कविरेनर मारिया रिल्के ने अपने को जलपात्र और मदिरा क्यों कहता है ?

कविरेनर मारिया रिल्के ने अपने को जलपात्र और मदिरा क्यों कहता है ?

उत्तर :- कवि अपने को भगवान का भक्त मानता है। भक्त की महत्ता को स्पष्ट करते हुए कवि ने भक्त को जलपात्र और मदिरा कहा है क्योंकि जलपात्र में संग्रहित होकर भगवान अपनी अस्मिता प्राप्त करता है । इसी तरह भक्ति-रस के निकट आकर भगवान इससे आह्लादित हो जाते हैं।

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