पाठ्य सहगामी क्रियाओं का वर्णन कीजिए ।

पाठ्य सहगामी क्रियाओं का वर्णन कीजिए ।

उत्तर— पाठ्य सहगामी क्रियाएँ—पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं का आशय ऐसी शैक्षिक क्रियाओं से है जो प्रत्येक कक्षा के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम के अलावा बालकों के सर्वांगीण विकास हेतु आवश्यक होती है। ये क्रियाएँ समग्र शिक्षा योजना का ही अभिन्न अंग होती हैं। इनके फलस्वरूप बच्चों के मानसिक विकास के साथ बच्चों के व्यक्तित्व के अन्य पक्षों का भी विकास होता है । इन क्रियाओं का आयोजन अतिरिक्त समय में न करके विद्यालय की समय तालिका में ही करना चाहिए ।
संक्षेप में पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाएँ वे क्रियाएँ हैं, जिनके द्वारा विद्यालय बालकों के सर्वांगीण विकास, विशेष रूप से शारीरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक, वैज्ञानिक, चारित्रिक और नैतिक विकास के उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। ये पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाएँ बालकों में निहित प्रतिभाओं की खोज के विकास, बालकों की अतिरिक्त शक्तियों के समुचित उपयोग, बालकों की विविध प्रवृत्तियों के शोधन व मर्मान्तीकरण, नागरिकता के गुणों के विकास, नैतिक गुणों के विकास, सामाजिक भावना के विकास, स्वानुशासन के विकास, ज्ञान के व्यावहारिक प्रयोग के अभ्यास व विकास तथा अवकाशकाल के सदुपयोग में सहायक होती हैं।
पाठ्य सहगामी क्रियाओं की आवश्यकताएँ—
(1) विद्यालय के सम्पूर्ण शैक्षिक कार्यक्रम एवं विद्यालय की चारित्रिक भावना को उन्नत बनाना ।
(2) शिक्षा प्रक्रिया को रोचक बनाना तथा छात्रों में शिक्षण के प्रति उच्च भावना जाग्रत करना ।
(3) विभिन्न विषयों का और क्रियाओं का रोचक एवं प्रयोगात्मक व्यावहारिक परिचय ।
(4) छात्रों में अपने विद्यालय के प्रति रुचि एवं लगाव के भाव जाग्रत करना ।
(5) छात्रों में अन्तर्निहित शक्तियों का विकास करना एवं उनका उचित मार्गदर्शन करना ।
(6) बालकों के सर्वांगीण विकास में योगदान करना।
(7) बालकों को अपने अवकाश के प्रभावी सदुपयोग के लिए तैयार करना ।
(8) विद्यालय व समाज के पारस्परिक सम्बन्धों को उन्नत बनाना तथा समाज को विद्यालय के कार्यक्रमों में रुचि लेने के लिए प्रोत्साहित करना ।
(9) विभिन्न वातावरण से आये बालकों में सहयोग व सह
अस्तित्व की भावना का विकास करना तथा उनको भावनात्मक रूप से एक बनाना जिससे राष्ट्रीय एकता के मार्ग को प्रशस्त किया जा सके।
(10) छात्रों को स्वशासन तथा लोकतंत्रीय प्रक्रियाओं के प्रयोग में बहुमूल्य अनुभव प्राप्त हो सकें जिससे वे जिम्मेदार और कुशल नागरिक बन सकें ।
(11) विद्यार्थियों में सद्गुणों का विकास करना ।
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