पाठ्यक्रम एवं पाठ्यचर्या में अन्तर बताइये ।

पाठ्यक्रम एवं पाठ्यचर्या में अन्तर बताइये । 

उत्तर— पाठ्यक्रम एवं पाठ्यचर्या में अन्तर–पाठ्यक्रम एवं पाठ्यविवरण में अन्तर स्पष्ट करते हुए राबर्ट डॉर्टन (Robert Dottern) ने लिखा है कि “पाठ्यविवरण शिक्षालय वर्ष के दौरान विभिन्न विषयों में शिक्षक द्वारा छात्रों को दिए जाने वाले ज्ञान की मात्रा के विषय में निश्चित जानकारी प्रस्तुत करता है, जबकि पाठ्यक्रम यह प्रदर्शित करता है कि शिक्षक किस प्रकार की शैक्षिक क्रियाओं के द्वारा पाठ्यविवरण की विषय-वस्तु की आवश्यकताओं की पूर्ति करेगा और उसे देने के लिए प्रयुक्त विधि का।”

यूनेस्को (UNESCO) के प्रकाशन “Preparing Text Book Manuscripts” के अनुसार, “पाठ्यक्रम अध्ययन के लिए विषयों, उनकी व्याख्या व क्रम का निर्धारण है तथा अध्ययन विषयों में एकरूपता सुनिश्चित करता है जिससे विषयों के बीच अन्तः सम्बन्ध स्थापित करने में सुविधा होती है। साथ ही साथ पाठ्यक्रम विभिन्न विषयों के लिए विद्यालय की समय अवधि का आवंटन, प्रत्येक विषय को पढ़ाने के उद्देश्य, क्रियात्मक कौशलों को प्राप्त करने की गति तथा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के विद्यालयों के शिक्षण में विभेदीकरण का निर्धारण करता है। पाठ्यवस्तु अथवा पाठ्यविवरण, निर्धारित पाठ्य-विषयों के शिक्षण हेतु अन्तर्वस्तु, उसके ज्ञान की सीमा, विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किये जाने वाले कौशलों को निश्चित करता है तथा शैक्षिक सत्र में पढ़ाये जाने वाले व्यक्तिगत पहलुओं एवं निष्कर्षों की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है । पाठ्यवस्तु किसी पाठ्य-विषय के लिए अधिगम के एक स्तर विशेष पर पाठ्यक्रम का एक परिष्कृत एवं विस्तृत रूप होता है।”
पाठ्यक्रम एवं पाठ्यविवरण में निम्नलिखित अन्तर हैं—
पाठ्यक्रम—
1. पाठ्यक्रम का निर्माण समाज के आदर्शों एवं उसकी आवश्यकताओं तथा शिक्षण उद्देश्यों के आधार पर किया जाता है।
2. पाठ्यक्रम का निर्माण केन्द्रीय स्तर के अधिशासी निकायों (Governing Bodies) द्वारा किया जाता है।
3. पाठ्यक्रम में उल्लेखित निर्देशों का पालन आवश्यक है ।
4. पाठ्यक्रम में विद्यालय में होने वाली समस्त क्रियाओं (पाठ्य एवं पाठ्यसहगामी क्रियाओं) को सम्मिलित किया जाता है।
5. पाठ्यक्रम का क्षेत्र बहुत अधिक विस्तृत है। यह अपने में सम्पूर्ण होता है।
6. पाठ्यक्रम का सम्बन्ध बालकों के सर्वांगीण विकास से होता है, क्योंकि इसमें पाठ्यवस्तु के ज्ञान के साथ-साथ पाठ्यसहगामी क्रियाओं के आयोजन से ज्ञानात्मक, भावात्मक एवं क्रियात्मक पक्ष प्रभावित होता है।
7. पाठ्यक्रम के प्रभाव मापनीय नहीं होते हैं ।
पाठ्यविवरण—
1.पाठ्य विवरण का निर्माण, पाठ्यक्रम के आधार पपर किया जाता है। पाठ्य विवरण, पाठ्यक्रम का ही एक भाग होता है।
2.पाठ्यविवरण का निर्माण स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए स्थानीय निकायों जैसे स्थानीय शिक्षा बोर्ड, विभागाध्यक्ष अथवा विद्यालय स्तर पर भी किया जा सकता है।
3. इसमें उल्लेखित निर्देशों में लचीलापन होता है।
4. पाठ्यविवरण में एक शैक्षणिक सत्र के दौरान पढ़ाये जाने वाले विषयों की विषय-वस्तु अथवा प्रकरणों को सम्मिलित किया जाता है।
5. पाठ्यविवरण, पाठ्यक्रम का अंशमात्र है । यह संकीर्ण प्रकृति का है।
6. पाठ्यविवरण का सम्बन्ध बालक के ज्ञानात्मक विकास से होता है । यह बालक के विषय-वस्तु के ज्ञान में सहायक होता है।
7. पाठ्यविवरण की उपलब्धि को मापा जा सकता है।
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