विमुद्रीकरण योजना को स्पष्ट कीजिए। आपके विचारों में किस हद तक यह योजना सफल अथवा असफल रही? बिहार सरकार की शराब प्रतिबंध नीति पर इसके क्या प्रभाव पड़े?

विमुद्रीकरण योजना को स्पष्ट कीजिए। आपके विचारों में किस हद तक यह योजना सफल अथवा असफल रही? बिहार सरकार की शराब प्रतिबंध नीति पर इसके क्या प्रभाव पड़े?

अथवा

विमुद्रीकरण योजना का वर्णन करते हुए इसके नकारात्मक तथा सकारात्मक प्रभावों का वर्णन करें तथा बिहार में हुई शराबबंदी को सफल बनाने में कितनी मददगार हुई इसकी चर्चा करें।
उत्तर- सरकार द्वारा किसी भी मूल्य विशेष की किसी सीरीज को या फिर मुद्रा की उस इकाई को ही अमान्य घोषित कर चलन से बाहर कर देना ही अर्थशास्त्र की भाषा में विमुद्रीकरण कहलाता है। भारत में अभी तक तीन बार विमुद्रीकरण किया जा चुका है
1. 1946 में रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन कर धारा 126 (A) द्वारा
2. 1978 में “हाई डिनोमिनेशन बैंक नोट एक्ट-1978″ पास करके
 3. 2016 में रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 26 (A) से प्राप्त शक्तियों के आधार पर।
पहले दो बार किए गए विमुद्रीकरण के मूल उद्देश्य केवल कुछ नोटों को चलन से बाहर करना ही था, परन्तु वर्तमान में हुए विमुद्रीकरण का उद्देश्य बहुत व्यापक था। एक ओर जहां इसका उद्देश्य नकली नोटों व काले धन पर प्रहार करना था, वहीं दूसरी ओर प्रत्यक्ष कर के दायरे में अधिक से अधिक लोगों को लाना, आतंकी फडिंग पर रोक लगाना, नक्सलवाद पर रोक लगाना, नकद या कैश आधारित भुगतान व्यवस्था को कम करना आदि भी था।
विमुद्रीकरण का सकारात्मक प्रभाव
> अर्थव्यवस्था में डिजिटलीकरण का इजाफा
> नकली मुद्राओं का चलन से बाहर होना
> संग्रहित मुद्रा का अर्थव्यवस्था में प्रचलन में आना
> प्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि
> आतंकी फडिंग पर कुछ समय तक रोक
> अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साख में वृद्ध
विमुद्रीकरण का नकारात्मक प्रभाव
> RBI के नोटबंदी संबंधी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि नोटों का 99.8% हिस्सा बैंकों में वापस आ गया। इससे पता चलता है कि काले धन के खात्मे से संबंधित उद्देश्य नहीं के बराबर पूरा हुआ।
 > अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती, GDP में कमी आना
> रोजगार में भारी गिरावट आना
> स्थानीय स्तर के उद्योगो में तालाबंदी
> बैंकों में आर्थिक संकट की स्थिति पैदा होना
> किसानों की माली हालत खराब होना
अब अगर नोटबंदी के प्रभावों का समग्र अध्ययन करें और RBI के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो एक बात स्पष्ट है कि अल्पकालिक अवधि में इस प्रयास ने अथ को कोई खास लाभ नहीं पहुंचाया। इसके मूल उद्देश्य भी काफी हद तक पूरे नहीं हुए। पूरे सिस्टम में ब्रेक लग गया। कुछ समय तक तो आतंकी तथा नक्सलवाद पर रोक लगा था तथा नकली नोट भी अर्थव्यवस्था से बाहर हो गये थे लेकिन शीघ्र ही इन पर लगी नकेल ढीली होती गई। 2000 रु. के नोट सिर्फ कालाबाजारी का अड्डा बन गए। यहां यह बात स्पष्ट रहनी चाहिए कि समस्या नोटबंदी के उद्देश्यों से नहीं है। उद्देश्य अपने आप में बहुत अच्छे और आवश्यक भी हैं किन्तु इनके क्रियान्वयन के स्तर पर खामियां उजागर हुई हैं। नोटबंदी से काफी हद तक अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण में सहायता मिली है तथा प्रत्यक्ष कर संग्रह में कुछ वृद्धि भी हुई है। इस प्रकार नोटबंदी के प्रभाव का स्वरूप मिला-जुला रहा है जहां यह मूल उद्देश्यों के तौर पर ज्यादा सफल नहीं है, वहीं पर यह अन्य उद्देश्यों को पूरा करता दिखाई देता है।
बिहार में शराबबंदी अप्रैल, 2016 में लागू हुई। इसकी मूल वजह प्रदेश में घरेलू हिंसा, असहजता, सड़क दुर्घटना आदि में कमी लाकर समाजिकता को बढ़ावा देना है। बिहार सरकार द्वारा की गई यह शराबबंदी इसके अवैध व्यापार के कारण पूर्णत: सफल होती नहीं दिखाई दे रही है। सीमावर्ती प्रदेशों से लगातार शराब माफियाओं द्वारा इसका व्यापार बड़ी मात्रा में किया जा रहा है। इस अवैध व्यापार पर काफी हद तक नोटबंदी के बाद अंकुश लग गया था। नोटबंदी के बाद इन सीमाओं पर जांच कड़ी कर दी गई थी। साथ ही काला धन पर अंकुश लगने के कारण इन शराब माफियाओं की कमर टूट गई थी। अर्थव्यवस्था में मुद्रा के प्रवाह की गति बहुत ही धीमी होने के कारण जनता में भी अन्य वस्तुओं की तुलना में इसकी मांग एकाएक घट गई। जनता केवल अपनी न्यूनतम बुनियादी आवश्यकता ही पूरी कर पा रही थी। धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था में मुद्रा का प्रवाह बढ़ा लेकिन इसकी तुलना में शराब/नशे की मांग में बहुत कम इजाफा हुआ। इसका मुख्य कारण लोगों की लत में आई कमी थी, क्योंकि समय बीतने के साथ लोग शराब पीना गलत मानने लगे थे। बिहार सरकार की सख्ती से भी यह सम्भव हो सका। लेकिन अब नोटबंदी को हुए काफी समय हो गया है और अर्थव्यवस्था ने अपनी रफ्तार पकड़ ली है। शराब माफिया पुन: पूर्ण रूप से सक्रिय हैं, लेकिन अब भी बिहार सरकार की सक्रियता से शराब की समग्र मांग में काफी कमी है तथा शराब माफियाओं तथा शराब पीने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई भी की जा रही है।
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