‘जिला योजना’ से आप क्या समझते हैं ? इसके सफल होने के कौन से शर्त हैं ?

‘जिला योजना’ से आप क्या समझते हैं ? इसके सफल होने के कौन से शर्त हैं ?

( 40वीं BPSC/1995)
उत्तर- भारत में योजनाबद्ध विकास कार्य हेतु योजनाओं का निर्माण केंद्र स्तर पर हुआ। 1960 के दशक में राज्य स्तरीय योजनाओं का निर्माण किया जाने लगा। 1982 तक भारत में विभिन्न स्तरों पर योजनाओं का निर्माण किया जाने लगा। जैसे- केन्द्र स्तरीय योजना, राज्य स्तरीय योजना, जिला स्तरीय योजना, प्रखंड एवं पंचायत स्तर की योजना । इस प्रकार के नियोजन (Planning) को बहु-स्तरीय नियोजन (Multi Level Planning) कहा गया। इसका उद्देश्य योजनाओं के मूल उद्देश्य की प्राप्ति हेतु इनको विकेन्द्रीकृत (Decentralised) करना था। एक पूर्व प्रधानमंत्री ने जिला स्तरीय योजना की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा था, “वे चाहते हैं कि 8 वीं पंचवर्षीय योजना दिल्ली में बैठकर बनाने के बजाए जिला स्तर पर तैयार की जाए। जिला-स्तर पर वहां की स्थितियों को देखते हुए लक्ष्य व कार्यक्रम तय किए जाएं, फिर प्रदेश स्तर पर उन पर विचार कर अंत में योजना आयोग के पास सभी प्रदेशों से वहां की योजनाएं पहुंचेंगी, जहां उनके आधार पर पंचवर्षीय योजना बनाकर पुनः प्रदेश व जिले को भेजी जाएंगी।” 1992 एवं 1993 में संविधान का 73वां एवं 74वां संशोधन किया गया। इनका उद्देश्य क्रमश: ग्रामीण एवं शहरी स्थानीय शासन को कानूनी मान्यता देकर इन्हें मजबूत करना और पूरे देश में इसके कामकाज तथा बनावट में एकरूपता लाना था। इन संशोधनों से भारत में बहुस्तरीय नियोजन तथा विकेन्दीकृत नियोजन को बल मिला।
अतः जिला योजना से हमारा तात्पर्य ‘जिला परिषद’ जिला स्तर पर आबंटित होने वाले धन के अनुसार योजना बनाए एवं उन्हें अपने स्तर पर पूरा करे। जिला योजना के अंतर्गत सामान्यतः जिला स्तरीय सड़कों का निर्माण, पर्यटन स्थल का विकास, सड़कों के किनारे पेड़-पौधों को लगाना, महत्वूपर्ण जगहों पर पेयजल की व्यवस्था करना, नदियों पर छोटे-मोटे पुलों का निर्माण आदि कार्य किए जाते हैं। इन योजनाओं का सबसे महत्वपूर्ण फायदा ये है कि ऐसी योजनाएं क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरूप जमीनी स्तर पर बनाई जाती हैं। चूंकि धन का आबंटन जिला स्तर पर होता है, अत: भ्रष्टाचार की कम संभावना होती है एवं व्यवस्था में नौकरशाही की भूमिका कम हो जाती है। ऐसी योजनाएं जनता में विकास के प्रति जागरूकता पैदा करते हैं। भारत जैसे विशाल भौगोलिक, वृहद जनसंख्या, विविधतापूर्ण संस्कृति वाले देश में विकास
कार्य में स्थानीय लोगों की भागीदारी अत्यंत महत्वूपर्ण है। जिला योजना की सफलता के लिए आवश्यक शर्तें हैं
> सर्वप्रथम योजना-निर्माण में व्यवस्थित तरीका अपनाना चाहिए। जैसे योजना का निर्माण एक निश्चित समयावधि के लिए हो उसके बाद प्राथमिकता के आधार पर कार्यों का चुनाव किया जाए। साथ ही पिछले कार्यकाल के सदस्यों द्वारा बनाए गए योजनाओं को भी चलने दिया जाए एवं इन योजनाओं के निर्माण में जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों एवं विशेषज्ञों को भी शामिल करने की आवश्यकता है।
> योजना क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जनता की जागरूकता आवश्यक है। जन-जागरूकता के लिए जिला-प्रशासन भूमिका निभा रही है। साथ ही जिला प्रशासन भ्रष्टाचार की निगरानी अपने स्तर पर कर सकती है।
> इन योजनाओं के क्रियान्वयन में उपयोग की जाने वाली सामग्री उच्च स्तर की हो, इसे ध्यान में रखना आवश्यक है। जनप्रतिनिधि सस्ती सामग्री का प्रयोग कर लाभ कमाने का अनुचित प्रयास करते हैं। इसके लिए जिला प्रशासन एवं जनसामान्य को सक्रिय रहने की आवश्यकता है।
> एक ही क्षेत्र में अलग-अलग संस्थाओं, जनप्रतिनिधियों अथवा कार्यक्रमों के तहत विभिन्न योजनाएं चल रही होती हैं जिससे संपूर्ण खर्च की गई धन राशि अत्यधिक होने के बावजूद एक व्यवस्थित विकास कार्य नहीं हो पाता। इसके लिए इन योजनाओं के बीच सामंजस्य की आवश्यकता है।
> जिला योजना समिति को अधिकतम स्वायत्तता मिले एवं योजना कार्यान्वयन में प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप न्यूनतम हो ।
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