कहानी का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके महत्त्व एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डालिये।
कहानी का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके महत्त्व एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डालिये।
उत्तर— कहानी का अर्थ–कहानी गद्य साहित्य की सर्वाधिक प्रिय विधा है। जहाँ तक कहानी कहने और सुनने का सवाल है तो यह प्रवृत्ति अति प्राचीन है। लिखित कहानियों का श्रीगणेश बौद्धकालीन जातक साहित्य से माना जाता है। संस्कृत आख्यायिकाएँ जातक कहानियों के आधार पर लिखी गई हैं। ये प्राय: काल्पनिक और उपदेशप्रधान है। अंग्रेजी की Short Story से प्रभावित होकर बंग्ला में गल्पों का प्रचलन हुआ और इन गल्पों के प्रभाव से ही हिन्दी में आधुनिक कहानियाँ लिखने का सूत्रपात हुआ।
भारतीय साहित्य में हितोपदेश, कथा सरित्सागर, पंचतंत्र तथा उपनिशद आदि कथा साहित्य हैं। आज की कहानियाँ केवल कल्पना की उड़ान नहीं हैं उनमें मानव जीवन की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का गम्भीर किन्तु रोचक वर्णन है। कहानियों से एक ओर तो हमारा मनोरंजन होता है और दूसरी ओर ये चरित्र निर्माण में सहायक होती हैं। कहानियों के अध्ययन से बच्चों की कल्पना शक्ति का विकास होता है। उनके संवेग स्थिर होते हैं और उनका चरित्र निर्माण होता है।
कहानी के अर्थ को और अधिक स्पष्टता से समझने के लिए कुछ विद्वानों की परिभाषाएँ अपेक्षणीय हैं—
(i) प्रेमचन्द–“कहानी एक ऐसी रचना है जिसमें जीवन के किसी एक अंग अथवा एक मनोभाव को प्रस्तुत करना ही लेखक का उद्देश्य है।
“गल्प एक ऐसी रचना है जिसमें जीवन के किसी एक अंग या एक मनोभाव को प्रदर्शित करना ही लेखक का उद्देश्य हो । उसके चरित्र, उसकी शैली, उसका कथानक-उसी एक भाव को पुष्ट करते हों।”
(ii) नोटेस्टेन तथा डल–“कहानी एक वर्णात्मक रचना है जो घटना की एक मात्र चरम सीमा पर निरन्तर बल देने के कारण हृदय तथा चित पर एक भावात्मक प्रभाव ही डालती है। “
(iii) एच. जी. वेल्स–“कहानी एक लघु वर्णनात्मक गद्य रचना है, जिसमें वास्तविक जीवन को कलात्मक रूप में प्रस्तुत किया जाता है। कहानी का प्रमुख उद्देश्य मनोरंजन करना है। “
निष्कर्ष रूप में कहानी एक लघु गद्य रचना है जिसमें मानव जीवन एवं चरित्र का वर्णन बड़े ही मर्मस्पर्शी, हृदयस्पर्शी, कलात्मक एवं आकर्षक रूप में होता है। भाषा प्रधान रचना होने के कारण कहानी की गणना रागात्मक पाठों से होती है। लघुता कहानी की प्रमुख विशेषता है।
कहानी का महत्त्व–बालकों के व्यक्तित्व विकास की दृष्टि से कहानी और कहानी शिक्षण का विशेष महत्त्व है—
(1) स्मरण शक्ति का विकास–बालक जटिल प्रसंगों, प्रकरणों तथा प्राकृतिक सौन्दर्य को भी कहानी के माध्यम से सुगमता एवं सरलता से समझ लेते हैं।
(2) मानव व्यवहार एवं चरित्र का परिचय–विविध परिस्थितियों में मानव व्यवहार-सदाचार, शिष्टाचार एवं आचरण की नीति का ज्ञान कहानी द्वारा बड़ी सरलता से हो जाता है ।
(3) शब्द भण्डार तथा मुहावरों का ज्ञान–पाठक कहानी को दत्तचित्त होकर पढ़ने एवं समझने का प्रयास करता है तथा कहानी में प्रयुक्त शब्दों एवं मुहावरों का अर्थ बड़ी सहजता से समझ लेता है ।
(4) मनोरंजन का सशक्त साधन–कहानी पढ़ने से जिज्ञासा तथा उत्सुकता जाग्रत होती है, उनकी सन्तुष्टि से आनन्द मिलता है और मनोरंजन होता है।
(5) सामान्य ज्ञान की वृद्धि–कहानी द्वारा मनोरंजनात्मक ढंग से बालक संसार के अनेक क्षेत्रों (विज्ञान, इतिहास, समाजशास्त्र, पशुपक्षी एवं जीव-जन्तु आदि) का ज्ञान अनायास ही प्राप्त कर लेता है ।
(6) भावाभिव्यक्ति की योग्यता का विकास–छात्रों में भावों एवं विचारों को प्रभावपूर्ण ढंग से व्यक्त करने की क्षमता प्राप्त होती है। संकोच एवं झिझक की भावना दूर होती है एवं बोलने में स्वाभाविकता, सरसता एवं प्रवाह आ जाता है।
(7) साहित्य विकास का उत्तम साधन–कहानी रचना करना अन्य साहित्य की रचना करने की अपेक्षा अधिक सरल एवं सुगम है। साहित्य के प्रति अनुराग कहानियों के माध्यम से ही होता है क्योंकि कहानियों के पढ़ने में सभी की अधिक रुचि होती है और पाठकों को आनन्द मिलता है।
(8) तर्क, विवेक, संकल्प एवं कल्पना शक्ति का विकास– विविध परिस्थितियों में मनुष्य का सोचना, आपत्तियों का सामना करना, जटिलताओं एवं गुत्थियों को सुलझाना, अन्तर्द्वन्द्वों एवं बहिर्द्वन्द्वों के घात- प्रतिघात से जीवन की गतिविधियों का निर्दिष्टीकरण एवं नवीन कल्पनाओं का उठना आदि सभी का परिचय कहानी द्वारा सहज ही हो जाता है।
(9) निरीक्षण एवं अवलोकन शक्ति का विकास–कहानियों के कथानक विकास एवं चरित्रांकन द्वारा बालकों में भी सूक्ष्मदर्शिता एवं अन्तर्दर्शिता का विकास होता है।
(10) सृजनात्मकता का विकास–कहानियों के अध्ययन से बालकों में स्वयं रचना करने की शक्ति का उदय एवं विकास होता है। चित्रों एवं संकेतों के आधार पर वे घटना सूत्रों को समझने तथा नई कहानी रचने लगते हैं।
कहानी शिक्षण के उद्देश्य कहानी शिक्षण के उद्देश्य निम्न हैं–
(1) छात्रों को ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ स्वस्थ मनोविनोद एवं मनोरंजन की शिक्षा देना ।
(2) छात्रों में विचार, तर्क शक्ति, कल्पना शक्ति तथा स्मरण शक्ति का विकास करना ।
(3) छात्रों में भाषा एवं हिन्दी साहित्य के प्रति अनुराग उत्पन्न करना एवं विकास करना ।
(4) छात्रों में भावात्मक तथा चारित्रिक गुणों को विकसित करना ।
(5) छात्रों का मानसिक, शारीरिक, संवेगात्मक, चारित्रिक एवं नैतिक विकास करना तथा उनका मनोरंजन करना ।
(6) छात्रों में सामाजिकता एवं राष्ट्रीयता की भावना का विकास करना ।
(7) कठिन तथा सूक्ष्म बातों या तथ्यों को सरल और बोधगम्य बनाकर प्रस्तुत करना तथा उनका मनोरंजन करना।
(8) कराना छात्रों को भाषा शैली, शब्दावली तथा मुहावरों से अवगत ।
(9) छात्रों में जीवन के प्रति यथार्थता एवं स्वाभाविकता का ज्ञान कराना।
(10) छात्रों में आदर्श जीवन जीने के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना ।
(11) पाठ्य-विषय के प्रति जिज्ञासा एवं रुचि उत्पन्न करना तथा ज्ञान वृद्धि करना ।
(12) छात्रों में संवेगों को नियंत्रित करने की क्षमता का विकास करना ।
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