लेखन कौशल के तत्त्वों की विवेचना कीजिए ।
लेखन कौशल के तत्त्वों की विवेचना कीजिए ।
उत्तर— लेखन कौशल के तत्त्व–आत्माभिव्यक्ति का एक महत्त्वपूर्ण साधन है— लेखन । पठन के द्वारा बालक लिखित भाषा का अर्थ ग्रहण करते हैं तथा लेखन के द्वारा वह अपने भावों तथा विचारों का प्रकाशन करता है । लेखन कौशल के मुख्य तत्त्व निम्न हैं—
(1) लिपि—यह लिखित भाषा का मूल तत्त्व है। लिपि का स्पष्ट ज्ञान होने पर लेखक अपनी मौखिक भाषा को लिखित स्वरूप प्रदान कर सकता है। इसलिए आवश्यक है कि लेखक को सर्वप्रथम प्रत्येक वर्ग के लिए प्रयुक्त होने वाले चिह्न विशेष का स्पष्ट ज्ञान हो । हिन्दी भाषा में स्वतन्त्र ध्वनियों के अतिरिक्त कुछ संयुक्त ध्वनियाँ भी हैं, जिन्हें भिन्नभिन्न चिह्नों के संयुक्त रूप में प्रकट किया जाता है।
(2) वाक्य—वाक्य अभिव्यक्ति की इकाई होती है। लेखक की भाषा में निपुणता तभी प्राप्त हो सकती है, जब वह सर्वमान्य वाक्य रचना अर्थात् व्याकरण सम्मत वाक्य रचना का भी प्रयोग करे। वाक्य रचना के सम्बन्ध में दो बातें ध्यान रखने योग्य हैं। प्रथम यह है कि लेखक वाक्य में शब्दों को उनके उचित क्रम में रखे तथा द्वितीय, वह विराम चिन्हों का उपयुक्त प्रयोग करें, ‘रोको मत’, ‘जाने दो’ वाक्य में यदि हम अर्द्धविराम बदलकर ‘रोको’, मत ‘जाने दो’ लिख दें तो निश्चित ही उसका अर्थ परिवर्तित हो जायेगा।
(3) शब्द—शब्द ज्ञान के अन्तर्गत दो बातें आती हैं—शब्द का शुद्ध उच्चारण एवं शुद्ध लेखन तथा उसका सही अर्थ जानना । हिन्दी भाषा की वर्तनी उनके शुद्ध उच्चारण पर निर्भर करती है, स्पष्ट है कि जब तक लेखक शब्दों का शुद्ध उच्चारण नहीं करेगा, वह उन्हें शुद्ध रूप में लिख नहीं पायेगा। शब्दों के सही अर्थ से परिचित होना भी आवश्यक है क्योंकि भाषा में पर्याप्त शब्दों की अधिकता है और इन शब्दों के अर्थों में कुछ-न-कुछ अन्तर अवश्य होता है।
(4) विषयानुकूल भाषा-शैली—लेखक को अपने भाव व विचार व्यक्त करने के लिए विषयानुकूल भाषा-शैली का प्रयोग करना चाहिये; जैसे- पद्य में भक्ति और शृंगार वर्णन, गेयपदों में, नीति की बालक में, शौर्य, वर्णन कवित्त अथवा कविता में कहना अधिक प्रभावकारी दोहा होता है। इसी प्रकार किसी घटना का वर्णन वर्णनात्मक शैली में, गम्भीर विषय की व्याख्या गवेषणात्मक शैली में तथा पाखण्ड करने वाले को सही मार्ग पर लाने के लिए व्यंग्यात्मक शैली में लिखना अधिक उपयुक्त होता है।
(5) तार्किक क्रम में विचार प्रस्तुत करना—लेखन के लिए यह अंति आवश्यक है कि लेखक को विचारों की गूढ़तम अनुभूति हो और वह उन्हें पाठकों के समक्ष तार्किक क्रम में प्रस्तुत करें। दूसरे शब्दों में लेख में विचारों की सुसम्बद्धता पूर्ण रूप से हो । लेख में जो कुछ भी लिखा जाये, वह तर्कपूर्ण ढंग से अनुच्छेदों में विभाजित करके लिखा जाये।
(6) लोकोक्ति और मुहावरे—लोकोक्ति और मुहावरे, विशेष शब्द-समूह होते हैं । यथार्थ यह है कि ये न तो शब्द होते हैं और न वाक्य । लेकिन इनके प्रयोग से अभिव्यक्ति में चमत्कार आता है। इसलिए लेखकों को शब्दों के साथ-साथ लोकोक्ति तथा मुहावरों का ज्ञान भी होना चाहिए तथा लेखन में उनका प्रयोग भी करना चाहिए।
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