सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों की नयी परिभाषा बताइए । भारत में औद्योगिक वृद्धि की गति को तीव्र करने व आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता को सुनिश्चित करने में इन उपक्रमों की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए | को किस प्रकार दूर किया जा सकता है ?

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों की नयी परिभाषा बताइए । भारत में औद्योगिक वृद्धि की गति को तीव्र करने व आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता को सुनिश्चित करने में इन उपक्रमों की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए | को किस प्रकार दूर किया जा सकता है ?

उत्तर – सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम देश के भौगोलिक विस्तार में लगभग 63.4 मिलियन यूनिट के साथ 6.11% विनिर्माण क्षेत्र की जी. डी. पी. में तथा 24.63% सेवा क्षेत्र की जी.डी.पी. में साथ ही साथ भारत के विनिर्माण उत्पादन में 33.4% का योगदान करता है।
इसके साथ ही एम. एस. एम. ई. क्षेत्र लगभग 12 करोड़ लोगों को आजीविका देता है। कुल मिलाकर यह भारत की जी. डी.पी. में लगभग 29% का योगदान करता है साथ ही भारत के निर्यात में लगभग 45% का योगदान करता है।
भारत में एम.एस.एम.ई. उद्योग लगभग 80 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थित हैं जो ग्रामीण क्षेत्र के विकास में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
हाल के समय में कोविड महामारी के साथ सम्पूर्ण भारत में लोकडाऊन के कारण इन उद्योगों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा, जिसके निराकरण के लिए भारत सरकार द्वारा कई उपाए किए गये जैसे- एम. एस.एम.ई. के तीन लाख तक के लोन की गारंटी भारत सरकार द्वारा ली गई तथा कई राज्य सरकारों द्वारा भी इन उद्योगों के लिए कदम उठाए गये तथा पंजीकरण (स्व-घोषणा) के आधार पर ऑनलाईन किये जाने का विकल्प दिया गया। दस्तावेज अपलोड करने की बाध्यता खत्म कर दी गई। इसी के साथ एम. एस. एम. ई. वर्गीकरण के लिए बुनियादी मानदंड, संयंत्र, मशीनरी और उपकरण में निवेश तथा टर्नओवर को भी आधार बनाया गया।
•  नवीनतम वर्गीकरण के आधार पर
1. सूक्ष्म उद्यम वे होंगे जिनमें 1 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश नहीं और उसका सालाना 5 करोड़ का कारोबार / टर्नओवर होगा ।
 2. लघु उद्यम वे होंगे जिनमे 10 करोड़ रुपये तक का निवेश होगा और 50 करोड़ रुपये तक का कारोबार / टर्नओवर होगा।
3. मध्यम उद्यम वे होंगे जिसमे 50 करोड़ तक का निवेश तथा 250 करोड़ का कारोबार/ टर्नओवर होगा।
•   इन सभी परिवर्तनों के परिणामस्वरूप निम्न निहितार्थ होंगे –
> इससे एम.एस.एम.ई. उद्यमों के काम करने के तरीकों में पूरी तरह बदलाव आ जायेगा जो यह सुनिश्चित करेंगे कि वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें जिससे नए उद्योगों को स्थापित करने में सहायता मिलेगी।
> इन सभी प्रोत्साहनों की सहायता से ये उद्यम तेजी से V-आकार की रिकवरी की स्थिति को प्राप्त कर महामारी से हुए नुकसान को नियंत्रण में ला सकेंगे तथा सरकार की मेक इन इंडिया आत्मनिर्भर भारत, जैसी योजनाओं को पूर्ण करने में सहायता मिलेगी।
इस प्रकार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों द्वारा कोविड-19 महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने में सहायता मिलेगी जो निम्न प्रकार है-
> जो आर्थिक पैकेज इन सेक्टर को दिया गया है वह भारत को विनिर्माण क्षेत्र में सशक्त करेगा जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी और यह पूरे देश को आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ायेगा।
> आत्मनिर्भर भारत निम्नलिखित पाँच स्तंभों पर खड़ा होना चाहिए – (1) अर्थव्यवस्था, (2) आधारिक संरचना, (3) 21वीं सदी प्रौद्योगिकी प्रेरित तंत्र के माध्यम से विकास, (4) मांग को बढ़ाना, (5) वाइर्बेट जनसंख्या लाभांश |
• आत्मनिर्भर भारत अभियान में कई और सुधार किए गए जैसे –
> सरल एवं स्पष्ट कानून
> तर्कसंगत कराधान प्रणाली
> कृषि में आपूर्ति श्रृंखला सुधार
> सक्षम मानव संसाधन
> मजबूत वित्तीय प्रणाली
अतः एम.एस.एम.ई. सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल स्तम्भ है। इसके माध्यम से निर्यात को प्रोत्साहित कर आयात प्रतिस्थापन को प्राप्त कर महामारी के कारण अर्थव्यवस्था को हुई हानि को रिकवर करने में सहायता मिलेगी। इससे भारत को आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया जा सकता है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *