‘न्यायिक सक्रियता’- अर्थ एवं मूल्यांकन (टिप्पणी- 200 शब्दों में)

‘न्यायिक सक्रियता’- अर्थ एवं मूल्यांकन (टिप्पणी- 200 शब्दों में)

अथवा

न्यायिक सक्रियता के अर्थ, मूल उद्देश्य, इसकी आवश्यकता फायदे तथा इससे न्यायपालिका एवं कार्यपालिका के मध्य टकराव की स्थिति का उल्लेख करें ।
उत्तर – संसदीय लोकतंत्र में विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के अपने कार्य तथा क्षेत्र निश्चित हैं परंतु विगत कुछ वर्षों से विधायिका तथा कार्यपालिका संविधान की मूल भावना ‘कल्याणकारी राज्य’ की संकल्पना के अनुरूप कानूनों का निर्माण तथा कानूनों को लागू करने में बहुत सक्षम नहीं है, जिससे संविधान संरक्षक के अपने कर्तव्य को निभाते हुए न्यायपालिका को अपने अधिकार क्षेत्र से आगे बढ़ते हुए कुछ नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप करना पड़ता है। फलतः विधायिका/कार्यपालिका तथा न्यायपालिका में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यद्यपि सामान्यतः ये हस्तक्षेप विशेष स्थिति में ही किए जाते हैं परंतु यह अपरंपरागत है जिसे ‘न्यायिक सक्रियता’ कहा जाता है।
न्यायपालिका जनहित याचिकाओं के माध्यम से ज्यादा सक्रिय रही है। इसका उद्देश्य संविधान की मूल भावना के अनुरूप समाज के कमजोर वर्गों के कानूनी अधिकारों का संरक्षण, पर्यावरण से संबंधित मुद्दे तथा अन्य लोकहित से संबंधित कार्य हैं। हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने अतिरिक्त अनाज जो, उचित व्यवस्था के अभाव में सड़ रहे थे। गरीबों में मुफ्त बांटने का आदेश दिया, लेकिन प्रधानमंत्री के मामले में हस्तक्षेप से उच्चतम न्यायालय को मौन धारण करना पड़ा। यह घटना कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के मध्य न्यायिक सक्रियता के कारण होने वाले टकराव को दिखता है। यद्यपि न्यायपालिका का कोई भी आदेश अथवा निर्देश लोकहित में होता है, परंतु कार्यपालिका उन्हें लागू करने में कभी-कभी असमर्थ होती है। यद्यपि न्यायपालिका के अधिकतर निर्देशों को कार्यपालिका द्वारा माना जाता है एवं उस पर कार्यवाही होती है।
अतः न्यायिक सक्रियता संविधान की मूल भावना के अनुरूप है परंतु विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के कार्य-क्षेत्र को अक्षुण्ण बनाए रखना जरूरी है। इसके लिए विधायिका एवं कार्यपालिका को अपने कार्य जनता के हित में अधिक तत्परता के साथ करने होंगे।
• न्यायिक सक्रियता
> अर्थ- कभी-कभी न्यायपालिका को अपने संविधान संरक्षक के कर्त्तव्य को निभाते हुए अपने परंपरागत अधिकार क्षेत्र से आगे बढ़कर कुछ नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप करना पड़ता है जिसे न्यायिक सक्रियता कहते हैं। इससे कार्यपालिका तथा न्यायपालिका में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
> उद्देश्य न्यायिक सक्रियता का मूल उद्देश्य संविधान की भावनाओं के अनुरूप सरकार के लोकहितवादी स्वरूप को कायम रखना है तथा कल्याणकारी राज्य की संकल्पना को लागू करना है ।
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