभव वह है जो स्वयं की क्रियाओं से विचारों को मस्तिष्क तक पहुँचाता है। जैसे— ग्रहण करना, विचार, संदेह करना, विश्वास करना, तर्क करना, जानना, इच्छा करना । ज्ञान की प्रकृति निम्नलिखित रूप में होती है—
(1) ज्ञान जीवन के विषय में गहन जानकारी प्राप्त करना है।
(2) ज्ञान की प्रकृति आत्म श्रेष्ठता (Self Transcendence) है ।
(3) ज्ञान दूसरों के प्रति अपने संवेगों पर नियंत्रण रखना है।
(4) ज्ञान सीमाओं की स्वीकृति है।
(5) ज्ञान बुद्धिमतापूर्ण निर्णय है।
(6) ज्ञान जीवन की अनिश्चिताओं की स्वीकृति है ।
(7) ज्ञान दूसरों के प्रति सहानुभूति प्रकट करना है।
(8) ज्ञान सर्वमान्य हितों के लिए समर्पित होता है ।
(9) ज्ञान नवीन अनुभवों का स्वतंत्र एवं खुलापन है।
(10) ज्ञान सामंजस्यपूर्ण योग्यता है ।
(11) ज्ञान तथ्यों को एकीकृत करने की योग्यता है ।
(12) ज्ञान की प्रकृति परिवर्तनशील है ।
(13) ज्ञान की प्रकृति कला एवं विज्ञान होती है ।

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