स्वीकृत विषय-वस्तु के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
स्वीकृत विषय-वस्तु के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
उत्तर— स्वीकृत विषय-वस्तु के सिद्धान्त—जिस विषय की पाठ्य वस्तु का निर्माण हो रहा हो, पाठ्य सामग्री भी उसके उद्देश्यों के अनुरूप होनी चाहिए। कई बार हमें सामाजिक अध्ययन और विज्ञान का पाठ एक जैसा लगता है। लेकिन दोनों के अपने-अपने उद्देश्य हैं, इसलिए अपेक्षित सामग्री भी अलगं होगी।
(1) वैधता–पाठ्य सामग्री पाठ्यक्रम के राष्ट्रीय स्तर के हिसाब से होनी चाहिए। इसका अर्थ यह है कि सामग्री पाठ्यक्रम के लक्ष्य व उद्देश्यों के अनुरूप होनी चाहिए ।
(2) महत्ता–पाठ्य सामग्री छात्रों की आवश्यकतानुसार और इच्छाओं को पूरा करने वाली होनी चाहिए।
(3) सन्तुलन–पाठ्य सामग्री में केवल तथ्य ही नहीं होने चाहिए अपितु सिद्धान्त व मूल्यों को भी विशेष स्थान देना चाहिए। इसके अतिरिक्त सामग्री में संज्ञानात्मक, कौशल और भावात्मक तत्त्वों का भी उचित मिश्रण होना चाहिए।
(4) सम्पूर्णता–पाठ्य सामग्री में विषय से सम्बन्धित सभी महत्त्वपूर्ण बिन्दु सम्मिलित होने चाहिए। इसके अतिरिक्त छात्रों की परिपक्वता के अनुसार पाठ्य सामग्री में गहराई भी होनी चाहिए ।
(5) उपयोगिता–पाठ्य सामग्री व्यावहारिक होनी चाहिए। यह केवल याद रखने या परीक्षा पास करने तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए, अपितु इसकी उपयोगिता दैनिक जीवन में आने वाली समस्याओं को हल करने में भी होनी चाहिए।
(6) साध्यता–पाठ्य सामग्री जरूरत के हिसाब से ही होनी चाहिए। किसी विषय की पाठ्य वस्तु में उपलब्ध सामग्री उपलब्ध समय में ही पूरी हो जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त सामग्री स्कूल में उपलब्ध संसाधनों के अनुरूप भी खरी उतरनी चाहिए, तभी छात्रों का विकास सम्भव है।
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