“कला महोत्सव का आयोजन विद्यार्थियों की आत्माभिव्यक्ति का एक माध्यम है।” स्पष्ट कीजिए।

“कला महोत्सव का आयोजन विद्यार्थियों की आत्माभिव्यक्ति का एक माध्यम है।” स्पष्ट कीजिए।

उत्तर— आत्म अभिव्यक्ति एक आन्तरिक कारक, एक निजी दृष्टिकोण और विचारों की स्व-जागरूकता है, जो कि विभिन्न बाहरी रूपों में अभिव्यक्त होती है जैसे–लेखन, अभिनय, पेन्टिंग, डांसिंग, मूर्तिकरण, फिल्म निर्माण, गायन आदि । आत्म अभिव्यक्ति और सृजनात्मकता मानवीय अनुभवों के सार्वभौमिक कार्य है। हम सभी क्रियात्मक है और हम सभी को अभिव्यक्त होने की आवश्यकता हैं। आत्म अभिव्यक्ति और कला इस प्रक्रिया को शुरू करने का अवसर है। आत्म अभिव्यक्ति को प्रकट करने की एक विशाल श्रृंखला है जो कि साहित्यिक एवं दृश्यकारी कलाओं को कक्षा-कक्ष में पढ़ने एवं अध्ययन करने के दौरान उपलब्ध होती है। इसके अतिरिक्त ये विभिन्न स्थानीय घटनाओं, शो, प्रदर्शनियों में भी उपलब्ध है। यदि हम वृहत्त दृष्टिकोण से देखे आत्म अभिव्यक्ति खुद को विभिन्न रूपों में प्रकट करने की प्रक्रिया मात्र है, जो विभिन्न कलाओं में प्रदर्शित होती है। शिक्षा इसको एक रूप देने का साधन मात्र है। आत्म-अभिव्यक्ति शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास में निहित होती है। आत्म अभिव्यक्ति मायनों में हमारे लिए आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है जो कि निम्न प्रकार हैं—
(1) आत्म अभिव्यक्ति आस-पास के परिवेश के प्रति जागरूकता और संवेदनशील उत्पन्न करने के साथ-साथ पर्यावरण के अंतः सम्बन्ध के प्रति समझ विकसित करती है।
(2) दृश्य एवं प्रदर्शन कला के माध्यम से आत्म अभिव्यक्ति और रचनात्मकता के गुण को पोषित किया जा सकता है। इससे विद्यार्थियों में सौन्दर्यानुभूति की भावना व कला विकसित होती है
(3) यह शारीरिक कार्य और श्रम के महत्त्व के प्रति समझ व सम्मान की भावना विकसित करती है, क्योंकि 21वीं सदी के मशीनी एवं यांत्रिकी युग में भी हाथ के काम का दस्तकारी और शारीरिक श्रम का बहुत अधिक महत्त्व है। मनुष्य की दिनचर्या से जुड़े ऐसे बहुत से कार्य है । जहाँ मशीनी काम की संभावना पर अनेक सवाल उभरते हैं और हाथ के काम की उपयोगिता का महत्त्व स्पष्ट हो जाता है।
(4) इससे स्थानीय व राष्ट्रीय दोनों स्तर की सांस्कृतिक विरासत की सराहना करने की क्षमता तथा संरक्षण की भावना विकसित होती है जो कि राष्ट्रीय अस्मिता एवं एकता के सुदृढ़ीकरण से गहराई से जुड़ी है। अतः इससे दो कार्य सम्पन्न होते हैं। एक संरक्षण तथा दूसरी – गतिशीलता बनाए रखना।
(5) यह आवश्यक जीवन कौशलों को विकसित करती है। यह विभिन्न जीवन कौशलों से जुड़ी ऐसी योग्यताएँ पैदा करती है जो विद्यार्थी को दैनिक जीवन की माँगों और चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निबटने के काबिल बनाती है। जिसमें से कुछ मूलभूत जीवन कौशल इस प्रकार है— समस्या निवारण, निर्णय लेने, सोच, समालोचना, पुरानुभूति, प्रभावी सम्प्रेषण, विचारोत्पादक चिन्तन, तनाव में विचलित न होना, अंतर वैयक्तिक सम्बन्ध आदि ।
(6) यह कार्य करने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करती है जो विद्यार्थियों को उद्देश्य परक मानव गतिविधियों से जोड़े रखती है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *