भारत-यूरोपीय संघ (EU) के मध्य व्यापक- आधारभूत व्यापार और निवेश समझौता की विवेचना कीजिए |
भारत-यूरोपीय संघ (EU) के मध्य व्यापक- आधारभूत व्यापार और निवेश समझौता की विवेचना कीजिए |
उत्तर- भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच 15वां शिखर सम्मेलन कोरोना काल में 15 जुलाई, 2020 को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किया गया था। भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष श्री चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष सुश्री उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने किया था।
सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधियों के बीच भारत और यूरोपीय संघ में लोगों तक ठोस लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लोकतंत्र, स्वतंत्रता, कानून के शासन तथा मानव अधिकारों के लिए सम्मान के साझा सिद्धांतों एवं मूल्यों के आधार पर भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का निर्णय लिया गया। सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के साथ एक नियम आधारित बहुपक्षीय क्रम को बढ़ावा देने के लिए अपने दृढ़ संकल्प को दोहराया गया। भारत और यूरोपीय संघ के लोग अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने, वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए तैयारियों एवं प्रक्रिया को मजबूत बनाने, वैश्विक आर्थिक स्थिरता और समावेशी विकास को बढ़ाने, सतत विकास लक्ष्यों को लागू
करने तथा जलवायु एवं पर्यावरण की रक्षा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने सहयोग को बढ़ावा देंगे। इस संदर्भ में, यूरोपीय संघ 2022 में भारत की ‘जी 20’ की अध्यक्षता और 2021 2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इसकी सदस्यता की उम्मीद कर रहा है ।
व्यापक-आधारभूत व्यापार एवं निवेश समझौता (BTIA) : यह भारत और यूरोपीय संघ के बीच का एक व्यापारिक समझौता प्रस्ताव है जिसमें प्रारम्भिक वार्ता बेल्जियम के ब्रुसेल्स में 28 जून, 2007 को शुरू हुई थी। इस प्रकार के व्यापाक आधारभूत व्यापार एवं निवेश समझौते के लिए 13 अक्टूबर, 2006 में हेलसिंकी में आयोजित सातवें भारत यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में उपस्थित राजनेताओं ने प्रतिबद्धता दिखाई थी। इसके पूर्व इस विषय में भारत और यूरोपीय संघ के एक उच्च-स्तरीय तकनीकी समूह ने एक प्रतिवेदन दिया था जो इस प्रकार के समझौता का मूल आधार होने वाला था।
BTIA वार्ता में जिन वस्तुओं और सेवाओं पर चर्चा हुई वे हैं-वस्तु व्यापार, सेवा व्यापार, निवेश, स्वच्छता एवं फाइटोसैनिट्री उपाय, व्यापार में आने वाली तकनीकी बाधाएँ, व्यापार उपचार, सीमा शुल्क प्रतिस्पर्धा, व्यापार रक्षा, सरकारी खरीद, विवाद निपटान, बौद्धिक संपदा अधिकार और भौगोलिक संकेतक जैसे सतत विकास के कई विषय |
महत्वः वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार तथा अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में निवेश की अड़चनें दूर कर भारत और यूरोपीय संघ द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देंगे। इसमें दोनों पक्षों का विश्वास है कि विश्व व्यापार संगठन के नियमों और सिद्धांतों के अनुरूप एक व्यापक समझौता करने से दोनों पक्षों के व्यवसाय को फैलने का अवसर मिलेगा।
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