भाषा में मौखिक अभियोग्यता से आप क्या समझते हैं?

भाषा में मौखिक अभियोग्यता से आप क्या समझते हैं? 

                       अथवा

भाषा विकास में मौखिक अभिव्यक्ति का क्या महत्त्व है ?
उत्तर— मौखिक अभिव्यक्ति का अर्थ — मौखिक ही “बोलना” है । मौखिक अभिव्यक्ति में मानव अपने विचार, भाव तथा उद्गार प्रकट करता है। जब व्यक्ति ध्वनियों के माध्यम से, मुख के अवयवों की सहायता से उच्चरित भाषा का प्रयोग करते हुए अपने विचारों को प्रकट करता है तब उसे मौखिक अभिव्यक्ति कहा जाता है। अतः यह कहा जा सकता है कि मुख से व्यक्त होने वाली मौखिक भाषा है और मुख के अवयवों के माध्यम से भावों व विचारों की अभिव्यक्ति मौखिक अभिव्यक्ति है।
मौखिक अभिव्यक्ति का महत्त्व (Importance of Oral Expression)—
मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मौखिक अभिव्यक्ति की आवश्यकता होती है। इसके महत्त्व को निम्नलिखित बातों से जाना जा सकता है—
(1) मौखिक भाषा लिखित भाषा की आधारशिला होती है।
(2) भाषा की शिक्षा मौखिक भाषा की शिक्षा से ही प्रारम्भ होती है।
(3) मौखिक भाषा सरलता तथा शीघ्रता से समझी जा सकती है।
(4) मौखिक भाषा ही लिपि का वरदान पाकर लिखित भाषा का रूप धारण करती है ।
(5) मौखिक भाषा के द्वारा विचारों का आदान-प्रदान कर नवीन तथ्यों एवं बातों की जानकारी होती है और ज्ञान वृद्धि होती है।
(6) सामाजिक जीवन में सामंजस्य स्थापित करने व सामाजिक सम्बन्धों को सुदृढ़ बनाने में भी मौखिक भाषा की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
(7) मौखिक भाषा ही अभिव्यक्ति का सरलतम माध्यम है। मौखिक भाषा में ही मनुष्य अपने भावों को स्वाभाविक रूप से दूसरों के सम्मुख व्यक्त कर सकता है।
(8) दैनिक जीवन में हमारे सभी कार्य-कलापों में मौखिक भाषा ही प्रयुक्त होती है ।
(9) वर्तमान समय में राजनीतिक जीवन में सफलता प्राप्त
करने की दृष्टि से मौखिक भाषा का विशेष महत्त्व है।
(10) मौखिक अभिव्यक्ति द्वार, बालक के विचारों, भावों तथा मनोवृत्तियों का पता चलता है तथा इनका विकास भी किया जा सकता है ।
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