लोकनृत्य किसे कहते हैं ? भारतीय संस्कृति में लोकनृत्य का क्या महत्त्व ?

लोकनृत्य किसे कहते हैं ? भारतीय संस्कृति में लोकनृत्य का क्या महत्त्व ?

उत्तर— लोक नृत्य— मनोरंजन की दृष्टि से लोक नृत्य भी एक महत्त्वपूर्ण विधा है। यह विधा किसी भी संस्कृति की एक प्रमुख कड़ी होती है। किसी भी समाज या अंचल के लोक नृत्यों की अपनी विशेषता होती है। इस विशेषता के कारण ही अंचल या समाज विशेष के लोक नाम नृत्य पहचाने जाते है। विशेषताओं के आधार पर ही लोक नृत्यों के लेने मात्र से ही उनका साकार स्वरूप आँखों में आ जाता है; जैसे गरवा नृत्य कहते ही हमारी आँखों के समक्ष गुजराती किशोरियाँ गोरी कलाइयों में छोटे-छोटे डण्डे लिए नृत्य करती हुई प्रस्तुत हो जाती हैं।
लोक नृत्य किसी अंचल और समाज विशेष के उत्सव और त्यौहारो या विवाह आदि विशेष अवसरों पर आयोजित किये जाते हैं। इनके माध्यम से पारिवारिक और सामाजिक जीवन की अनेक झाँकियाँ देखी जा सकती हैं। लोक नर्तक स्त्री या पुरुष दोनों ही हो सकते हैं। उनकी वेशभूषा अंचल और समाज विशेष के अनुसार होती है। लोक नृत्यों में गायन नर्तकों द्वारा भी हो सकता है और पृथक् से गायकों द्वारा भी। जब पृथक् से गायकों द्वारा होता है तो लोक कलाकार मौन होकर नृत्यकला का प्रदर्शन करते हैं और गायक पार्श्व में स्थान ग्रहण किये होते हैं।
नृत्य कला का महत्त्व – आज के जीवन में नृत्यकला का निम्नलिखित महत्त्व है—
(i) आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार नृत्य द्वारा हमारी माँसपेशियाँ एवं हड्डियाँ मजबूत होती हैं एवं शारीरिक दर्द से राहत भी मिलती है ।
(ii) नृत्य से बायें व दायें का सामंजस्य, हाथ और पैर का, शब्द और अंग का, लय और अंग आदि सभी प्रकार का सामंजस्य बेहतर होता है। इससे मस्तिष्क की ग्रन्थियाँ ठीक होती हैं एवं सुचारू रूप से चलती हैं ।
(iii) यह एक शारीरिक क्रिया है। किसी भी व्यायाम की तरह ही इसमें सम्पूर्ण शरीर क्रियाशील हो जाता है। नृत्य में हाथ, पैर, कमर, सिर आदि के साथ-साथ कलाई, आँखें, भौंहें आदि का भी प्रयोग होता है ।
(iv) नृत्य के द्वारा सम्प्रेषण कौशलों का विकास होता है। नृत्य के माध्यम से हम अपनी भावनाएँ दूसरों तक सरलता से पहुँच सकते हैं।
(v) यह आनन्द प्राप्ति का साधन है। नृत्य करने से दुःख का निवारण होता है व अवसाद की स्थिति से निकलने में सहायता मिलती है ।
(vi) इस कला से सौन्दर्य के साथ सम्बन्ध जुड़ता है। प्रत्येक कला सुन्दर वस्तु का निर्माण मानी जाती है। नृत्य में सुन्द अंग- भंगिमाओं एवं अभिनय द्वारा सौन्दर्य की उत्पत्ति होती है।
(vii) कला का सीधा सम्बन्ध मन से है। कला चाहे कोई भी ह मन की भावनाओं को अभिव्यक्ति है। आज के तनावपूर्ण जीवन से छुटकारा पाने के लिए नृत्य एक महत्त्वपूर्ण साधन है।
(viii) यह मानव की कल्पना शक्ति व सृजनात्मक शक्ति के विकसित करता है ।
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