फूलों के उत्पादन से आप क्या समझते हैं ?

फूलों के उत्पादन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर— फूलों का उत्पादन–पुष्पोत्पादन से तात्पर्य है फूलों (पुष्पों) को वैज्ञानिक तकनीकी द्वारा भूमि या गमलों में उगाना। फूल का तात्पर्य केवल सुन्दर पुष्पयुक्त पौधे से ही नहीं है, बल्कि सभी ऐसे अलंकृत पौधों से है जो सुन्दर पत्तियों से युक्त हों, जैसे अरोकेरिया, मोरपंखी, डेफेनबेकिया आदि या आकर्षक काँटे युक्त पौधे, जैसे विभिन्न प्रकार के
कैक्टस एवं सकुलेन्टस आदि। इन सब का अध्ययन भी पुष्पोत्पादन के अंदर ही किया जाता है। इतना ही नहीं, पुष्प उद्यान हेतु विभिन्न तरह के हेज, एज, लता, वृक्ष तथा विभिन्न तरह के उद्यान एवं उनके अंग साथ ही लान तैयार करने की विधि एवं प्रयोग में लाई जाने वाली विभिन्न किस्मों की घासों का भी इसी विषय के अन्दर अध्ययन करते हैं। पुष्पोत्पादन को मुख्य रूप से भागों में विभाजित किया गया—(1) व्यावसायिक पुष्पोत्पादन, (2) अलंकृत पुष्पोद्यान ।
फूलों को प्रकृति का सन्देश वाहक कहते हैं। फूलों की महक से मानव कार्य क्षमता बढ़ती है। अतः पौधे हमारे लिए जीवन संजीवनी है । आज तो पौधों को उगाने की कला वैज्ञानिक रूप से विकसित हो रही है। कृषि के क्षेत्र में भिन्न-भिन्न फसलों, सब्जियों के साथ फूल-फलदार पौधे वैज्ञानिक प्रणाली से उगाए जा रहे हैं। अनेक फूलदार पौधे ऐसे हैं जिनका प्रयोग सजावट के लिए किया जाता है। फूल सुन्दरता, सुगन्ध एवं शांत वातावरण के प्रतीक हैं। घर के बगीचे में मनोहारी पुष्प वाटिका किस को नहीं भाती ? गुलाब, गेंदा, चम्पा, लिली, गुलदावदी आदि पौधों से कौन अपने घर के आँगन को सुशोभित नहीं करना चाहता। अतः स्वास्थ्य लाभ, मानसिक सुख, सुन्दरता और घर की सजावट ही फूल उत्पादन के उद्देश्य रहे हैं ।
फूलों के उत्पादन के लिए सब्जियों के समान ही भूमि तैयार करना, बुआई, निराई, खाद देना, सिंचाई, संरक्षण एवं तोड़ना (कटाई) और गहराई (बीज) तैयार करना पड़ता है। केवल इसके लिए गमले या घर की वाटिका की मिट्टी उपयोग में आती है। रोपण के लिए नर्सरी (पौध गृह) तैयार करना चाहिए।
इसके निम्न लाभ होते हैं—
(1) पौधे तन्दुरूस्त होते हैं।
(2) कीटनाशक औषधियों से शुरू में ही रोग का निवारण कर लिया जाता है।
(3) बीज कम मात्रा में लगता है
(4) थोड़े स्थान पर लगा कर। पौध तैयार होने पर गमले, वाटिका, उद्यान में लगाया जाता है।
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