एक अध्यापक को एक बालक के वृद्धि एवं विकास का अध्ययन क्यों करना चाहिए ?

एक अध्यापक को एक बालक के वृद्धि एवं विकास का अध्ययन क्यों करना चाहिए ? 

उत्तर— अभिवृद्धि एवं विकास का ज्ञान शिक्षक एवं सामान्य व्यक्ति सभी के लिए महत्त्वपूर्ण होता है। इनके ज्ञान का महत्त्व निम्नलिखित दृष्टियों से अधिक हैं—

अभिवृद्धि एवं विकास के ज्ञान से ज्ञात होता है कि बालकों से कब और किस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा करनी चाहिए। इसके ज्ञान के अभाव में हम बालकों से बहुत अधिक गुणों की अपेक्षा करने लगते हैं या उनको निरर्थक समझने लगते हैं। ये दोनों ही स्थितियाँ बालक के विकास के लिए हितकर नहीं होती हैं। प्रथम स्थिति में बालक में हीनता की भावना आ जाती है और दूसरी स्थिति में उनको विकास के उत्प्रेरक नहीं मिल पाते हैं ।
अभिवृद्धि एवं विकास का ज्ञान हमको यह बताता है कि हम कब बालकों के विकास के लिए प्रेरणा प्रदान करें। उदाहरण के लिए, जब बालक चलना या बोलना प्रारम्भ करे तो उसे इसका अभ्यास करवाना चाहिए।
विकास के परिणामस्वरूप होने वाले परिवर्तनों से अनभिज्ञ होने के कारण बालकों में कभी-कभी मानसिक तनाव या संघर्ष पैदा हो जाता है जिसके कारण उनमें भावना-ग्रन्थियाँ विकसित हो जाती हैं। शिक्षक एवं माता-पिता बालकों को विकास सम्बन्धी परिवर्तनों का पूर्व ज्ञान देकर उनमें उत्पन्न होने वाले तनाव को कम कर सकते हैं।
अभिवृद्धि एवं विकास का ज्ञान शिक्षक को विद्यालयों में क्रियाओं का आयोजन करने में भी सहायक होता है।
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