“प्राकृतिक विपदायें बिहार में निर्धनता के प्रमुख कारण हैं।” क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? इस पर अपने विचार बताइये ।
“प्राकृतिक विपदायें बिहार में निर्धनता के प्रमुख कारण हैं।” क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? इस पर अपने विचार बताइये ।
उत्तर – बिहार में निर्धनता के अनेक कारण हैं, जिनमें प्राकृतिक विपदायें मुख्यतः बाढ़ एवं सूखा प्रमुख हैं। चूंकि बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। अतः बाढ़ एवं सूखा का प्रभाव हमारे कृषि एवं कृषकों पर पड़ता है। बाढ़ के कारण राज्य में प्रतिवर्ष 68.8 लाख हेक्टेयर भूमि प्रभावित होती है। इससे लाखों की संपत्ति बर्बाद होती है। कृषि पर तो इसका खतरनाक प्रभाव पड़ता है। बाढ़ के कारण राज्य के एक बड़े भू-भाग पर जल जमाव की स्थिति पैदा हो जाती है। लगभग 9.41 लाख हेक्टेयर भूमि पर जल-जमाव की स्थिति है जिससे कृषि क्षेत्र प्रभावित होता है। बाढ़ से कृषि के अलावा सामान्य जीवन एवं व्यापार भी ठप्प हो जाता है। यातायात की समस्या होने से लोगों का बुरा हाल हो जाता है। बाढ़ के समय महामारी होने का खतरा बढ़ जाता है। सामान्य बीमारियां भी बरसात के कारण बढ़ जाती हैं। लेकिन लोगों को अस्पताल पहुंचने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इससे उनके जीवन स्तर का पता लगाया जा सकता है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सारण, वैशाली, गोपालगंज, खगड़िया, सहरसा, बेगूसराय, पटना तथा जहानाबाद प्रमुख हैं। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के अनुसार बिहार देश का सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित राज्य है। बाढ़ के समान ही प्राकृतिक विपदा का एक भयंकर रूप सूखा है। राज्य का लगभग 20% भाग सूखा प्रभावित है। बारिश की अनिश्चितता एवं परिवर्तनशीलता के कारण राज्य में हर दो-तीन साल में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। सूखे की समस्या का प्रत्यक्ष प्रभाव कृषि की अवस्था पर पड़ता है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार की कमी, खाद्यान्न एवं चारे की कमी उत्पन्न हो जाती है। बड़े पैमाने पर लोग भूख एवं पेयजल की समस्या का सामना करते हैं। ये सभी बातें राज्य में गरीबी को बढ़ाने में सहायक हैं। इसके अलावा सर्दियों में सर्द हवा एवं गर्मियों में लू मानव एवं पशु को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। बिहार का एक बड़ा हिस्सा ‘भूकंप-जोन’ में आता है। इसके अलावा भी अनेक प्राकृतिक आपदायें हैं जो बिहार में निर्धनता की वाहक हैं। परंतु इस सबके बावजूद सिर्फ प्राकृतिक आपदाओं को ही बिहार की गरीबी का सर्वप्रमुख कारण नहीं माना जा सकता। इसके कई अन्य गैर-प्राकृतिक कारण भी हैं। इसमें राज्य की जनसंख्या-वृद्धि, सामाजिक सेवा क्षेत्र का कम विकास, राजनीति सक्रियता का अभाव एवं उदारीकरण के कारण ग्राम्य एवं कुटीर उद्योगों की उपेक्षा प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा राज्य में खनिज संसाधनों का अभाव एवं कृषि का आधुनिक न होना भी निर्धनता के प्रमुख कारण हैं। राज्य की साक्षरता दर देश में अभी सबसे कम है। 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार की साक्षरता दर सबसे कम 61.8% है। जबकि केरल की साक्षरता दर 94.0% है। राज्य में निर्धनता ने निर्धनता को और बढ़ाया है। लोगों के पास उद्योग-धंधों अथवा कृषि में निवेश के लिए धन की कमी है। कई अन्य कारण भी निर्धनता उत्तरदायी हैं।
अत: बिहार में निर्धनता के लिए प्राकृतिक विपदाओं के अतिरिक्त और अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं जिनकी वजह से राज्य में निर्धनता का स्तर काफी ऊंचा हो गया है ।
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