आगमन व निगमन विधि के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
आगमन व निगमन विधि के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर— आगमन व निगमन विधि में अन्तर–आगमन व निगमन विधि में अन्तर को निम्नानुसार से समझा जा सकता है—
आगमन विधि—
(1) इस विधि में विशिष्ट से सामान्य की ओर अग्रसर होते हैं।
(2) विशिष्ट उदाहरणों की सहायता से सामान्य सिद्धान्त तर्क द्वारा ज्ञात किए जाते हैं।
(3) इसमें बालक स्वयं नियमों तथा सिद्धान्तों का पता लगाते हैं ।
(4) यह विधि एक मनोवैज्ञानिक विधि है। सीखने में सहायक है
(5) यह विधि अनुसंधान या खोज करने की विधि है।
(6) इस विधि में छात्र सक्रिय रहते है।
(7) इस विधि के प्रयोग से बालकों में आत्मविश्वास को बल मिलता है।
(8) यह विधि बालकों की शिक्षा के लिए उत्तम विधि है, क्योंकि इसके द्वारा बालकों की मानसिक शक्तियों का विकास होता है।
(9) यह विधि छात्रों को नवीन ज्ञान की ओर प्रोत्साहित करती है ।
(10) इस विधि से सीखा हुआ ज्ञान भूला नहीं जा सकता, क्योंकि प्रत्यक्ष उदाहरणों को लेकर फिर से उसका पुनर्निर्माण किया जा सकता है।
निगमन विधि—
(1) इस विधि में सामान्य से विशिष्ट की ओर अग्रसर होते हैं।
(2) सामान्य सिद्धान्तों का प्रयोग विशिष्ट उदाहरणों पर किया जाता है।
(3) इसमें दूसरों के द्वारा ज्ञात किए गए नियम अथवा सिद्धान्तों पर निर्भर रहना पड़ता है।
(4) यह विधि मनोविज्ञान के सिद्धान्तों पर आधारित नहीं है किन्तु विद्यार्थियों को अधिक ज्ञान दिया जा सकता है।
(5) यह विधि मनोविज्ञान के सिद्धान्तों पर आधारित नहीं है किन्तु विद्यार्थियों को अधिक ज्ञान दिया जा सकता है।
(6) इस विधि में अध्यापक को अधिक परिश्रम करना पड़ता है तथा छात्र निष्क्रिय होता है ।
(7) इस विधि में बालकों को दूसरों का आश्रय लेना पड़ता है।
(8) यह केवल मात्र अध्ययन की विधि है। इसमें रटना पड़ता है। अन्वेषण संभव नहीं ।
(9) इस विधि में छात्रों को नवीन | ज्ञान प्राप्त करने के अवसर नहीं मिलते।
(10) इस विधि से सीखा हुआ ज्ञान भूला जा सकता है, क्योंकि इस ज्ञान को प्राप्त करने की प्रक्रिया से विद्यार्थी अनभिज्ञ रहते हैं।
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