सामाजिक विज्ञान शिक्षण की जीवन गाथा पद्धति से आप क्या समझते हैं ?
सामाजिक विज्ञान शिक्षण की जीवन गाथा पद्धति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर— सामाजिक विज्ञान शिक्षण की जीवन गाथा पद्धति– कुछ विद्वानों का विचार है कि महापुरुषों की जीवन गाथाओं के रूप में इतिहास को क्रमिक रूप से पढ़ाया जाये । प्रत्येक महान् पुरुष अपने युग अथवा काल का प्रतिनिधित्व करता है और उसके द्वारा किये गये कार्यों से ही उसके काल की घटनाएँ प्रभावित होती हैं। निम्न कक्षाओं में यह पद्धति विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध होती है। इस विधि का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे ऐतिहासिक तथ्यों में सजीवता और रोचकता आ जाती है। दूसरे, बालक इतिहास के अध्ययन के लिए प्रेरित होते हैं। तीसरे, यह विधि ऐतिहासिक तथ्यों को स्थूलात्मक रूप में प्रस्तुत करने में सहायक होती है। इस पर भी जीवन गाथा विधि को अधिक अपनाने के पक्ष में विद्वान नहीं हैं। उनके अनुसार यह विधि अप्रजातान्त्रिक सिद्धान्त पर आधारित है और उच्च-निम्न भेद उत्पन्न करती है। अतः इसका प्रयोग कभी-कभी ही किया जाये ।
जीवन वृत्त विधि का प्रयोग इतिहास शिक्षण में प्रभावशाली ढंग से किया जाता है। इस विधि में महापुरुषों के जीवन वृत्त के रूप में इतिहास को क्रमिक रूप से पढ़ाया जाता है। अन्य शब्दों में, महापुरुषों की जीवन गाथाओं के द्वारा इतिहास या नागरिक शास्त्र की शिक्षा प्रदान की जाती है। इस विधि के समर्थकों के अनुसार इतिहास कालक्रम के अनुसार महान् और आदर्श पुरुषों की जीवन-गाथाओं की एक श्रृंखला है। अतः महान् पुरुषों की जीवन गाथाओं के द्वारा ही इतिहास का शिक्षण किया जाना उचित है। उदाहरण के लिए महात्मा गाँधी की बचपन की घटनाओं की गाथाओं को सुनाकर छात्रों को सत्य और प्रेम की शिक्षा की जाए; शेष जीवन की गाथा सुनकर राष्ट्रीय आन्दोलन का इतिहास पढ़ाया जा सकता है।
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