दृश्य-कला का शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में क्या महत्त्व है?

दृश्य-कला का शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में क्या महत्त्व है? 

उत्तर— दृश्य-कला का शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में महत्त्व– दृश्य-कलाओं का प्रयोग शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सरल एवं बोधगम्य रूप में प्रस्तुत करने में किया जाता है। इसका महत्त्व निम्न प्रकार से है—
(1) छात्रों की क्रियाशीलता–शिक्षण में दृश्य भिन कलाओं के प्रयोग से छात्रों में क्रियाशीलता का प्रादुर्भाव होता है। इस प्रादुर्भाव के कारण छात्र शारीरिक एवं मानसिक रूप से क्रियाशील होते हैं, जैसे—यदि शिक्षक विसी चित्र या प्रतिरूप का प्रयोग शिक्षण में करता है तो छात्र द्वारा उस चित्र एवं प्रतिरूप को बनाने का प्रयास किया जाता है।
(2) सृजनात्मकता का विकास–दृश्य-कला का प्रयोग जब विभिन्न विषयों के शिक्षण में किया जाता है तो इससे बालकों में सृजनात्मक क्षमता का विकास होता है। बालक की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है कि वह अनुकरण करता है। इस अनुकरण की प्रक्रिया में वह शिक्षक द्वारा प्रदर्शित नमूनों एवं चार्टों को स्वयं बनाने का प्रयास करता है । इस प्रकार बालक में सृजन की प्रवृत्ति विकसित होती है तथा वह प्राथमिक स्तर से ही विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के चित्र एवं प्रतिरूप बनाने में दक्षता प्राप्त कर लेता है।
(3) मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के अनुरूप–मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के अनुसार उस शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी एवं उत्तम माना जाता है, जिसमें छात्रों की पूर्ण सहभागिता एवं रुचि हो । विभिन्न प्रकार की दृश्य-कलाओं के माध्यम से छात्रों को विषयवस्तु के प्रति आकर्षित करने का प्रयास किया जाता है तथा कुछ कलाएँ ऐसी भी होती हैं, जिनमें छात्रों की स्वाभाविक रूप से रुचि होती है। यदि उनका प्रयोग किया जाता है तो शिक्षण अधिगम प्रक्रिया प्रभावी बन जाती है।
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