बालक के विकास में योग शिक्षा की भूमिका की व्याख्या कीजिए ।
बालक के विकास में योग शिक्षा की भूमिका की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर— बालक के विकास में योग शिक्षा की भूमिका– छात्र जीवन में योगासन का बहुत महत्त्व है। भारतीय परम्परा के अनुसार छात्र जीवन ब्रह्मचर्य जीवन है। ब्रह्मचर्य जीवन इस तथ्य का संकेत है कि शरीर हृष्ट-पुष्ट, स्वस्थ, सुडौल तथा सशक्त हो, भावनाओं और इन्द्रियों पर नियन्त्रण हो, बुद्धि कुशाग्र चित्त एकाग्र तथा जीवन संयमित हो । परन्तु आज का छात्र आधुनिक सभ्यता एवं चलचित्रों के प्रभाव स्वरूप प्राय: उपर्युक्त गुणों से रहित है। इस कारण उसके शरीर-मन को सन्तुलित बनाने के लिये योग शिक्षा की परम आवश्यकता है।
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