भारत में पर्यावरण सुरक्षा एवं स्थिरता के मोबाइल ऐप, ‘हरित भारत संकल्प’ के बारे में विवेचना कीजिए ।

भारत में पर्यावरण सुरक्षा एवं स्थिरता के मोबाइल ऐप, ‘हरित भारत संकल्प’ के बारे में विवेचना कीजिए ।

उत्तर- 2020 में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा भारत में 25 वर्ष का सेवाकाल पूरा हुआ है। इस उपलक्ष्य में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा अपना 25वां स्थापना दिवस मनाया गया जिसमें ‘हरियाली’ को लेकर एक अभियान चलाया गया। इसी स्थापना दिवस पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण मंत्री नितिन गडकरी ने ‘हरित भारत संकल्प’ के तहत राष्ट्रीय वृक्षारोपण अभियान शुरू करने की घोषणा की थी। हरित भारत संकल्प के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों के आसपास की भूमि पर लगभग 25 लाख पौधों को 25 दिनों के अंदर रोपित करने का लक्ष्य रखा गया था। यह अभियान 21 जुलाई से 15 अगस्त, 2020 तक चलाया गया था।
‘हरित भारत संकल्प’ मोबाइल ऐप का उद्देश्य
> हरित भारत संकल्प का मुख्य उद्देश्य हरियाली के साथ राष्ट्रीय राजमार्गों को स्वच्छ रखना है। हरित भारत संकल्प के अंतर्गत पौधारोपण करके सड़क सुरक्षा को भी बढ़ावा देना है। इस ‘हरित पथ’ द्वारा लोकेशन को मॉनिटर किया जाएगा की वृक्षारोपण किस-किस स्थान पर हुआ है।
> हरित भारत संकल्प के अंतर्गत लांच की गई ‘हरित पथ मोबाइल एप्लीकेशन’ में राष्ट्रीय राजमार्गों पर रोपित किए गए सभी वृक्षों और पौधों की प्रजाति की जानकारी देना, राष्ट्रीय राजमार्गों पर वृक्षारोपण और पौधों की वृद्धि, रख-रखाव की गतिविधियों की समय-समय पर जानकारी देते रहना है।
> राष्ट्रीय राजमार्गों पर वृक्षारोपण करके प्रदूषण को कम करना और खाली पड़ी भूमि का सदुपयोग करना है। ‘राष्ट्रीय वृक्षारोपण अभियान’ के तहत रोपित किए गए पेड़ पौधों के उचित रख-रखाव और लापता वृक्षों के साथ मृत पौधों एवं खराब संयंत्रों को बदलने की जिम्मेवारी ठेकेदार की होगी।
> राष्ट्रीय राजमार्गों को हरा भरा बनाए रखने के लिए एनएचएआई के क्षेत्रीय कार्यालयों के जरिए देशभर में हाइवे के दोनों तरफ पौधे लगाए जा रहे हैं। 100% पौधों को जीवित रखने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ 1.5 मीटर की न्यूनतम ऊंचाई वाले वृक्षों या बड़ी झाड़ियों की कतार लगाने पर जोर दिया गया है ।
> ऐप शुरू होने के बाद, एनएचएआई ने 150 आरओ/पीडी/बागवानी विशेषज्ञों की यूजर आईडी बनाने का काम शुरू कर दिया था। इसके अलावा, लगभग 7800 पौधों की ‘जियो टैगिंग’ भी की गई थी।
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