शिक्षा एवं औद्योगिकीकरण के मध्य क्या सम्बन्ध है ?
शिक्षा एवं औद्योगिकीकरण के मध्य क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर— शिक्षा एवं औद्योगीकरण—औद्योगीकरण का प्रमुख सम्बन्ध सामान्य शिक्षा के पश्चात् विशिष्ट शिक्षा प्राप्त करने से होता है। यहाँ विशिष्ट शिक्षा से तात्पर्य व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा से है । औद्योगीकरण की प्रक्रिया एवं शिक्षा के मध्य सीधा सम्बन्ध है। शिक्षा के द्वारा विभिन्न प्रकार के कौशलों का विकास छात्रों में किया जाता है। जिसके फलस्वरूप औद्योगीकरण की प्रक्रिया को गति मिलती है। स्पष्ट है कि औद्योगीकरण की प्रक्रिया उन देशों में अच्छी होती है जहाँ शिक्षा का स्तर उच्च होता है। अतः शिक्षा एवं औद्योगीकरण में प्रत्यक्ष एवं गहरा सम्बन्ध है ।
शिक्षा एवं औद्योगीकरण के मध्य सम्बन्ध निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट हैं—
(1) सामाजिक विकास में सहायक – शिक्षा एवं उद्योग दोनों ही ‘सामाजिक आवश्यकता है। किसी भी समाज का विकास दोनों पर ही निर्भर करता है। किसी भी समाज में जब शिक्षा का स्तर उच्च होता है तो प्रत्येक कार्य को करने की विधियाँ भी उच्च स्तरीय होती हैं।
(2) कौशलों का विकास एवं उपयोग – शिक्षा के माध्यम से छात्र में निहित कौशलों का उपयोग होता है। इन कौशलों का उपयोग वह औद्योगिक क्षेत्र में करता है।
(3) मानवीय संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग – मानवीय संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग शिक्षा एवं औद्योगीकरण द्वारा होता है। प्रत्येक छात्र की प्रतिभा का विकास शिक्षा द्वारा ही सम्भव होता है। जब किसी छात्र की प्रतिभा का विकास होता है तो उसका उपयोग वह मानवीय हित एवं समाज के विकास में करता है। इसके लिये वह अपनी प्रतिभा के अनुरूप उद्योगों का चयन करके स्वयं के हित एवं समाज के हित का कार्य करता है।
(4) प्राकृतिक संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग – प्रकृति में अनेक प्रकार के महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी संसाधन हैं। इनका ज्ञान मानव को तब तक नहीं हो सकता जब तक कि उसको शिक्षा प्राप्त न हो । शिक्षा के माध्यम से विविध प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग का ज्ञान होता है। इसके उपरान्त उनका सर्वोत्तम उपयोग उद्योग द्वारा सम्भव होता है।
(5) रोजगार का विकास – शिक्षा के माध्यम से औद्योगीकरण की प्रक्रिया तीव्र होती है परिणामस्वरूप विविध उद्योगों में रोजगार की उपलब्धि होती है। वर्तमान समय में औद्योगीकरण एवं शिक्षा के विविध रूपों में या क्षेत्रों में अनेक व्यक्ति रोजगार प्राप्त कर रहे हैं तथा विकास का मार्ग प्रशस्त कर रहे
(6) आर्थिक विकास का आधार – औद्योगीकरण एवं शिक्षा आर्थिक विकास के प्रमुख आधार माने जाते हैं। सामान्य रूप से एक राष्ट्र को सर्वप्रथम शिक्षित होना आवश्यक है। इसके बाद ही वह विविध क्षेत्रों में उद्योगों को सर्वोत्तम रूप में विकसित करता है। परिणामस्वरूप देश का आर्थिक विकास तीव्र गति से होता है।
(7) कृषि विकास में सहायक – शिक्षा के द्वारा ही कृषि विकास की स्थिति उत्पन्न होती है। वर्तमान समय में कृषि ट्रैक्टर एवं अन्य उपकरणों के माध्यम से की जाती है। वर्तमान समय में उन्नत बीजों का उपयोग होता है जिससे उत्पादन अधिक होता है। इस प्रकार शिक्षा एवं कृषि उद्योग एक-दूसरे से सम्बन्धित होते हैं ।
(8) जीवन स्तर का विकास – वर्तमान समय में जिन राष्ट्रों की शिक्षा का स्तर उच्च है उन राष्ट्रों का जीवन स्तर भी उच्च होता है क्योंकि वहाँ औद्योगिक विकास की स्थिति सर्वोत्तम रूप में होती है। इससे प्रत्येक व्यक्ति को वह सभी सुविधाएँ प्राप्त होती हैं जो कि उसके सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक होती है।
(9) राष्ट्रीय विकास में सहायक – शिक्षा एवं औद्योगीकरण का समन्वित रूप ही राष्ट्रीय विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। विश्व में जितने भी विकसित देश हैं उनमें औद्योगीकरण एवं शिक्षा दोनों ही सर्वोत्तम रूप में है।
(10) शिक्षा एवं औद्योगीकरण एक–दूसरे के पूरक हैं— शिक्षा एवं औद्योगीकरण एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं। किसी भी क्षेत्र में औद्योगिक विकास शिक्षा के द्वारा ही सम्भव होता है । औद्योगीकरण की आवश्यकता ने ही शिक्षा को नवीन स्वरूप प्रदान किया है। वर्तमान समय में तकनीकी शिक्षा के महत्त्व में वृद्धि हुई है क्योंकि उद्योगों के विकास के लिये तकनीकी शिक्षा की आवश्यकता अनुभव की जाती है।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि शिक्षा एवं औद्योगीकरण एक-दूसरे से सम्बन्धित है तथा दोनों का सन्तुलित विकास वर्तमान समय की आवश्यकता है। अतः विद्यालयी शिक्षा की रूपरेखा शिक्षा एवं उद्योग को ध्यान में रखकर तैयार करनी चाहिए।
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