सामान्य विज्ञान का सामाजिक विषय एवं भाषा से सह-सम्बन्ध स्पष्ट करें ।

सामान्य विज्ञान का सामाजिक विषय एवं भाषा से सह-सम्बन्ध स्पष्ट करें । 

उत्तर— विज्ञान और सामाजिक विज्ञान का सह सम्बन्ध– विज्ञान केवल भौतिक विज्ञानों से ही सम्बन्धित नहीं है अपितु इसका अनेक सामाजिक विज्ञानों से भी घनिष्ठ सम्बन्ध है। चूँकि सभी विज्ञानों का ध्रुव केन्द्र मानव है तथा मानव एक सामाजिक प्राणी है । अतः विज्ञान का सामाजिक विज्ञानों के साथ सम्बन्ध कोई नवीन बात नहीं है। पर्यावरण के कुछ सामाजिक विज्ञानों के साथ सम्बन्ध का यहाँ विवेचन आवश्यक है—
(1) विज्ञान और भूगोल–भूगोल ही ऐसा विषय है जिसमें भौतिक एवं सामाजिक विज्ञानों का मिश्रण पाया जाता है। भूगोल में अध्ययन मानव व उसके पर्यावरण तक केन्द्रित होता है। मानव और मानव और पर्यावरण के मध्य सम्बन्ध ही भूगोल की मुख्य विषय वस्तु है। आजकल तो भूगोल में पर्यावरण की पारिस्थितिक व्याख्या तथा किसी प्रदेश के पर्यावरण तत्त्वों और मानव वर्ग के बीच जैविक सम्बन्धों, आर्थिक सम्बन्धों और सामाजिक-सांस्कृतिक सम्बन्धों को समझने और उनका मूल्यांकन करने का प्रयास होता है। आजकल तो भूगोल की नवीन शाखा का जन्म हुआ है जिसे पर्यावरण भूगोल कहते हैं। पर्यावरण भूगोल विज्ञान को प्रादेशिक स्तर पर अध्ययन करने की प्रेरणा देता है।
(2) विज्ञान और राजनीति विज्ञान–ये दोनों विषय परस्पर सम्बन्धित हैं। राजनीति विज्ञान में राजनीतिक गठन, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों तथा देश के राजनीतिक कार्यों का अध्ययन किया जाता है। पर्यावरण के अनेक संघटक जैसे प्राकृतिक दशा, संसाधन, मिट्टी की उर्वरता, जनसंख्या, समुद्र तटीय स्थिति, किसी राष्ट्र के राजनीतिक ढाँचे, सरकार के स्वरूप, अन्य देशों में से सम्बन्ध को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में प्रभावित करते हैं। किसी देश की राष्ट्रीय सरकार की नीतियों पर ही राष्ट्र के पर्यावरण का उन्नयन या अवनयन निर्भर करता है।
(3) विज्ञान और अर्थशास्त्र–अर्थशास्त्र के मुख्य बिन्दु भोजन, आवास, वस्त्र, उत्पादन, उपभोग और विनिमय है। इस विषय का ध्येय जीवन स्तर ऊँचा उठाने के लिए धन (wealth) का उचित उपयोग है। यहाँ धन से तात्पर्य उन सभी प्राकृतिक संसाधनों से है जिनका उपयोग आर्थिक उत्पादन सम्बन्धी क्रियाओं को प्रारम्भ करने के लिए किया जाता है। जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरूप आवश्यकताओं में वृद्धि और इनकी बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उत्पादन वृद्धि करना ही आधुनिक अर्थतन्त्र का उद्देश्य रहा है। इस उत्पादन वृद्धि में आधुनिक यान्त्रिकी एवं इंजीनियरिंग का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। लेकिन आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने प्राकृतिक संसाधनों का शोषण करके पर्यावरण अवनयन को अधिक प्रभावित किया है। पर्यावरण और उत्पादन में सन्तुलन होना आवश्यक है। अतः एक अर्थशास्त्री के लिए विज्ञान का अध्ययन करना अनिवार्य होना चाहिए।
(4) विज्ञान और समाजशास्त्र–समाजशास्त्र मानव की सामाजिक एवं सांस्कृतिक समस्याओं का अध्ययन करता है। इसमें पारिस्थितिकीमानव सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता हैं। आज समाज का गठन जनसंख्या वृद्धि के कारण बदल रहा है। सामाजिक एवं नैतिक मूल्य भी बदल रहे हैं। प्राचीन समाज में ऐसी परम्पराएँ थी जो प्राकृतिक एवं पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुँचाने के लिए मानव को उत्प्रेरित करती रहती थी। लेकिन आज सामाजिक परिवर्तन के कारण प्राचीन मूल्यों में गिरावट के फलस्वरूप पर्यावरण अवनयन हो रहा है। पहले वृक्ष काटना पाप था आज ठेकेदार उपयोगी या अनुपयोगी सभी प्रकार के वृक्षों को काटता चला जाता है। नदियों को माता कहा जाता था। लेकिन आज उन नदियों में अपशिष्ट पदार्थ डालकर उनके आंचल को गन्दा किया जा रहा है।
विज्ञान और भाषा का सह-सम्बन्ध–विज्ञान और भाषा का हमेशा से अटूट सम्बन्ध रहा है क्योंकि भाषा ही एकमात्र वह माध्यम होता है जिसके द्वारा वैज्ञानिक अपने मन के विचारों, योजनाओं तथ्यों एवं सिद्धान्तों को मनुष्य तक पहुँचाती है। वह अपने वैज्ञानिक निष्कर्षों को ठीक प्रकार से जनता के सामने रख सकता है। यही कारण है कि हमारे प्रमुख वैज्ञानिक वाटसन, प्रीस्टले, फैराडे, सर जगदीशचन्द्र बसु और रमन जैसे उच्च कोटि के महान् सेवकों का भाषा पर पूरी तरह नियन्त्रण था और उसी के माध्यम से वे अपनी खोजों के विषयों में सबको बता सके। आज भाषा की ही सहायता से दूर-दराज के देशों में रहने वाले वैज्ञानिकों के वैज्ञानिक कारनामे हमें पढ़ने को मिलते हैं और उनके महत्त्वपूर्ण अन्वेषण संसार के कोने-कोने में पहुँचा दिये जाते हैं।
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