सह सम्बन्ध या समन्वय के महत्त्व से आप क्या समझते हैं ?

सह सम्बन्ध या समन्वय के महत्त्व से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर— सह-सम्बन्ध या समन्वय का महत्त्व–सह – सम्बन्ध या समन्वय के महत्त्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर समझा जा सकता है—

(1) वर्तमान सह-सम्बन्ध पाठ्यक्रम के भार को कम करता है, में विद्यालयों में विषयों की संख्या बहुत अधिक हो गई है। इनका अध्ययन सह-सम्बन्ध के बिना प्रभावी नहीं हो सकता है।
(2) सह- सम्बन्ध शिक्षा में बालक की रुचि का विकास करता है। सह-सम्बन्ध स्थापित करके पढ़ाने से विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुसार शिक्षा ग्रहण करने में समर्थ होगा और उसका ज्ञान स्थायी भी होगा ।
(3) शिक्षण प्रक्रिया में कम समय लगता है और कम समय में बालक अधिक ज्ञान प्राप्त कर लेता है। जब विषयों में एक समान पाठ्यवस्तु के पाठ होते हैं तब अलग-अलग विषयों में न पढ़ाकर समन्वित रूप से पढ़ाया जा सकता है।
(4) सह-सम्बन्ध ज्ञान की अखंडता को प्रतिपादित करता है। अखंडता के बोध के लिए शिक्षण प्रक्रिया में सह-सम्बन्ध का उपयोग आवश्यक है।
(5) विषयों के ज्ञान के व्यावहारिक पक्ष के लिए भी सहसम्बन्ध अत्यन्त आवश्यक है। इसके साथ ही सह-सम्बन्ध द्वारा बालकों को संकीर्णता की भावना से दूर रखकर उनमें उदारता व सहिष्णुता का विकास किया जा सकता है।
यह सह-सम्बन्ध की स्थापना का महत्त्व है जिससे शिक्षा के विभिन्न उद्देश्यों को पूरा किया जा सकता है।
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