डोकलाम गतिरोध क्या है? इसके अंतर्निहित कारण क्या थे? भारत ने इससे राजनयिक रणनीतिक मंच पर क्या सीखा ? क्या इस प्रकार के विवादों को सुलझाने में गांधी दर्शन उपयोगी हो सकता है? यदि हां, तो कैसे?
डोकलाम गतिरोध क्या है? इसके अंतर्निहित कारण क्या थे? भारत ने इससे राजनयिक रणनीतिक मंच पर क्या सीखा ? क्या इस प्रकार के विवादों को सुलझाने में गांधी दर्शन उपयोगी हो सकता है? यदि हां, तो कैसे?
अथवा
डोकलाम की भौगोलिक स्थिति का वर्णन करते हुए भारत-भूटान- चीन के बीच उत्पन्न विवाद का वणर्न करें। साथ ही इस स्थिति पर भारतीय राजनयिक व राजनीतिक कार्यशैली का वर्णन करें। गांधी दर्शन का उपयोग कर इस विवाद को सुलझाने का उपाय भी बताएं।
उत्तर – चीन की “पीपुल्स लिबरेशन आर्मी” द्वारा डोकलाम पठार पर किए जा रहे सड़क निर्माण को रोकने के लिए भारतीय सेना ने इस क्षेत्र में हस्तक्षेप किया। भूटान के सीमा क्षेत्र में स्थित 269 वर्ग किमी. का डोकलाम पठार रणनीतिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। मौजूदा विवादित क्षेत्र भारत-चीन-भूटान की सीमाओं और चुम्बी घाटी के पास पड़ता है। यह क्षेत्र भारत की सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। हालांकि चीन इस क्षेत्र पर 1980 से ही अपना दावा कर रहा है। यह प्रथम घटना है जब चीन ने विवादित क्षेत्र में भी सड़क निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जिसे लेकर भारत ने भूटान के क्षेत्रीय हितों की रक्षा के लिए सैनिकों का इस्तेमाल किया।
डोकलाम गतिरोध का जो प्रमुख कारण है, वह यही है कि वहां पर जिस सड़क का निर्माण चीन द्वारा किया जा रहा है उसके बाद सिक्किम तथा अन्य उत्तर- – पूर्वी राज्यों को अन्य भारत से जोड़ने वाला ‘चिकन नेक’ के नाम से प्रसिद्ध सिलीगुड़ी गलियारा चीन की पहुंच में आ जाएगा।
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्यों के बीच सुरक्षा की भावना सदैव बनी रहती है। कौटिल्य ने अपनी पुस्तक ‘अर्थशास्त्र’ तथा मैकियावेली ने अपनी पुस्तक ‘द प्रिंस’ में इस तथ्य की तरफ | सिक्किम इशारा करते हुए लिखा है कि किसी भी राज्य के लिए पड़ोसी राज्य सबसे खतरनाक साबित हो सकता है। अतः दो पड़ोसी राज्यों, विशेषतः जिनकी शक्तियों के बीच में प्रतियोगिता चलती रहती हो, में एक-दूसरे को लेकर परस्पर संघर्ष की स्थिति बनी रहती है। वर्तमान परिदृश्य उपर्युक्त कथनों को सत्यापित करता है।
डोकलाम गतिरोध का अन्त भारत के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह भारत की राजनीतिक, कूटनीतिक और नैतिक जीत है। इस गतिरोध से भारत को निम्नलिखित सीख प्राप्त हुई –
> चरम तनावपूर्ण स्थिति में दृढ़ व अडिग व्यवहार से समस्या का हल सम्भव
> बातचीत के माध्यम से समस्या का हल
> साफ्ट पावर को और मजबूत बनाया जाए ताकि आगे आने वाली समस्याओं को शीघ्रताशीघ्र जन समर्थन के द्वारा सुलझाया जा सके।
> डोकलाम विवाद के दौरान चीन की मीडिया लगातार अग्रेसिव मोड में भारत को भड़काने का कार्य करती रही लेकिन उस पर ध्यान न देकर भारत ने एक सफल कूटनीति का उदाहरण पेश किया।
> चरम विवाद की स्थिति में भी राजनयिक बातचीत जारी रखा जाए।
> सीमा प्रबंधन तंत्र को और अधिक विस्तारित करने की आवश्यकता।
> पड़ोसी के साथ तनाव उत्पन्न होने की स्थिति में ‘सर्वोत्तम की आशा और निकृष्टतम के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है।
> पड़ोसी के साथ विवाद की स्थिति में किसी तीसरे देश के अहस्तक्षेप की रणनीति अपनाना।
> धैर्य व तार्किकता से काम लेना
> चीन और हमारे बीच उत्पन्न खाई को सेना, सुरक्षा या फिर किसी और तरीके से भरा जाए।
डोकलाम विवाद को भारत ने गांधीगिरी शैली में ही हल किया। गांधीजी का दर्शन सत्य और अहिंसा में ही छिपा है। गांधी जी सत्याग्रह, दृढ़ व अडिग व्यवहार, बातचीत आदि के माध्यम से समस्या के हल में विश्वास करते थे। गांधी जी के अनुसार अहिंसा का अर्थ अन्यायी के आगे चुपचाप झुक जाना नहीं है, अपितु अपनी आत्मा के अनुरूप अन्यायी की इच्छा के विरुद्ध लड़ना है। भारतीय सेना ने भी दृढ़ व अडिग व्यवहार का प्रदर्शन किया तथा वहां तब तक डटे रहे जब तक चीनी सेना पीछे हट नहीं गई। उनके द्वारा भारतीय बंकर तोड़े जाने पर भी भारतीय सैनिकों ने सिर्फ वहां डटे रहकर ही एक निष्क्रिय प्रतिरोध किया। गांधीजी के चिंतन धारा में असहयोग, सत्य और अहिंसा मानव के मूल अस्त्र-शस्त्र हैं। यही उनकी अहिंसक क्रान्ति, रक्तहीन विप्लव और अहिंसक युद्ध का मूर्त रूप है। उनकी दृष्टि में अहिंसा में अमोघ शक्ति है जिसका प्रभाव कभी नहीं हो सकता। सशस्त्र विद्रोह से कहीं अधिक शक्ति अहिंसक विद्रोह में है। अहिंसा नैतिकता पर आधारित है। उनका मानना था कि मनुष्य को परिवर्तित किया जा सकता है। गांधी के इस दर्शन की व्याख्या डोकलाम गतिरोध में निम्न तरीके से की जा सकती है –
> चीनी सेना के सामने अडिग व दृढ़ बने रहना।
> चीन के साथ अंतर्राष्ट्रीय पटल पर असहयोग व आयात निर्यात में असहयोग ।
> विश्व पटल के सामने चीन के साथ सीमा विवाद की सच्चाई व्यक्त कर समर्थन हासिल करना।
> चीन के साथ लगातार बातचीन जारी रखना आदि ।
इस प्रकार हम देखते हैं कि चीन के साथ हमारी सीमा का निर्धारण नहीं होने के कारण आए दिन चीनी सैनिकों का भारतीय सीमा में घुस जाना आम हो गया है। परन्तु भारतीय सैनिक कभी बातचीत से, कभी मानव श्रृंखला बनाकर अहिंसक तरीके से उन्हें वापस जाने पर मजबूर कर देते हैं। वर्तमान डोकलाम विवाद में भी भारतीय सरकार ने धैर्य के साथ बातचीत के माध्यम से हल किया और विश्व पटल पर गांधीवादी विचारों का प्रसार भी किया।
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