शिक्षा की प्रकृति बताइये ।

शिक्षा की प्रकृति बताइये । 

उत्तर— शिक्षा की प्रकृति — शिक्षा की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर शिक्षा की निम्न प्रकृति देखने को मिलती है—

(1) अनवरत प्रक्रिया – शिक्षा एक अनवरत रूप से चलने वाली प्रक्रिया है। मानव जीवन से मृत्यु पर्यन्त तक शिक्षा प्राप्त करता रहता है। वह जीवन में नये-नये अनुभव प्राप्त करता रहता है और वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कुछ न कुछ सीखता है।
(2) विकास की प्रक्रिया – मानव का जन्मजात व्यवहार व प्रकृति पशुवत् होती है। सामाजिक पर्यावरण में उसके इस व्यवहार में परिवर्तन होता है। परिवर्तन की यह प्रक्रिया ही शिक्षा है । मानव अपने अनुभवों को भाषा के माध्यम से सुरक्षित रखता है और उसको आने वाली पीढ़ी को हस्तान्तरित करता रहता है। इससे ही समाज की संस्कृति व सभ्यता का विकास होता है इसलिये शिक्षा को विकास की प्रक्रिया भी माना जाता है ।
(3) त्रिमुखी प्रक्रिया – कुछ शिक्षाविद् शिक्षा की प्रक्रिया में शिक्षक और शिक्षार्थी के साथ-साथ सामाजिक पर्यावरण के कारण ही अलग-अलग समाज व देश का पाठ्यक्रम अलग-अलग होता हैं ।
(4) सर्वांगीण विकास की प्रक्रिया – शिक्षा का कार्य बालक की कुछ क्षमताओं व शक्तियों का विकास करना ही नहीं है। शिक्षा बालक के व्यक्तित्व के सभी पक्षों का विकास करती है इसलिये शिक्षा को सर्वांगीण विकास की प्रक्रिया माना है।
(5) समायोजन की प्रक्रिया – बालक के सर्वांगीण विकास के लिये – समायोजन करना भी आवश्यक है । इसलिये शिक्षा समायोजन की प्रक्रिया भी है। व्यक्ति वही अच्छा माना जाता है जो अधिक से अधिक समायोजन कर सके। समायोजन से वह अपना सन्तुलित विकास करता है ।
(6) सामाजिक प्रक्रिया – शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है। मानव के व्यवहार में परिवर्तन व शिक्षा दोनों ही सामाजिक प्रक्रिया के रूप में होती है। यदि यह कहा जाये कि बिना सामाजिक पर्यावरण के शिक्षा चल ही नहीं सकती तो कोई गलत नहीं होगा। समाज में ही हम भाषा सीख सकते हैं और विचार कर सकते हैं।
(7) गतिशील प्रक्रिया – समाज में परिवर्तन के साथ-साथ शिक्षा में भी परिवर्तन होता रहता है। शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि आदि में आवश्यकतानुसार परिवर्तन होते रहते हैं। यही इसकी गतिशीलता कहलाती है। शिक्षा की गतिशीलता के कारण ही हम प्रगति की ओर बढ़ सकते हैं । ज्ञान एवं कला-कौशल सभी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी की ओर बढ़ते हैं ।
(8) द्विमुखी प्रक्रिया – शिक्षा की प्रकृति दो के मध्य चुनती है अर्थात् एक प्रभावित होता है और दूसरा प्रभावित करता है इसलिये ए. प्रो. जॉन एडम ने शिक्षा के दो ध्रुव ही माने हैं
(i) शिक्षक और (ii) शिक्षार्थी । शिक्षक प्रभावित करता है और शिक्षार्थी उससे प्रभावित होता है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *