विद्यार्थियों को अधिगम हेतु किस प्रकार अभिप्रेरित किया जा सकता है?
विद्यार्थियों को अधिगम हेतु किस प्रकार अभिप्रेरित किया जा सकता है?
प्रश्न – विद्यार्थियों को अधिगम हेतु किस प्रकार अभिप्रेरित किया जा सकता है?
उत्तर– विद्यार्थियों को अधिगम हेतु अभिप्रेरित करने की विधियाँ – विद्यार्थियों को अधिगम हेतु अभिप्रेरित करने के लिए विभिन्न प्रकार की प्रविधियाँ का चयन किया गया है जिनका वर्णन निम्नलिखित प्रकार है –
(1) पुरस्कार और दण्ड – विद्यार्थियों को कक्षा में अभिप्रेरित करने के लिए पुरस्कार और दण्ड का प्रयोग बहुत महत्व रखता है, पुरस्कार और दण्ड दोनों ही विद्यार्थियों में शक्ति का संचार करते हैं। यही शक्ति अभिप्रेरित होती है। यह पुस्तक किसी वस्तु के रूप में हो सकते है या शब्दों के रूप में शब्दों के रूप में दिया जाने वाला पुरस्कार प्रशंसा के रूप में दिया जा सकता है।
लेकिन दण्ड का प्रयोग अभिप्रेरणा तो उत्पन्न करता है लेकिन इसका बार-बार का प्रयोग कई बार हानिकारक होता है। विद्यार्थी विद्रोह प्रवृत्ति के हो जाते हैं । अतः दण्ड का प्रयोग जितना कम हो उतना ही अच्छा है। पुरस्कार का प्रयोग भी विवेकपूर्ण होना चाहिए। कई बार पुरस्कार का प्रयोग भी विद्यार्थियों में द्वेष और ईर्ष्या उत्पन्न कर सकता है। अतः इस प्रविधि का प्रयोग बहुत ही सोच-समझकर करना चाहिए।
(2) लक्ष्यों का निर्धारण – विद्यार्थियों की अभिप्रेरणा लक्ष्यों को निर्धारित करने से भी होती है। विद्यार्थी को जब तक उसके सीखने के लक्ष्य स्पष्ट नहीं होंगे तब तक विद्यार्थी सीखने के लिए अभिप्रेरित नहीं होगा। दूसरी ओर यदि अध्यापक को भी उसके शिक्षण के लक्ष्य स्पष्ट नहीं हैं तो उसे भी अध्ययपन कार्य करने की अभिप्ररेणा प्राप्त नहीं होगी। अतः अध्यापक और अधिगम के लिए उद्देश्यों का स्पष्ट और पूर्व निर्धारण होना चाहिए । निर्धारित किये गये लक्ष्य विद्यार्थी को कार्य करने के लिए दिशा प्रदान करते हैं ।
(3) शिक्षण विधियाँ- कक्षा में विद्यार्थियों की अभिप्रेरणा के लिए अध्यापक को अपनी शिक्षण विधियों की ओर ध्यान देना पड़ेगा। व्यक्तिगत विभिन्नताओं (Individual Difference) को देखकर अध्यापक अपनी शिक्षण विधियों का चुनाव कर सकता है।
( 4 ) प्रशंसा एवं निन्दा – अध्यापक द्वारा कक्षा में प्रयुक्त प्रशंसा और निन्दा के शब्द विद्यार्थी के मन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। वैसे प्रशंसा एवं निन्दा, पुरस्कार और दण्ड का ही एक प्रकार है। पुरस्कार और दण्ड के समान ही प्रशंसा एवं निन्दा का प्रयोग भी बहुत ही सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। प्रशंसा और निन्दा मेधावी और पिछड़े छात्रों के लिए बहुत लाभदायक है।
(5) सफलता और असफलता – विद्यार्थी जिस कार्य में सफलता प्राप्त कर लेता है उसी तरह कार्य करते रहने के लिए अभिप्रेरित हो जाता है। कई बार असफलता भी विद्यार्थी में सफलता के लिए शक्ति का संचार करता है और असफल विद्यार्थी फिर से सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ा परिश्रम करता है।
उपरोक्त प्रविधियों का प्रयोग करके कक्षा में अध्यापक अधिक-सेअधिक अधिप्रेरणा उत्पन्न कर सकता है, लेकिन इन प्रविधियों का प्रयोग बड़ी सावधानी से करना होगा, अन्यथा इन प्रविधियों द्वारा सम्भव हानियाँ होने का खतरा भी रहता है।
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