73वें संविधान संशोधन अधिनियम के आधारभूत प्रावधानों का वर्णन कीजिए |
73वें संविधान संशोधन अधिनियम के आधारभूत प्रावधानों का वर्णन कीजिए |
अथवा
संविधान संशोधन-प्रक्रिया का वर्णन करते हुए 73वें संविधान संशोधन (पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान करना) के मूल तत्वों का वर्णन करें।
उत्तर- समय के अनुसार किसी देश की स्थिति एवं आवश्यकता बदलती रहती है जिसके कारण समय-समय पर संबंधित देश के संविधान में संशोधन होते रहे हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में संविधान संशोधन के प्रक्रिया का वर्णन है। अब तक हमारे संविधान में 98 संशोधन हो चुके हैं। यह हमारे संविधान के लचीलेपन को दिखाता है लेकिन हरेक विषयों, जैसे नए राज्यों की स्थापना, वर्तमान राज्यों का पुनर्गठन राज्यों की विधान परिषदों की स्थापना अथवा उन्हें समाप्त करना आदि साधारण बहुमत द्वारा संशोधित हो जाते हैं परंतु कुछ प्रावधानों को संसद दो-तिहाई बहुमत से संशोधित करती है तथा उनका अनुमोदन अधिकतर राज्यों की विधान सभाओं द्वारा होना जरूरी है। उनमें राष्ट्रपति चुनाव, संघीय व राज्य कार्यकारिणी की शक्तियां, संघीय कार्यपालिका, उच्च न्यायालय, संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व, संशोधन प्रक्रिया इत्यादि शामिल हैं। “
संविधान का 73वां संशोधन (1993) पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया। इसके प्रमुख प्रावधानों को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत रखा जा सकता है
> ग्राम, मध्यवर्ती स्तर एवं जिला स्तर पर एक त्रि-स्तरीय व्यवस्था ।
> महिलाओं के लिए (1/3) आरक्षण एवं एससी/एसटी को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रत्येक स्तर पर आरक्षण।
> पंचायत का कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित किया गया एवं अवधि पूरी होने पर इसके अनिवार्य रूप से चुनाव कराने की व्यवस्था ।
> संशोधन के एक वर्ष और उसके बाद प्रत्येक 5 वर्ष के भीतर पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पुनर्विलोकन करने के लिए वित्त आयोग की स्थापना ।
> इस संशोधन द्वारा संविधान में 11वीं अनुसूची जोड़ी गई जिसमें 29 विषय हैं, जिन पर पंचायत का प्रशासनिक नियंत्रण होगा।
अतः 73वें संविधान संशोधन के द्वारा पंचायतों को संवैधानिक दर्जा दिया गया जो संविधान के अनुच्छेद 40 में सुरक्षित किए गए राज्यों की नीति-निर्देशक सिद्धांतों से प्रेरित है। साथ ही प्रशासन का विकेन्द्रीकरण, नौकरशाही की भूमिका में कमी, महिलाओं, एससी/एसटी वर्गों को आरक्षण आदि इस संशोधन की उपलब्धि है। आज हमारे ग्रामीण जीवन में पंचायतों का महत्वपूर्ण योगदान हो गया है। ग्रामीण स्तर पर नेतृत्वकर्ता पैदा हो रहे हैं जो भारतीय लोकतंत्र के लिए सकारात्मक स्थिति है।
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