अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को स्पष्ट कीजिए। आज अंतर्राष्ट्रीय समुदाय किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खतरे की समाप्ति के लिए प्रयास कर रहा है? संयुक्त राष्ट्र संघ का क्या योगदान है?

अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को स्पष्ट कीजिए। आज अंतर्राष्ट्रीय समुदाय किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खतरे की समाप्ति के लिए प्रयास कर रहा है? संयुक्त राष्ट्र संघ का क्या योगदान है?

अथवा

अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को स्पष्ट करते हुए इसकी परिभाषा दें। अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद की समाप्ति के लिए भारत सहित विभिन्न देशों द्वारा किए जा रहे प्रयासों का वर्णन करते हुए इस दिशा में संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिए जा रहे योगदान का उल्लेख करें।
उत्तर- आतंकवाद वर्तमान समय में एक वैश्विक चुनौती बन गया है। यह एक देश तक सीमित न रह कर विभिन्न देशों की सीमाओं को पार कर गया है तथा सम्पूर्ण विश्व के लिए सरदर्द बना हुआ है। जब आतंकवाद का प्रसार एक से अधिक देशों में फैल जाता है तो इसे अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद कहा जाता है।
आतंकवाद की परिभाषा: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद की अभी कोई सर्वमान्य परिभाषा स्वीकृत नहीं की जा सकी है क्योंकि एक देश के लिए जो आतंकवादी होता है, दूसरे देश के लिए वह स्वतंत्रता सेनानी हो सकता है। इसी तरह की अन्य जटिलताएं भी आतंकवाद की परिभाषा को परिभाषित करने में बाधित है।
भारत ने 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक अभिसमय (The Comprehensive Convention on International Terrorism :CCIT) को स्वीकार किये जाने का प्रस्ताव रखा था।
 इस अभिसमय के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जिसके द्वारा किये जाने वाले अपराध का उद्देश्य लोगों को डराना या सरकार या अंतरराष्ट्रीय संगठन को किसी भी कार्य को करने से रोकना या ऐसा कार्य करने के लिये मजबूर करना हो, जिसके कारण किसी भी व्यक्ति की मौत या गंभीर शारीरिक चोट, या सार्वजनिक उपयोग की जगह, कोई सरकारी सुविधा, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, अवसंरचना या पर्यावरण सहित सार्वजनिक या निजी संपत्ति की क्षति, संपत्ति, स्थान, सुविधाओं या प्रणालियों को नुकसान पहुंचता हो जिसके परिणामस्वरूप बड़ा आर्थिक नुकसान हो, को आतंकवाद की परिभाषा के तहत माना जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के प्रमुख कारण- अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के अनेक कारण हैं इनमें प्रमुख कारण हैं- गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, धार्मिक कट्टरता, राजनीतिक एवं आर्थिक उपेक्षा, राष्ट्रों के बीच अनेक मुद्दो पर होने वाले विवाद आदि।
प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घटनाएं
> 14 जुलाई, 216 को फ्रांस के नीस शहर में राष्ट्रीय दिवस ‘बास्तील डे’ पर आतिशबाजी देखने के लिए पहुंची भीड़ को एक लॉरी ने कुचल दिया। इस हमले में 84 लोगों की मौत हो गई।
> 22 मार्च, 2016 को ब्रसेल्स एयरपोर्ट पर आत्मघाती हमला। इस हमले में 32 लोगों की मौत और सैंकड़ो घायल, ये हमला पेरिस हमले की ही तर्ज पर किया गया।
> 14 नवंबर 2015 को बाताक्लान कॉनर्सट हॉल पर आइएस समर्थित आतंकियों का हमला जिसमें 132 लोगों की मौत हो गई और सैंकड़ो लोग घायल हो गए। इस हमले के मास्टरमाइंड सालाह अब्देसलाम को 18 मार्च 2016 को ब्रसेल्स से गिरफ्तार किया गया।
> 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर अलकायदा द्वारा आत्मघाती हमला किया गया। इसमें लगभग 3000 लोग मारे गए और 8900 लोग घायल हो गए थे।
> 2016 में पाकिस्तान के पेशावर शहर में एक सैनिक स्कूल में तालिबान के हमले में 132 बच्चों समेत 140 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
> 23 अक्टूबर 2002 को मॉस्को में डुबरोवका थियेटर में हथियार बंद आतंकवादियों ने करीब 850 लोगों को बंधक बना लिया था। इस आतंकी हमले में करीब 130 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हमले में 40 आतंकी भी ढेर हो गए थे।
> 7 से 9 जनवरी, 2015 में फ्रांस की कार्टून मैगजीन शार्ली हैब्दो के दफ्तर पर हमला और क्रोशर ग्रासरी स्टोर पर हमले में 17 लोगों की मौत। आतंकी संगठन अल-कायदा ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि मुहम्मद साहब के अपमान का बदला लेने के लिए किया हमला।
> 23 नवंबर, 2014 को तालिबान के आत्मघाती हमलावर ने अफगानिस्तान में वॉलीबॉल मैच देख रहे 60 से अधिक लोगों को मार डाला था।
प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन – कुछ प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठन है :- इस्लामिक स्टेट इन सीरिया एंड इराक, 2. अल कायदा, 3. तालिबान, 4. लश्कर-ए-तैयबा, 5. बोको हराम, 6. पाकिस्तानी तालिबान, 7. अल-नुसरा फ्रंट, 8. जेमाह इस्लामिया, 9. अल कायदा इन अरेबियन पेनिनसुला, 10. अबू सय्याफ।
भारत में हुए प्रमुख आतंकवादी हमले- जम्मू-कश्मीर की विधान सभा पर हमला ( अक्टूबर, 2001), मुंबई सीरियल ब्लास्ट ( 12 मार्च 1993), कोयम्बटूर धमाका ( 14 फरवरी 1998), भारतीय संसद पर हमला ( 13 दिसंबर 2001 में लश्करे तैयबा और जैश मोहम्मद के आतंकवादियों), अक्षरधाम मंदिर पर हमला (24 सितंबर 2002), 22 जुलाई, 2003 को जम्मू कश्मीर के अखनूर में हुए आतंकी हमले, दिल्ली सीरियल बम ब्लास्ट (29 अक्टूबर 2005), मुंबई ट्रेन धमाका (11 जुलाई 2006), महाराष्ट्र के मालेगांव में (8 सितंबर, 2006), श्रीनगर में (5 अक्टूबर 2006) हमले, मुंबई आतंकी हमला (26 नवंबर, 2008), पठानकोट हमला (2 जनवरी, 2015), गुरदासपुर हमला (27 जुलाई 2015 ), पंपोर में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकवादी हमला (25 जून 2016), उड़ी सेक्टर सेना के कैंप (18 सितंबर 2016 में) पर आतंकवादी हमला।
आतंकवाद के खतरे की समाप्ति के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा किए जा रहे प्रयास भरतीय प्रयास
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (CCIT) – भारत वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला करने के प्रयासों के प्रति वचनबद्ध है और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति का लगातार समर्थन करता रहा है। इस संदर्भ में भारत ने 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक अभिसमय’ (The Comprehensive Convention on International Terrorism: CCIT) को स्वीकार किये जाने का प्रस्ताव रखा था। सितम्बर, 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र के आयोजन में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (CCIT) की मांग को दोहराया।
>> अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (CCIT) के उद्देश्यः
> आतंकवाद की सार्वभौमिक परिभाषा के लिये यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली (UNGA) के सभी 193 सदस्य आपराधिक कानून CCIT को अपनाएंगे।
>  सभी आतंकवादी समूहों पर प्रतिबंध लगाना और आतंकवादी शिविरों को बंद करना ।
>  विशेष कानूनों के तहत सभी आतंकवादियों पर मुकदमा चलाना।
> वैश्विक स्तर पर सीमापार आतंकवाद को प्रत्यर्पण योग्य अपराध घोषित करना ।
>> अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने के लिये भारत का 5प्वाइंट फॉर्मूला
>  जुलाई, 2018 में भारत ने वैश्विक आतंकवाद से लड़ने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के बीच ‘5- प्वाइंट’ फॉर्मूला प्रस्तुत किया है। यह वैश्विक आतंकवाद से लड़ने के लिये भारत द्वारा प्रस्तुत किया गया एक सूत्र है।
> इस फॉर्मूले में समय पर क्रियाशील बुद्धिमत्ता का आदान-प्रदान
>  निजी क्षेत्र के सहयोग से आधुनिक संचार के साधनों के दुरुपयोग की रोकथाम
>  बेहतर सीमा नियंत्रण हेतु क्षमता निर्माण
> यात्रियों की आवाजाही से संबंधित जानकारी को साझा करना
> वैश्विक आतंक से लड़ने के लिये संभावित काउंटर- आतंक के केंद्रबिंदु का पता लगाना आदि शामिल हैं।
भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर समझौता- सितम्बर, 2018 में भारत-अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता के दौरान द्विपक्षीय आतंकवाद प्रतिरोधी सहयोग के प्रयासों को बढ़ाने पर सहमति बनी है। ज्ञात या संदिग्ध आतंकवादियों की सूचना साझा करने तथा विदेशी आतंकवादियों की गतिविधियों को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प 2396 को लागू करने की घोषणा की गई है।
दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र तथा एफएटीएफ (FATF) जैसे बहुपक्षीय मंचों पर आपसी सहयोग को निरंतर बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताई। इसके अलावा दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र के व्यापक सम्मेलन के प्रति अपने समर्थन की पुष्टि की जो वैश्विक सहयोग के ढांचे को आगे बढ़ाएगा।
>> अन्य देशों द्वारा आतंकवाद की समाप्ति हेतु उठाये गए कदम
> फ्रांस के जंगी जहाजों ने रूस के साथ मिलकर सीरिया को तहस-नहस किया है।
> इसी तरह अमेरिका ने 2003 में ईराक में सद्दाम हुसैन का खात्मा कर दिया।
> दुनिया के सबसे बड़े आतंकी अलकायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में मार गिराया।
वित्तीय कार्यवाही कार्य बल (FATF) – विश्व के देशों ने अतंकवाद को मिलने वाली वित्तीय मदद एवं अन्य सहायता पर रोक लगाने के लिए एफएटीएफ की स्थापना 1989 में की थी। वर्तमान में वित्तीय कार्यवाही कार्य बल ने पाकिस्तान को आतंकवादियों को वित्तीय सहायता देने के आरोप के कारण ग्रे-सूची में डाल दिया है।
इंटरपोल – खतरनाक आतंकवादियों एवं अपराधियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पकड़ने एवं गिरफ्तार करने के लिए फ्रांस में इंटरपोल की स्थापना 1923 में की गई थी।
एगमोन्ट- इसकी स्थापना 1995 में हुई थी। यह मनीलॉड्रिंग तथा आतंकी वित्तीयन के संबंध में विभिन्न सूचनाएं जुटाता है तथा सदस्य राष्ट्रों के बीच इन सूचनाओं को साझा करता है।
अंतर्राष्ट्रीय अतंकवाद की समाप्ति में संयुक्त राष्ट्रसंघ का योगदान 
> 15 दिसंबर, 1997 को आतंकवादी बम विस्फोटों के दमन के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय को अपनाया गया।
> 9 दिसंबर, 1999 को आतंकवाद के वित्तपोषण के खात्मे के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय को अपनाया गया तथा परमाणु आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों के दमन के लिये अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय को 13 अप्रैल, 2005 को अपनाया गया।
> वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के मुकाबले के लिये तथा कानूनी पहलुओं पर आम सहमति बनाने हेतु संयुक्त राष्ट्र के तहत 6 तदर्थ समितियों का गठन किया गया है जिनके बीच अभी भी इस विषय पर विचार-विमर्श चल रहा है।
> अनेक ऐसे मुद्दे हैं जिन पर आम राय नहीं बन पाई है जिसमें आतंकवाद की परिभाषा पर आम सहमति न बन पाना भी एक मुख्य मुद्दा है।
आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए दिसम्बर, 2018 में संयुक्त राष्ट्र ने इंटरपोल तथा विश्व सीमा शुल्क संगठन समेत 31 इकाइयों के साथ एक फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर किये। इसका उद्देश्य शांति तथा सतत विकास को बढ़ावा देना है। यह समझौता गैर-बाध्यकारी है। इसे ग्लोबल कॉम्पैक्ट कहा जाता है। ग्लोबल कॉम्पैक्ट समय समिति की अध्यक्षता अंडर-सेक्रेटरी जनरल द्वारा की जाएगी। इस समिति की पहली बैठक का आयोजन 6 दिसम्बर, 2018 को न्यूयॉर्क में किया गया। इस ग्लोबल कॉम्पैक्ट के लिए संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी कार्यालय सचिवालय के रूप में कार्य करेगा।
संयुक्त राष्ट्र निरंतर विश्व में शांति व सहयोग के लिए कार्य कर रहा है। आतंकवाद से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 2005 में यूएन काउंटर टेरेरिज्म इम्प्लीमेंटेशन टास्क फोर्स का गठन किया था। इस टास्क फोर्स में 38 अंतर्राष्ट्रीय इकाईयां शामिल थीं। आतंकवाद का सामना करने के लिए विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय को बढ़ावा देने के लिए 23 फरवरी, 2018 को एक नए समझौते पर हस्ताक्षर किय गये।
> समझौते के उद्देश्य
>  आतंकवाद का सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों को एकजुट करना तथा सदस्य देशों की सहायता के लिए रणनीतियों में सुधार करना ।
> हिंसक उग्रवादी समूहों से लोगों की सुरक्षा करना।
> ऐसी रणनीतियों को अंगीकृत करना जो अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार तथा कानून के शासन से समझौता न करे ।
> लोगों तक पहुंचने के लिए टेक्नोलॉजी के उपयोग को मॉनिटर करना ।
>  ऐसी नीतियों का निर्माण करना जिनसे समुदायों व उनके धार्मिक विचारों की रक्षा की जा सके।
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