वीडियो कान्फ्रेंसिग प्रणाली का अर्थ बताते हुए आधारभूत तत्त्व एवं शैक्षिक उपयोगों का वर्णन कीजिए।
वीडियो कान्फ्रेंसिग प्रणाली का अर्थ बताते हुए आधारभूत तत्त्व एवं शैक्षिक उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर— वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग — वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग दूसरी दूरसंचार विधियों से थोड़ी भिन्न इसलिए है क्योंकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से आवाज के साथ-साथ चित्र भी दिखाई पड़ते हैं जिससे यह महसूस होता है कि व्यक्ति आमने-सामने बैठकर ही बातचीत कर रहे हैं। इस तकनीक द्वारा दो व्यक्तियों के साथ भी बातचीत की जा सकती है और एक पूरे समूह के साथ भी परस्पर अन्तः क्रिया की जा सकती है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली के आधारभूत तत्त्व — वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली में विभिन्न हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर उपागमों द्वारा ध्वनि व चित्रों को दबाया जाता है जिससे इन दोनों की तरंगों को समान गति से प्रेषित किया जा सके। इस प्रणाली में निम्न उपकरणों का प्रयोग किया जाता है—
(1) वीडियो अदा – इसमें मुख्यतः वीडियो कैमरा और वेब कैमरा (वह कैमरा जिसे कम्प्यूटर पर लगाया जाता है) आदि आते हैं ।
(2) वीडियो प्रदा – इसमें कम्प्यूटर मॉनीटर, टेलीविजन व प्रोजेक्टर आदि का प्रयोग किया जाता है।
(3) ऑडियो प्रदा – इसमें माइक्रोफोन का प्रयोग किया जाता है।
(4) ध्वनि प्रदा – इसमें प्रायः स्पीकर व लाउडस्पीकरों का प्रयोग होता है।
(5) ध्वनि एवं चित्रों का स्थानान्तरण – टेलीफोन नेटवर्कों, लैन (LAN) और इन्टरनेट आदि का प्रयोग करके इन आँकड़ों को एक स्थान पर भेजा जाता है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लाभ – वर्तमान युग में उच्च गति क्षमता वाली इन्टरनेट सुविधाएँ कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली का विस्तार मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हो रहा है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के क्षेत्र में इस तीव्र प्रगति को देखते हुए, वैज्ञानिक मानते हैं कि भविष्य में टेलीफोन संवाद चित्र और ध्वनि दोनों का ही प्रयोग सामान्य हो जाएगा। इस तकनीक से होने वाले लाभों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है—
शैक्षिक उपयोग–शिक्षा के क्षेत्र में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग निम्नलिखित प्रकार से लाभदायक हो सकती है—
(1) इस तकनीक का प्रयोग करके विद्यार्थियों विश्व के किसी भी स्थान पर होने वाले साक्षात्कार में भाग ले सकते हैं।
(2) अध्यापक संस्थान से बाहर होते हुए भी इस तकनीक का प्रयोग करके विद्यार्थियों से सम्पर्क स्थापित कर सकता है।
(3) शोधकर्ताओं को शोध के लिए अनेक संस्थानों में जाकर विद्वानों व अध्यापकों से वार्तालाप करना पड़ता है लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वे एक स्थान पर बैठे हुए विद्वानों और अध्यापकों के साथ सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं। जिससे समय की बचत की जा सकती है।
(4) दूसरे संस्थानों से अच्छे अतिथि अध्यापकों का व्याख्यान विद्यार्थियों के सामने प्रस्तुत किया जा सकता है।
(5) इस तकनीक के माध्यम से विश्व के किसी भी स्थान से अध्यापकों के मध्य संप्रेषण अथवा संगोष्ठी का आयोजन किया जा सकता है।
(6) टेली सेमिनारों का आयोजन भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा आसानी से किया जा सकता है। इसमें सेमिनार में भाग लेने वाले दूर स्थित विद्वानों को आने की आवश्यकता नहीं होती। वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही परस्पर अंतःक्रिया करने में सफल हो सकते हैं ।
(7) ई-ट्यूटर अर्थात् वह अध्यापक जो इन्टरनेट का प्रयोग कर विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं । ई-ट्यूटर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का प्रयोग करके विद्यार्थियों को कुशलतापूर्वक शिक्षा प्रदान कर सकते हैं।
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