सरकार अपनी पंचवर्षीय योजनाओं से बिहार में गरीबी हटाने में किस हद तक सफल रही है ?

सरकार अपनी पंचवर्षीय योजनाओं से बिहार में गरीबी हटाने में किस हद तक सफल रही है ?

उत्तर – सरकार की पंचवर्षीय योजनाओं का उद्देश्य अन्य बातों के अलावा हमेशा से सामाजिक समरसता को बहाल करना एवं गरीबी को नियंत्रित करना रहा है। इन योजनाओं का लाभ बिहार को भी मिला है। पांचवीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य ही गरीबी उन्मूलन और आत्मनिर्भरता था। इस पंचवर्षीय योजना के तहत रोजगार के अवसरों का विस्तार करना, प्राथमिक शिक्षा, पीने का पानी, ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा, भूमिहीनों का विद्युतीकरण, न्यायपूर्ण मजदूरी नीति आदि लक्ष्य शामिल थे। इनमें अनेक तत्वों को लागू किया गया जिससे बिहार में गरीबी उन्मूलन में कुछ सहायता मिली। प्रथम पंचवर्षीय योजना का भी प्राथमिक लक्ष्य कृषि, सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन था। चौथी पंचवर्षीय योजना की प्राथमिकता भी कृषि एवं सिंचाई थी। आठवीं योजना का लक्ष्य मानव संसाधन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार व विकास था। नौंवीं योजना का मूल उद्देश्य सामाजिक न्याय, ग्राम विकास, रोजगार था। दसवीं योजना के प्राथमिकता का क्षेत्र रोजगार, ऊर्जा सुधार तथा सामाजिक अवसंरचना का विकास था। 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) का लक्ष्य विकास को सर्वहितकारी बनाना था। इस तरह लगभग सभी पंचवर्षीय योजनाओं का मूल उद्देश्य गरीबी उन्मूलन, विकास एवं समानता जैसे सिद्धांत रहे हैं। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सरकार ने अनेक योजनाएं चलाई हैं जिनका बिहार के विकास एवं गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण योगदान है। साथ ही विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के तहत संयुक्त बिहार में अनेक लौह-इस्पात उद्योग एवं अन्य उद्योग लगाए गए जिनमें कुछ अभी भी शेष बिहार में हैं। इनमें बरौनी का तेल – शोधक तथा उर्वरक उद्योग प्रमुख है। पंचवर्षीय योजनाओं के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रम हैं, जो बिहार की गरीबी नियंत्रण में सफल रही है। जैसे-मनरेगा इसकी शुरुआत 2 फरवरी, 2006 को देश के 200 जिलों में की गई तथा बाद में इसे संपूर्ण देश में लागू किया गया। इसका ग्रामीण गरीबी उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मजदूरों का पलायन कम हुआ एवं उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होने से इसका जीवन स्तर सुधरा है। वहीं क्रय शक्ति बढ़ने से बाजार में धन का प्रवाह बढ़ा है, जिसका प्रभाव अन्य वर्गों पर भी पड़ रहा है। 2005-06 में ही भारत निर्माण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया जिसका मूल उद्देश्य ग्रामीण विकास है। इस कार्यक्रम में ग्रामीण आवास, सिंचाई, पेयजल, ग्रामीण सड़क, विद्युतीकरण, संचार को प्राथमिकता दी गई है। इन नवीन कार्यक्रमों के अलावा भी अनेक प्रमुख कार्यक्रम विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत चलाए गए हैं। जैसे1999 में स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना, 1996 में इन्दिरा आवास योजना, 1986 राजीव गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन, 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन आदि।
इस तरह स्पष्ट है कि पंचवर्षीय योजनाओं एवं उसके अंतर्गत चलाए जा रहे कार्यक्रमों के अन्तर्गत गरीबी उन्मूलन के व्यापक प्रयास है किए जा रहे हैं परन्तु सरकार को इस दिशा में ज्यादा सफलता नहीं मिली है। यही कारण है कि आज बिहार विकास के मामले में दूसरे राज्यों से पीछे है। वास्तव में राज्य सरकार के सक्रियता की आवश्यकता है जिससे प्रशासनिक खामियों को दूर कर केन्द्रीय योजनाओं का सही-सही प्रयोग किया जा सके। साथ ही सामान्यजन को भी जागरूक होने की आवश्यकता है।
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