पैनल परिचर्चा से आप क्या अभिप्राय है ?

पैनल परिचर्चा से आप क्या अभिप्राय है ?

उत्तर—  पैनल परिचर्चा–पैनल चर्चा विधि में किसी विषय-वस्तु अथवा प्रकरण पर प्रस्तुतीकरण एक अध्यापक के स्थान पर अध्यापकों अथवा व्यक्तियों के समूह के द्वारा किया जाता है जिसमें भाग लेने वाले सभी अध्यापक अथवा व्यक्ति अपने-अपने विषय के विशेषज्ञ होते हैं जिनके द्वारा प्रदान किया जाने वाला शिक्षण अधिक प्रभावी होता है।
प्रजातांत्रिक युग में विचार-विमर्श तथा वाद-विवाद के कौशल का विकास इसकी सफलता के लिए किया जाना जरूरी है जिससे कि प्रत्येक नागरिक प्रजातंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सके। वाद-विवाद प्रविधि आधुनिक व्यवस्था सिद्धान्त पर आधारित है। इसकी यह धारणा है कि व्यवस्था के सदस्य में अपनी अभिवृत्तियों, अभिरुचियों, मूल्य तथा लक्ष्य होते हैं। इसके अतिरिक्त उनमें निर्णय करने और समस्या समाधान की क्षमता होती है। अतः इस धारणा के अनुसार प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था पर आधारित वाद-विवाद या पैनल परिचर्चा आदि को प्रोत्साहन दिया जाता है।
पैनल चर्चा का अर्थ—पैनल चर्चा विधि शिक्षण की वह विधि है जिसमें एक से अधिक अध्यापकों का शिक्षण में नेतृत्व होता है, ये अध्यापक प्रकरण या समस्या से सम्बन्धित अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं जो कि बारी-बारी से उस समस्या पर अपने विचार व्यक्त करते हैं।
हरबर्ट गुनी के अनुसार, “परिचर्चा उस समय होती है जब व्यक्तियों का एक समूह आमने-सामने एकत्रित होकर मौखिक अन्तः क्रिया द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं या किसी सामूहिक समस्या पर कोई निर्णय लेते हैं । “
स्ट्रक के अनुसार, “पैनल चर्चा में चार से आठ व्यक्तियों का एक समूह किसी समस्या पर आपसी विचार-विमर्श करता है। यह चर्चा जनसमूह या कक्षा के विद्यार्थियों के समक्ष की जाती है। “
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर पैनल चर्चा की निम्नलिखित विशेषताएँ प्रकट होती हैं—
(i) पैनल चर्चा में एक समूह शिक्षण का नेतृत्व करता है।
(ii) इसमें भाग लेने वाले समूह से सदस्य शिक्षक प्रकरण या समस्या से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं ।
(iii) इसमें छात्र केवल सुनते हैं और किसी प्रकार की समस्या अथवा कठिनाई रहने पर चर्चा के अन्त में प्रश्न पूछते हैं ।
(iv) भाग लेने वाले सदस्य अध्यापक बारी-बारी से अपनीअपनी बात छात्रों के समक्ष रखते हैं ।
(v) इसका आयोजन प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप किया जाता है। यह माना जाता है कि समूह के प्रत्येक सदस्य में अपनी रुचि, योग्यता, मूल्य अभिवृत्तियाँ तथा लक्ष्य होते हैं साथ ही उसमें निर्णय लेने की क्षमता भी होती है।
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