वैश्वीकरण की अवधारणा स्पष्ट करते हुए इसकी विशेषताएँ लिखिए। शिक्षा पर वैश्वीकरण का प्रभाव बताइये।

वैश्वीकरण की अवधारणा स्पष्ट करते हुए इसकी विशेषताएँ लिखिए। शिक्षा पर वैश्वीकरण का प्रभाव बताइये।

उत्तर— वैश्वीकरण का सामान्य रूप से अर्थ विश्व की सम्पूर्ण आर्थिक, सामाजिक तथा शैक्षिक गतिविधियों का ज्ञान सभी को होना चाहिए। दूसरे शब्दों में संसार में विकसित एवं विकासशील देशों द्वारा परस्पर मिलकर विकास के पथ पर अग्रसर होते हैं।
ग्लोब जिस प्रकार अपनी धुरी पर घूमता है, ठीक उसी प्रकार समस्त पृथ्वी की सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक क्रियाएँ एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं तथा वर्तमान व्यवस्था में कोई भी देश किसी भी समस्या के लिए अकेला नहीं है बल्कि सम्पूर्ण ग्लोब (पृथ्वी) उसके साथ है। दूसरे शब्दों में संसार के मानचित्र में सभी देश एक-दूसरे के विकास के लिए एवं समाधान के लिए कटिबद्ध हैं।
वैश्वीकरण की परिभाषाएँ– वैश्वीकरणी की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं—
(1) जे.पी. श्रीनिवास के शब्दों में, “विश्व की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं मानवीय समस्याओं का समाधान जब विश्व के एक वैचारिक मंच पर होता है, तब वैश्वीकरण का संकेत मिलता है। “
(2) प्रो. टी. के. माधवन के अनुसार, “विश्व की अर्थव्यवस्था का विकास एवं सामाजिक विकास राज्य के नियन्त्रण की सीमितता के अन्तर्गत होता है तब वह प्रक्रिया वैश्वीकरण कहलाती है।”
इस प्रकार यह कहा जा सकता है वैश्वीकरण मुख्य रूप से मानव के आर्थिक एवं सामाजिक कल्याण से सम्बन्धित प्रक्रियाओं से है जो कि उसके विभिन्न प्रकार के पक्षों से सम्बन्धित है।
वैश्वीकरण के उद्देश्य– मानव आज के युग में विकास एवं उच्च जीवन स्तर के लिए वैश्वीकरण का क्षेत्र अधिक व्यापक हो गया है। वैश्वीकरण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं
(1) विकास के लिए नवीन साझेदारी– वैश्वीकरण में विकास के लिए विकास के विभिन्न प्रकार के संगठनों का सहयोग एवं नवीन सन्धियाँ विकासशील देशों को सर्वत्र विकास के पथ पर अग्रसर कर रही हैं जिससे विश्व की एक नवीन विकसित संरचना दृष्टिगोचर होती है।
(2) आर्थिक समानता– वैश्वीकरण का प्रमुख उद्देश्य आर्थिक असमानता को दूर करते हुए, विकासशील देशों को विकसित देश बनाना है। संसार के पटल पर किसी भी प्रकार की असमानता नहीं रहनी चाहिए एवं आर्थिक विकास समान रूप से होना चाहिए। इसके अन्तर्गत आर्थिक रूप से पिछड़े देशों को आर्थिक सहायता से पिछड़े देशों का विकास सुनिश्चित करने का प्रयत्न किया जाता है।
(3) उदारीकरण– उदारीकरण के क्षेत्र में भी वैश्वीकरण का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। सम्पूर्ण विश्व में आर्थिक सुधारों, सामाजिक सुधारों एवं शैक्षिक सुधारों का श्रेय वैश्वीकरण को जाता है। रूस जैसे देश में आर्थिक सुधारों का श्रेय वैश्वीकरण को ही जाता है।
(4) गरीबी उन्मूलन– आर्थिक असमानता के कारण गरीबी से जूझते हुए देशों में आर्थिक सुधारों एवं सहायता के माध्यम से गरीबी को समाप्त करना वैश्वीकरण का उद्देश्य है। विश्व बैंक द्वारा विभिन्न योजनाओं के लिए गरीब देशों को अनुदान प्रदान करना इसका प्रमुख उदाहरण है।
(5) सन्तुलित विकास– संसार के पटल पर किसी भी क्षेत्र में विकास असन्तुलित रूप से न हो इसके लिए विभिन्न मानकों का निर्धारण वैश्वीकरण के द्वारा सम्भव हुआ है। अफगानिस्तान के विकास के लिए भारत जैसे देश द्वारा आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना वैश्वीकरण का उद्देश्य है।
(6) उच्च जीवन स्तर— गरीबी रेखा से ऊपर उठाकर व्यक्ति को उच्च जीवन स्तर तक पहुँचाना भी वैश्वीकरण का उद्देश्य है। मानव समाज के लिए मूलभूत आवश्यकताओं को उपलब्ध कराना तथा इस कार्य के लिए धन उपलब्ध कराना वैश्वीकरण के द्वारा ही सम्भव हुआ है। विकासशील देशों द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर देशों को विद्युत एवं सड़क योजना के लिए ऋण प्रदान करना भी वैश्वीकरण का ही उदाहरण
(7) अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग– अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग की अविरल धारा जो संसार में प्रवाहित हो रही है, यह वैश्वीकरण का ही परिणाम है। पाकिस्तान द्वारा गैस पाइप लाइन को अपने क्षेत्र से होकर जाने की अनुमति प्रदान करना भी अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना का उत्कृष्ट उदाहरण है जो कि वैश्वीकरण का ही परिणाम है।
(8) विश्व बन्धुत्व की भावना– विश्व बन्धुत्व की भावना को जन्म देने का श्रेय वैश्वीकरण को जाता है। वर्तमान में जब किसी समस्या के समाधान के लिए सभी देश एक-दूसरे के साथ होते हैं। यह वैश्वीकरण का ही प्रभाव है। गुजरात के भूकम्प में पुनर्निर्माण एवं बचाव कार्य के लिए प्रचुर मात्रा में धन उपलब्ध कराना एवं मानवीय सहायता उपलब्ध कराना इसका एक उदाहरण है।
(9) सरकारी नियन्त्रण की सीमितता– वैश्वीकरण ने विभिन्न देशों में सरकारी नियन्त्रण को सीमित कर दिया है। अब सरकारी नियन्त्रण उद्योगों की सुरक्षा एवं धन उपलब्ध कराने तक ही सीमित है। दूसरे शब्दों में सरकार का कार्य विभिन्न प्रकार के उद्योग एवं संगठनों का संरक्षण ही माना जाता है। आयात कर एवं निर्यात कर में कमी, इसका प्रमुख उदाहरण है।
( 10 ) निजीकरण–निजी सम्पत्ति के सिद्धान्त एवं औद्योगिक क्षेत्र में निजीकरण का श्रेय वैश्वीकरण को जाता है। वर्तमान में विभिन्न स्तरों पर कार्य कुशलता को बढ़ाने के लिए, विश्व स्तर पर किये गये प्रयासों का परिणाम निजीकरण द्वारा ही सम्भव हुआ है। स्तर समूह के होटलों का निजीकरण इसका प्रमुख उदाहरण है।
उपर्युक्त उद्देश्यों को दृष्टिगोचर करते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि वैश्वीकरण के उद्देश्य सार्वभौमिक एवं सर्वव्यापक हैं। प्रो. एस. के. दुबे के अनुसार, “वैश्वीकरण के उद्देश्यों में इतनी सार्वभौमिकता एवं सर्वव्यापकता निहित है कि उनको प्राप्त करने के बाद विश्व संरचना मनोरम एवं सुन्दर होगी जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है।”
वैश्वीकरण की विशेषताएँ— वैश्वीकरण की अवधारणा एवं उद्देश्य पर दृष्टिपात किया जाय तो निम्नलिखित विशेषताएँ दृष्टिगोचर होती हैं—
(1) सद्भावना पर आधारित– वैश्वीकरण में समत्व की भावना पायी जाती है, इसमें प्रत्येक मानवीय कार्य के लिए सद्भाव की अवस्था रहती है। शत्रुता भाव का अभाव इस व्यवस्था में पाया जाता है।
(2) सहयोग पर आधारित– वैश्वीकरण की अवधारणा का अवलोकन करने पर पता चलता है कि वैश्वीकरण सहयोग की भावना पर आधारित है। इसमें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक-दूसरे देश की सहायता पर विशेष बल दिया जाता है। भूकम्प, बाढ़, सुनामी आदि दैवीय आपदा के समय अन्तर्राष्ट्रीय सहायता सहयोग पर ही आधारित है ।
(3) एक की समस्या सभी की समस्या– किसी भी देश की समस्या को केवल उसी की समस्या न मानकर सभी देश उसे अपनी समस्या मानते हैं, जैसे भारत की आतंकवाद की समस्या को सभी देशों द्वारा अन्ततः स्वीकार करना ही पड़ा है ।
(4) सूचना तकनीकी का विकास– आज संसार में सूचना प्रणाली का जो जाल फैला हुआ है यह वैश्वीकरण की प्रमुख विशेषता है। आज घर बैठे ही सूचना देश के किसी कोने में भेज सकते हैं और वहाँ की सूचना अपने पास मँगा सकते हैं।
(5) विचारधाराओं का महत्त्व– विभिन्न प्रकार के राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक आयोजनों में सभी के विचारों को एक मंच पर सुना जाता है और आवश्यकता के अनुसार महत्त्व भी प्रदान किया जाता है।
(6) तकनीकी शिक्षा का विकास– वैश्वीकरण की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें तकनीकी शिक्षा का विकास तीव्र गति से होता है, क्योंकि एक देश को तकनीकी यन्त्रों के माध्यम से ही दूसरे देशों में पहुँचाया जा सकता है। एक देश दूसरे देशों को तकनीकी का आदानप्रदान भी करते हैं ।
(7) मानवता का विकास– वैश्वीकरण के अन्तर्गत मानवतावादी विचारधारा को अधिक महत्त्व दिया जाता है। मानव कल्याण के लिए कई अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं को प्रभावशाली बनाया जा रहा है। यूनीसेफ को सशक्त बनाना इसी विशेषता को प्रदर्शित करता है।
(8) समस्या समाधान में एकता– समस्या चाहे किसी भी देश की हो उसके समाधान का दायित्व सभी देशों का होता है। रूस के विखण्डन के बाद की उत्पन्न स्थिति में अमेरिका भारत जैसे देशों का सहयोग वैश्वीकरण की इस विशेषता को प्रदर्शित करता है।
(9) विकसित देशों का नियन्त्रण– वैश्वीकरण की वर्तमान व्यवस्था में प्राय: यह देखा जाता है कि विकसित देशों का प्रभाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इस प्रकार से वैश्वीकरण में विकसित देशों के हस्तक्षेप को अति गम्भीर दोष के रूप में भी देखा जाता है।
(10) अधिक सरकारी हस्तक्षेप अनुचित– वैश्वीकरण में सरकारी हस्तक्षेप की अधिकता को अनुचित बताया है। व्यवस्था के अन्तर्गत एक आत्मानुशासन की भावना होनी चाहिए। नियंत्रण की अधिकता के आधार पर किसी प्रकार का विकास सम्भव नहीं हो सकता है।
शिक्षा पर वैश्वीकरण का प्रभाव– वैश्वीकरण का प्रभाव चूँकि सबसे अधिक आर्थिक स्तर तथा व्यावसायिक स्तर पर पड़ा है। विश्व स्तर पर आर्थिक वृद्धि एवं सुधार हेतु आवश्यक है कि शिक्षा द्वारा व्यावसायिक कुशलता की दृष्टि से शिक्षा के उद्देश्य निर्धारित हों । वैश्वीकरण के प्रभाव से शिक्षा द्वारा बच्चे को वैश्विक स्तर पर तैयार किया जाता है जिससे वह व्यावसायिक प्रशिक्षण द्वारा आर्थिक वृद्धि में सहायक हो सके । इसके अतिरिक्त वैश्वीकरण के प्रभावस्वरूप शिक्षा के कुछ अन्य परिवर्तित उद्देश्य इस प्रकार हैं—
(1) वैश्वीकरण के प्रभाव से शिक्षा के उद्देश्य में भी परिवर्तन हुआ है तथा तार्किक एवं वैज्ञानिक चेतना का विकास हुआ है।
(2) शिक्षा का उद्देश्य विश्व स्तर के आधार पर शारीरिक एवं मानसिक कुशलताओं का विकास करना।
(3) वैश्वीकरण का सबसे अधिक प्रभाव शिक्षा के व्यावसायीकरण के उद्देश्यों पर पड़ा है। व्यावसायिक उद्देश्य द्वारा बेरोजगारी की समस्या का निदान करना है।
(4) वैज्ञानिक एवं सामाजिक परिवर्तनों के क्षेत्रों में नवीन खोजों का विकास करना ।
(5) वैश्वीकरण से विधिवेत्ता, चिकित्सक, शिक्षाशास्त्री एवं विशिष्ट नागरिकों का विकास करना ।
(6) वैश्वीकरण के प्रभाव से विदेशी विश्वविद्यालयों में शिक्षा के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराना ।
(7) वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण उद्देश्यों को सम्मिलित करना ।
(8) वैश्विक स्तर पर नवीन तथ्यों एवं जानकारियों को विद्यार्थियों से परिचित कराना।
(9) नवीन शिक्षण पद्धति, अनुशासन पद्धति आदि का समावेश करना ।
(10) अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना का विकास करना ।
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