Bihar Secondary School Sample Paper Solved | BSEB Class 10th Sample Sets with Answers | Bihar Board class 10th Sample Paper Solved | Bihar Board Class 10th hindi Sample set – 4

Bihar Secondary School Sample Paper Solved | BSEB Class 10th Sample Sets with Answers | Bihar Board class 10th Sample Paper Solved | Bihar Board Class 10th hindi Sample set – 4

 

1. भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में हम किन्हें जानते हैं ? 
(A) महात्मा गाँधी
(B) डॉ० भीमराव अम्बेदकर 
(C) पंडित जवाहरलाल नेहरू
(D) सुभाषचन्द्र बोस
2. काशू मदन के साथ किस खेल में शरीक होना चाहता था ? 
(A) फुटबॉल के खेल में
(B) हॉकी के खेल में
(C) बैडमिंटन के खेल में
(D) लट्टू के खेल में
3. वारेन हेस्टिंग्स था 
(A) भारत का गवर्नर जेनरल
(B) फारस का राजा
(C) महान दार्शनिक
(D) प्रसिद्ध समाज सुधारक
4. महारानी विक्टोरिया ने नाइट की उपाधि प्रदान की
(A) मैक्समूलर को 
(B) अमरकांत को
(C) बिरजू महाराज को
(D) अशोक वाजपेयी को
5. ‘सर विलियम जोन्स’ ने भारत की यात्रा कब की थी ?
(A) 1957 ई० में
(B) 1750 ई० में
(C) 1790 ई० में
(D) 1783 ई० में
6. ‘आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी’ की साहित्य की किस विधा में लेखन नहीं है ?
(A) आलोचना
(B) उपन्यास
(C) कहानी 
(D) निबंध
7. कवि वीरेन डंगवाल के अनुसार जीवन में महत्त्वपूर्ण क्या है ?
(A) आराम
(B) नींद
(C) घूमना
(D) संघर्ष
8, गाँधीजी बढ़िया शिक्षा किसे कहते हैं ? 
(A) अहिंसक प्रतिरोध को  
(B) हिंसक प्रतिरोध को
(C) (A) एवं (B) दोनों को
(D) इनमें से कोई नहीं
9. ‘ढहते विश्वास’ कहानी मूलतः किस भाषा की है ? 
(A) कन्नड़ की
(B) उड़िया की  
(C) तमिल की
(D) तेलुगु की
10. ‘अक्षर ज्ञान’ शीर्षक कविता में कवयित्री ‘ङ’ का क्या अर्थ बताती  है ?
(A) माता-पिता
(B) भाई-बहन
(C) माँ-बेटी
(D) माँ बेटा 
11. ‘एक वृक्ष की हत्या’ शीर्षक कविता में ‘अक्खड़’ किसे कहा गया है ? 
(A) पहाड़ को
(B) व्यक्ति को
(C) वृक्ष को
(D) सैनिक को
12. ‘हिरोशिमा’ कविता किस काव्य संग्रह से ली गई हैं। 
(A) चिंता
(B) सदानीरा
(C) भग्नदूत
(D) बावरा अहेरी
13. ‘क’ का उच्चारण स्थान क्या है ? 
(A) कंठ 
(B) तालु
(C) मूर्द्धा
(D) ओठ
14. ‘भवन’ शब्द का सही संधि विच्छेद है 
(A) भ + वन
(B) भो + अन
(C) भौ + अन
(D) भव + न
15. ‘चौराहा’ शब्द का सही विग्रह है 
(A) चार राहों का समाहार 
(B) चार राही का समाहार
(C) चौड़े राहों का समाहार
(D) इनमें से कोई नहीं
16. किस समास का अंतिम पद प्रधान होता है ? 
(A) बहुब्रीहि का
(B) द्वंद्व का
(C) तत्पुरुष का
(D) अव्ययीभाव का
17. ‘परिवीक्षा’ शब्द में कौन-सा उपसर्ग है ?
(A) परि
(B) वीक्षा
 (C) परीक्षा
(D) इनमें कोई नहीं
18. ‘निकेतन’ शब्द किस शब्द का पर्यायवाची है ?
(A) नदी का
(B) खाई का
(C) घर का 
(D) जंगल का
19. ‘घृणा’ शब्द का विलोम रूप क्या होगा  ?
(A) अघृणा
(B) प्रेम
(C) क्रोध
(D) सुप्रेम
20. ‘हस्ताक्षर’ शब्द का प्रयोग किस वचन में होता है ?
(A) एकवचन में
(B) द्विवचन में
(C) बहुवचन में
(D) इनमें से कोई नहीं
21. ‘वह आया है।’ यह वाक्य उदाहरण है 
(A) सामान्य वर्तमान का
(B) पूर्णवर्तमान का
(C) पूर्णभूत का
(D) अपूर्णभूत का
22. ‘मनुष्यता’ शब्द में कौन-सा प्रत्यय है ?
(A) व्यत्व
(B) त्व
(C) अत्व
(D) ता 
23. ‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा’ एक प्रसिद्ध है।
(A) मुहावरा
(B) लोकोक्ति
(C) पदबंध
(D) वाक्य
24. ‘इतिहास’ शब्द का विशेषण है
(A) इतिहासिक
(B) इतिहासी
(C) एतिहासिक
(D) ऐतिहासिक
25. ‘मोती’ शब्द कौन-सा लिंग है ? 
(A) पुलिंग
(B) स्त्रीलिंग
(C) उभयलिंग
(D) इनमें से कोई नहीं
26. ‘लड़के पतंग उड़ा रहे थे।’ यह किस प्रकार का वाक्य है ? 
(A) संयुक्त वाक्य
(B) सरल वाक्य
(C) मिश्रवाक्य
(D) इनमें से कोई नहीं
27. सर्वनाम के कितने भेद हैं ?
(A) चार
(B) पाँच
(C) छः
(D) सात
28. मंगम्मा क्या बेचती थी ?
(A) दही
(B) दूध
(C) घी
(D) मक्खन
29. ‘लौटकर आऊँगा फिर’ पाठ किस विधा की है ?
(A) कविता
(B) निबंध
(C) कहानी
(D) साक्षात्कार
30. कुँवर नारायण कवि हैं 
(A) ग्राम संवेदना के
(B) नगर संवेदना के
(C) नदी संवेदना के
(D) वन संवेदना के
31. रेनर मारिया रिल्के के अनुसार ईश्वर को सर्वशक्तिमान के रूप में किसने प्रतिष्ठित किया ?
(A) मनुष्य ने
(B) कवि ने
(C) सृष्टि ने
(D) ईश्वर ने
32. ‘वहादुर’ पाठ के लेखक हैं
(A) अमरकांत
(B) अशोक बाजपेयी
(C) अनामिका
(D) कुँवर नारायण
33. आन्वियों कहाँ स्थित है ?
(A) इटली में
(B) फ्रांस में
(C) जापान में
(D) भारत में
34. नौहा किसे कहते हैं ?
(A) शहनाई को
(B) तबला को
(C) ढोलक को
(D) बाँसुरी को
35. दारिस नामक सोने के सिक्कों से भरा घड़ा किसे मिला था  ?
(A) हेकल
(B) हकर्स
(C) वारेन हेस्टिंग्स 
(D) विलियम जोन्स
36. पाप्पाति की उम्र क्या थी ?
(A) 10 वर्ष
(B) 11 वर्ष
(C) 12 वर्ष
(D) 14 वर्ष
37. किन्हें रीतिमुक्त कवि कहा जाता है ?
(A) सूरदास को
(B) तुलसीदास को
(C) रसखान को
(D) घनानन्द को
38. ‘भारतमाता’ शीर्षक कविता के रचनाकार हैं
(A) जयशंकर प्रसाद
(B) निराला
(C) सुमित्रानंदन पंत
(D) महादेवी वर्मा
39. वीरेन डंगवाल की रचना है
(A) हिरोशिमा
(B) हमारी नींद 
(C) जनतंत्र का जन्म
(D) अक्षर ज्ञान
40. ‘अज्ञेय’ ने निम्नांकित में किसका सूत्रपात किया ? 
(A) मानवतावाद का
(B) अतिवाद का
(C) प्रयोगवाद का  
(D) समाजवाद का
41. ‘प्रकृति का सुकुमार कवि’ किसे कहा जाता है ? 
(A) पंत को 
(B) दिनकर को
(C) निराला को
(D) भारतेंदु को
42. बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ का जन्म कब हुआ था ?
(A) 1855 ई० में 
(B) 1856 ई० में
(C) 1854 ई० में
(D) 1859 ई० में
43. ‘सुजान रसखान’ नामक ग्रंथ किसकी रचना है ?
(A) घनानंद की
(B) रहीम की
(C) रसखान की
(D) प्रेमघन की
44. बिस्मिल्ला खाँ की मृत्यु कब हुई ? 
(A) 21 अगस्त, 2006 ई० में 
(B) 21 अगस्त, 2005 ई० में
(C) 21 अगस्त, 2007 ई० में
(D) 21 अगस्त, 2008 ई० में
45. निम्नलिखित शब्दों में कौन-सा शब्द शुद्ध है ? 
(A) अर्न्तदेशीय
(B) अन्तदेर्शीय
(C) अंतर्देशीय
(D) अंतर्देशीय
46. हराम की कमाई हराम में जाती है के लिए सही वाक्य है 
(A) चोरी का माल मोरी में 
(B) अंधी पीसे, कुत्ते खाएँ
(C) खेत खाये गदहा मार खाए जुलहा
(D) आसमान से गिरा खजूर पर अटका
47. गाजर-मूली समझना का क्या अर्थ है ?
(A) सस्ता समझाना
(B) निर्बल समझना 
(C) बेइज्जती करना
(D) धमकाना
48. कौन-सा वाक्य शुद्ध है ? 
(A) जो कुछ मेरा है, सब आपका है। 
(B) जो कुछ मेरी है, सब आपकी है।
(C) जो कुछ मेरा है, सब आपके हैं।
(D) उपरोक्त सभी अशुद्ध हैं।
49. ‘दशमुख’ में कौन-सा समास है ? 
(A) अव्ययीभाव
(B) तत्पुरुष
(C) कर्मधारय
(D) बहुव्रीहि 
50. वाच्य के कितने भेद होते हैं ? 
(A) तीन 
(B) चार
(C) दो
(D) पाँच
51. विरजू महराज की शिष्या कौन थी ?
(A) मालती माधव
(B) कपिला जी
(C) रश्मि जी
(D) सुलोचना जी
52. मदन के पिता का क्या नाम था ? 
(A) सेन साहब
(B) गिरधर लाल
(C) मुरारी लाल
(D) गिरीश
53. खोखा का दूसरा नाम क्या था ?.  
(A) मदन
(B) गिरधर
(C) काशू
(D) रमेश
54. ‘दारिस’ किसको कहा जाता है ? 
(A) पत्थर के सिक्के
(B) पीतल के सिक्के
(C) ताँबे के सिक्के
(D) सोने के सिक्के
55. भारत कहाँ वसता है ?
(A) दिल्ली को
(B) पटना में
(C) बिहार में
(D) गाँवों में 
56. ‘क’ वर्ण का उच्चारण स्थान है
(A) कंठ
(B) तालु
(C) दंत
(D) मूर्द्धा
57. सूक्ति का संधि-विच्छेद है
(A) स + उक्ति
(B) सु + उक्ति 
(C) सूं + उक्ति
(D) शू + उक्ति
58. ‘हाथ मलना’ मुहावरे का अर्थ है 
(A) हाथ साफ करना
(B) हाथ रगड़ना
(C) हाथ मिलाना
(D) पछताना
59. ‘रहिरास’ किसकी रचना है ?
(A) गुरु गोविन्द सिंह
(B) गुरुनानक
(C) नानक
(D) घनानंद
60. लक्ष्मी के बड़े पुत्र का क्या नाम था ? 
(A) अच्युत 
(B) गुणनिधि
(C) लक्ष्मण
(D) शंकर
1. निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का है। 
(क) मनुष्यरूपी तलवार की धार चरित्र है। अगर इस धार में तीक्ष्णता है, तो यह तलवार भले ही लोहे की हो- -अपने काम में अधिक कारगर सिद्ध होती है। इसके विपरीत यदि इस तलवार की धार मोटी है, भद्दी है, तो वह तलवार – सोने की ही क्यों न हो- हमारे किसी काम की नहीं हो सकती। इस प्रकार यदि किसी का चरित्र ही नष्ट हो गया हो, तो वह मनुष्य मुर्दे से बदतर है, क्योंकि मुर्दा तो किसी और का बुरा नहीं कर सकता, पर एक चरित्रभ्रष्ट मनुष्य अपने साथ रहनेवालों को भी अपने ही रास्ते पर ले जाकर अवनति एवं सत्यानाश के भयावह गड्ढे में ढकेल सकता है।
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें— 
प्रश्न- प्रस्तुत गद्यांश में चरित्र की तुलना किससे की गई है ? 
उत्तर-  गद्यांश में चरित्र की तुलना मुर्दा से की गई है।
प्रश्न- मनुष्य का चरित्र कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-  मनुष्य का चरित्र तलवार की तीक्ष्ण धार की तरह होना चाहिए।
प्रश्न- जीवित मनुष्य मुर्दे से भी बदतर कब हो जाता है ? 
उत्तर- चरित्र नष्ट होने पर जीवित मनुष्य मुर्दा से भी बदतर हो जाता है
प्रश्न- चरित्रहीन व्यक्ति की संगति का प्रभाव कैसा होता है ? 
उत्तर- चरित्रभ्रष्ट व्यक्ति की संगति में रहनेवाले अवनति और सत्यानाश के भयावह गड्ढे में गिर जाते हैं।
प्रश्न- प्रस्तुत गद्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर- चरित्र की महत्ता
                                                                        अथवा 
(ख) व्युत्पत्ति के अनुसार, ‘साहित्य’ के दो अर्थ किए जाते हैं, एकजिसमें हित की भावना निहित हो और दूसरा – जिसमें सम्मिलन का भाव हो । ‘सम्मिलन’ से तात्पर्य शब्द और अर्थ के सम्यक् समन्वय से है। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी साहित्य शब्द के अर्थ के विषय में लिखते हैं — “यह शब्द संस्कृत के ‘सहित’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है. -साथ-साथ ।” वास्तव में, जिस रचना से मानव के हित का संपादन हो, उसे ‘साहित्य’ कहा जाता है। अँगरेजी शब्द ‘लिटरेचर’ से ‘साहित्य’ शब्द का विकास भारतीय चिंतन में ‘काव्य’ के विश्लेषण से हुआ है। ‘काव्य’ का विश्लेषण करते हुए भामह कहते हैं, ‘शब्दार्थों सहितौ काव्यम्।’ अर्थात, जो शब्द और अर्थ के सहित हो, उसे काव्य कहा जाता है। ‘काव्य’ में शब्द और अर्थ की महत्ता पारस्परिक है। ये दोनों एक-दूसरे के सहयोग से ही अभिव्यक्ति को सार्थक बनाते हैं। भर्तृहरि ने साहित्य, संगीत और कला की त्रयी में साहित्य को काव्य का समानार्थक माना है। प्रसिद्ध काव्य-मीमांसक राजशेखर ने साहित्य को विद्या माना है। ये कहते हैं कि शब्द तथा अर्थ के सहभाव से काव्य सृष्ट होता है। ‘सहभाव’ का अर्थ होता है—पूर्ण सामंजस्य | पूर्ण सामंजस्य, अर्थात – समभाव ही काव्य का आधार होता । है। इस ‘समभाव’ के चलते ही न शब्द अर्थ से छोटा होता है और न अर्थ शब्द से बड़ा । ये दोनों सब गुणों में समान होते हैं। आचार्य मम्मट की धारणा है कि दोषरहित गुणों से मंडित शब्दार्थ ही काव्य होता है। आधुनिक काल में मन के प्रत्युत्तर को ‘साहित्य’ माना जाता है। साहित्य अनुभूतियों को केंद्र बनाकर चलता है। भाव, विचार और कल्पना तीनों उसी पर आश्रित होते हैं। यही कारण है कि साहित्य में परंपरा की सीमा मानव अनुभूतियों से शासित होती है। ‘साहित्य’ शब्द अपने सीमित अर्थ में ‘काव्य’ का पर्यायवाची है। सामाजिक भावों और विचारों की प्रतिच्छाया होने के कारण ही साहित्य समाज का प्रतिबिंब है।
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें—
प्रश्न- ‘साहित्य’ के संदर्भ में ‘सम्मिलन’ शब्द का क्या अर्थ है ? 
उत्तर- ‘साहित्य’ के संदर्भ में ‘सम्मिलन’ शब्द का अर्थ है – शब्द और अर्थ । का सम्यक् समन्वय ।
प्रश्न- व्युत्पत्ति के अनुसार, ‘साहित्य’ शब्द के कितने अर्थ किए गए हैं? उनका उल्लेख करें।
उत्तर- व्युत्पत्ति के अनुसार, ‘साहित्य’ शब्द के दो अर्थ किए गए हैं। पहला— जिसमें हित की भावना निहित हो और दूसरा  जिसमें सम्मिलन का भाव हो ।
प्रश्न-  भामह के अनुसार, काव्य की परिभाषा क्या है ?
उत्तर- भामह के अनुसार, जो शब्द और अर्थ के सहित हो उसे ‘काव्य’ कहा जाता है।
प्रश्न- ‘साहित्य’ को किस आचार्य ने विद्या माना है ? 
उत्तर- काव्य-मीमांसक राजशेखर ने साहित्य को विद्या माना है।
प्रश्न-  ‘समभाव’ का क्या अर्थ होता है? स्पष्ट करें।
उत्तर- ‘समभाव’ का अर्थ होता है— पूर्ण सामंजस्य । ‘समभाव’ के चलते ही न शब्द अर्थ से छोटा होता है और न अर्थ शब्द से बड़ा । काव्य में दोनों की समान स्थिति होती है।
2. निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का है। 
(क) वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना, अर्थात् प्रत्येक देश का अन्य देशों के साथ बिना किसी प्रतिबंध के पूँजी, तकनीकी एवं व्यापारिक आदान-प्रदान ही वैश्वीकरण है। भारत सरकार की नवीन आर्थिक नीतियाँ वैश्वीकरण को परिभाषित करने में लगी हुई हैं। हमारा उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था का विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ तारतम्य बनाना है। इसके अन्तर्गत सभी वस्तुओं के आयात में खुली छूट, सीमा शुल्क में कमी, विदेशी पूँजी की मुक्त प्रवाह की अनुमति, सेवा क्षेत्र विशेषकर बैंकिंग, बीमा और जहाजरानी क्षेत्रों में विदेशी पूँजी निवेश की छूट और रुपयों को पूर्ण परिवर्तनशील करना है। उदारीकरण और निजीकरण आदि आर्थिक सुधारों के कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। परिणामस्वरूप कई क्षेत्रों में उपलब्धियाँ उत्साहवर्धक हैं। विदेशी मुद्रा का भंडार काफी बढ़ गया है। किन्तु निर्यात और कृषि के दरों में गतिरोध उत्पन्न हुआ है। विश्वव्यापी मंदी के बावजूद चीन को छोड़कर अन्य विकासशील देशों की तुलना में भारत में सकल घरेलू उत्पाद की दर अधिक है। किन्तु सामाजिक क्षेत्रों की प्रगति संतोषजनक नहीं है ।
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें—
प्रश्न- वैश्वीकरण से क्या समझते हैं ?
उत्तर- देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना ही वैश्वीकरण है। इसके अन्तर्गत बिना किसी प्रतिबंध के पूँजी, तकनीकी एवं व्यापारिक आदान-प्रदान होता है।
प्रश्न- भारत सरकार की नवीन आर्थिक नीतियाँ किसे परिभाषित करने में लगी हुई हैं ?
उत्तर- भारत सरकार की नवीन आर्थिक नीतियाँ वैश्वीकरण को परिभाषित करने में लगी हुई है।
प्रश्न- निजीकरण से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर- निजीकरण का अभिप्राय निजी क्षेत्र द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों पर पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से स्वामित्व प्राप्त करना तथा उनका प्रबंध करना है।
प्रश्न- वैश्वीकरण का उद्देश्य बताएँ। 
उत्तर- वैश्वीकरण का उद्देश्य विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ तारतम्य बनाता है।
प्रश्न- वैश्वीकरण के अन्तर्गत किन मुख्य वस्तुओं के आयात में छूट है ? 
उत्तर- वैश्वीकरण के अन्तर्गत सभी वस्तुओं के आयात में खुली छूट, सीमा शुल्क में कमी, विदेशी पूँजी की मुक्त प्रवाह की अनुमति, सेवा क्षेत्र विशेषकर बैंकिंग, बीमा और जहाजरानी क्षेत्रों में पूँजी निवेश की छूट और रुपयों को पूर्ण परिवर्तनशील करना है।
                                                                     अथवा
(ख) भारतीय संस्कृति हमें नूतन चिंतन और विचारों से ओत-प्रोत करती है। संस्कृति के भीतर रहन-सहन, परंपराएँ, विभिन्न मान्यताएँ एवं विचारधाराएँ शामिल होती हैं। हमारी भारतीय संस्कृति विशेष उदार रही है। वह हमें मानवतावादी तथा सुसंस्कृत बनना सिखलाती है। संस्कृति के द्वारा हम लोक व्यवहार करना, सेवा की भावना अपनाना तथा पवित्र कर्म में निरत रहना सीखते हैं। संस्कृति को नहीं अपनानेवाला व्यक्ति समाज में असभ्य कहलाता है। गाँधीजी सदैव कहा करते थे कि “हमें सभी प्राणियों में ईश्वरत्व के दर्शन करने चाहिए। मानवमात्र की सच्ची सेवा ही ईश्वरभक्ति है।” आज की नई पीढ़ी का दायित्व है कि वे इसे जरूरी समझें और आत्मशुद्धि पर बल दें।
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें—
प्रश्न- उपर्युक्त गद्यांश का एक उचित शीर्षक दें। 
उत्तर- शीर्षक – नई पीढ़ी और भारतीय संस्कृति
प्रश्न- भारतीय संस्कृति कैसी है ? 
उत्तर- भारतीय संस्कृति विशेष रूप से उदार संस्कृति है।
प्रश्न- संस्कृति हमें क्या सिखलाती है ? 
उत्तर- संस्कृति हमें लोक व्यवहार करना, सेवा की भावना अपनाना तथा ‘पवित्र कर्म में निरत रहना सिखाती है।
प्रश्न- गाँधीजी सदैव क्या कहा करते थे ? 
उत्तर- गाँधीजी सदैव कहा करते थे कि “हमें सभी प्राणियों में ईश्वरत्व के दर्शन करने चाहिए। मानवमात्र की सच्ची सेवा ही ईश्वरभक्ति है। “
प्रश्न- महात्मा गाँधी के क्या विचार थे ?
उत्तर- महात्मा गाँधी के विचार मानवतावादी और आध्यात्मिक थे। उनके विचार में सभी प्राणी ईश्वर स्वरूप हैं तथा मानवमात्र की सच्ची सेवा ही ईश्वरभक्ति है।
                                                                         अथवा
(ग) इस संसार में सबसे अमूल्य वस्तु है— ‘समय’ । संसार की सभी चीजों को घटाया-बढ़ाया जा सकता है, पर समय को नहीं। समय किसी के अधीन नहीं रहता। न तो वह रूकता है और न ही किसी की प्रतीक्षा करता है। विद्यार्थी जीवन में समय का अत्यधिक महत्त्व है। समय का सदुपयोग करनेवाला व्यक्ति भावी जीवन में सफल होकर एक श्रेष्ठ नागरिक बनता है। जेम्स वॉट, मैडम क्यूरी, आईस्टीन, एडीसन आदि ने समय के एक-एक क्षण का उपयोग कर संसार को अनेक आविष्कार प्रदान किए। समय का सदुपयोग केवल उद्यमी तथा कर्मठ व्यक्ति ही कर सकता है, आलसी नहीं । आलस्य ही समय का सबसे बड़ा शत्रु है। विद्यार्थियों को इस शत्रु से सावधान रहकर अच्छे लोगों की संगति में रहना चाहिए। सत्संगति के कारण व्यक्ति अपने अमूल्य समय को व्यर्थ की बातों में नहीं गँवाता।
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें—
प्रश्न- संसार में सबसे अमूल्य वस्तु क्या है ? 
उत्तर- संसार में सबसे मूल्य वस्तु “समय” है ।
प्रश्न- समय का सबसे बड़ा शत्रु कौन हैं ? 
उत्तर- समय का सबसे बड़ शत्रु “आलस्य” है ।
प्रश्न- सत्संगति का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ? 
उत्तर- सत्संगति के कारण व्यक्ति अपने अमूल्य समय को व्यर्थ की बातों में नहीं गँवाता ।
प्रश्न- विद्यार्थियों को किस शत्रु से सावधान रहना चाहिए ? 
उत्तर- विद्यार्थियों को आलस्य से सावधान रहचना चाहिए।
प्रश्न- कैसा व्यक्ति भावी जीवन में सफल होकर एक श्रेष्ठ नागरिक बनता है ?
उत्तर- उद्यमी एवं कर्मठ व्यक्ति भावी जीवन में सफल होकर श्रेष्ठ नागरिक बनता है।
3. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिंदुओं के आधार पर लगभग 250-300 शब्दों में निबंध लिखें। 
(क) विज्ञान : वरदान या अभिशाप  
(i) भूमिका                                (ii) विज्ञान के कारनामे
(iii) विज्ञान की उपलब्धि             (iv) उपसंहार
                                                          (क) विज्ञान वरदान या अभिशाप
भूमिका : विज्ञान का अर्थ है विशेष ज्ञान । जब किसी विषय का विशेष ज्ञान होता है तो नयी-नयी बातें ज्ञात होती हैं और नयी चीजों का निर्माण होता है।
विज्ञान के कारनामें : निस्सन्देह यह युग विज्ञान का है। इसने थल, जल और आकाश पर अपनी महत्ता स्थापित कर ली है। समय को बहुत हद तक अपनी मुट्ठी में कर लिया है, दूरी पर विजय पा ली है। पहले यात्रा कितनी कठिन थी। लेकिन अब ? नाश्ता मुम्बई में कीजिए, खाना इंग्लैंड में खाइए – यह उड़े और वह पहुँचे। पानी के भीतर चलिए या ऊपर, आपकी मर्जी! बटन दबाइए और अपने प्रियजन से बातें कीजिए। क्रिकेट या टेनिस का मैच हो या दुनिया के किसी— भी कोने में लता मंगेशकर या अमिताभ बच्चन का कार्यक्रम, घर बैठे अपने टेलीविजन सेट पर देखिए । विज्ञान ने सिर्फ यातायात और मनोरंजन के क्षेत्र में ही अपना कमाल दिखाया हो, ऐसी बात नहीं है। कृषि के क्षेत्र में भी इसने कमाल दिखाया है। मिट्टी की जाँच कराइए, अधिकाधिक फसल उगाइए ।
विविध क्षेत्रों में विज्ञान की उपलब्धि :  विज्ञान ने प्रकृति को भी काबू में किया है। आप गर्मी से बेहाल हैं, जाड़े की रात बहुत दुख दे रही है तो आपको अब न शिमला या मसूरी जाने की जरूरत है और न आग जलाने की । विज्ञान ने इसका भी इन्तजाम किया है। ‘एयर कंडीशन’ में बैठ जाइए, सारी परेशानियाँ दूर हो जायेंगी। ठंड लगे तो हीटर जला लीजिए, ठंड गायब । स्याह पहलूसचमुच विज्ञान ने क्रान्ति कर दी है। डायनामाइट के आगे पहाड़ भींगी बिल्ली बन जाता है। नदियाँ बाँधी जाने लगी हैं, बंजर धरती अनाज उगलने लगी है। धरती का सीना चीर कर कोयला, सोना, तेल, हीरा निकाल लेता है आदमी। कृत्रिम वर्षा की जाने लगी है। अलबत्ता भूकम्प बेकाबू है।
उपसंहार : लेकिन यह सब चित्र का एक ही पहलू है। विज्ञान ने विकास के ही नहीं विनाश के दरवाजे भी खोले हैं। टैंक, बम, अणुबम, परमाणुबम, जहरीली गैसें, प्रक्षेपात्र भी विज्ञान के चमत्कार हैं, जिनकी शक्ति से सारी मानवता सहमी हुई है। एक ही विस्फोट से न खलिस्तान श्मशान में बदल जाता है। विज्ञान अगर वरदान है तो अभिशाप भी। अब यह हम पर है कि इसे वरदान बनाएँ या अभिशाप! हमें विज्ञान को मानव जीवन का वरदान ही बनाना चाहिए।
(ख) प्रदूषण
(i) भूमिका                                 (ii) प्रदूषण के कारण
(iii) प्रदूषण के प्रकार                   (iv) हानि
(v) प्रदूषण दूर करने के उपाय       (vi) उपसंहार
                                                                 (ख) प्रदूषण 
भूमिका : मनुष्य प्रकृति की सर्वोत्तम सृष्टि है। जब तक यह प्रकृति के कामों में बाधा नहीं डालता, तब तक इसका जीवन स्वाभाविक गति से चलता है। किन्तु, इधर औद्योगिक विकास के लिए इसने प्रकृति से अपना ताल-मेल समाप्त कर लिया है। नतीजा यह है कि जितनी ही तेजी से उद्योग बढ़ रहे हैं, प्रकृति में धुआँ, गंदगी और शोर से प्रदूषण उतनी ही तेजी से बढ़ता जा रहा है। यह खतरे की घंटी है।
प्रदूषण के कारण : आज के युग में यंत्रों, मोटरगाड़ियों, रेलों तथा कलकारखानों पर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा है। परिणामस्वरूप धुएँ के कारण कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ गई है और ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है। गौरतलब है कि 860 किलोमीटर चलने पर एक मोटर जितनी ऑक्सीजन का प्रयोग करता है, उतनी ऑक्सीजन मनुष्य को एक वर्ष के लिए चाहिए। हवाई जहाज, तेलशोधक, चीनी मिट्टी, चमड़ा आदि कारखानों में ईंधन जलने से जो धुआँ होता है, उससे अधिक प्रदूषण होता है। घनी आबादी वाले शहर इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं। टोकियो में तो कार्य पर तैनात सिपाही के लिए जगह-जगह पर ऑक्सीजन के सिलिंडर लगे होते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर वह ऑक्सीजन ले सके। इंग्लैंड में चार घंटे में यातायात पुलिस की हालत खराब हो जाती है।जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि भी प्रदूषण का एक कारण है। ग्राम और नगर फैलते जा रहे हैं, जंगलों तथा पेड़-पौधों का नाश होता जा रहा है।
प्रदूषण के प्रकार : प्रदूषण अनेक प्रकार के होते हैं, वायु में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाने से वायु प्रदूषित होती है। इसी प्रकार जल में गन्दगी, कचरा डाल देने, शव बहा देने से जल प्रदूषित होते हैं। मिट्टी में जब कृत्रिम खाद की मात्रा बढ़ जाती है, जो मिट्टी भी प्रदूषित होती है। इतना ही नहीं, वातावरण में अधिक शोर-शराबा होने से ध्वनि भी प्रदूषित होती है।
हानि : वायु प्रदूषण का नतीजा है कि मनुष्य बीमारियों के चंगुल में फँस जाता है। हृदय और श्वास संबंधी बीमारियाँ घर कर जाती हैं। यों वायु प्रदूषण प्रायः सब रोगों का प्रमुख कारण है। जल की गंदगी से मवेशी और मनुष्य दोनों प्रभावित होते हैं। दूषित जल से मवेशी तो मरते ही हैं, जलीय कीड़े मनुष्य को भी जानलेवा बीमारियों के चक्कर में डालते हैं। मिट्टी प्रदूषित होने से फसल प्रदूषित होती है, जिनके सेवन से मनुष्य बीमार होता है। ध्वनि प्रदूषण से कानों पर बुरा असर होता है।
प्रदूषण दूर करने के उपाय : सच्ची बात तो यह है कि जब तक मनुष्य प्रकृति के साथ तालमेल स्थापित नहीं करता, उसकी प्रगति संभव नहीं है। वास्तविक प्रगति के लिए जरूरी है कि हम मशीनों पर शासन करें, न कि मशीनें हम पर । वनों, जलाशयों और पर्वतों का नाश रोके जाने के साथ ही, यह भी जरूरी है कि विषैली गैस, रसायन तथा जल-मल उत्पन्न करने वाले कारखानों को आबादी से दूर रखा जाए ताकि मनुष्य को जितनी ऑक्सीजन की जरूरत है, उसमें कमी न आये। वन महोत्सवों का आयोजन हो। बगीचे और वन लगाए जाएँ ताकि ऑक्सीजन की मात्रा कम न हो। धुआँ वाली गाड़ियों का प्रचलन कम हो और सी०एन०जी० वाली गाड़ियाँ चलें। लाउडस्पीकरों तेज हॉर्न और कर्कश आवाज वाले यंत्रों पर रोक जरूरी है।
उपसंहार : मनुष्य सर्वोपरि है। यदि इसका स्वास्थ्य ही ठीक न रहे तो प्रगति का क्या अर्थ? बीमार मनुष्य जीवन का क्या आनन्द उठाएगा? इसलिए जरूरी है कि प्रदूषण रोका जाए ताकि मनुष्य फले-फूले ।
(ग) उग्रवाद की समस्या (नक्सलवाद)
(i) भूमिका                                 (ii) उग्रवाद की समस्या
(iii) कारण                                (iv) निदान
(v) उपसंहार
                                                     (ग) उग्रवाद की समस्या (नक्सलवाद)
भूमिका : आज देश के सामने प्रस्तुत कठिन समस्याओं में उग्रवाद की समस्या भयंकर रूप लेती जा रही है। शायद ही कोई दिन होता है जिस दिन उग्रवादी घटनाएँ नहीं होतीं। आज यहाँ तो कल वहाँ हत्या, आगजनी, तोड़-फोड़ होती ही रहती है। झारखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और असम आदि राज्यों के अनेक जिले इस उग्रवाद की चपेट में हैं।
उग्रवाद की समस्या : उग्रवाद का तात्पर्य है ‘उग्र कार्रवाइयों पर भरोसा । इसके तहत क्षेत्र विशेष में लगातार हिंसात्मक कार्रवाइयाँ की जाती हैं। कहीं पुलिस बल, पुलिस थाने, प्रशासक और सरकारी भवन इनका निशाना बनते हैं तो कहीं उग्रवाद का विरोध करने वाले गोली से उड़ाए जाते हैं, उनके खेत-खलिहान, घर-द्वार नष्ट किए जाते हैं, रेल की पटरियाँ उखाड़ी जाती हैं, तो कहीं कुछ लोगों के अंग-भंग किए जाते हैं ताकि विरोध करने वालों का मनोबल तोड़ा जाए।
कारण : देश में उग्रवाद के पनपने के अनेक कारण हैं, जिनमें प्रमुख है गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, प्रशासनिक भष्टाचार और न्याय प्रक्रिया में विलम्ब होने से न्याय पर अविश्वास। कहीं-कहीं क्षेत्रवाद और धार्मिक उन्माद भी आग में घी का काम करते हैं। अगर समय रहते इस समस्या का निदान नहीं किया गया तो देश की एकता और अखण्डता ही खतरे में पड़ जाएगी। इसी क्षेत्रवाद और अहंमन्यता ने हमें क्या-क्या दुर्दिन दिखाए हैं, इसे नहीं भूलना चाहिए।
निदान : उग्रवाद की समस्या से निजात पाने के लिए सबसे जरूरी है, सरकार की इच्छा शक्ति क्योंकि आधे-अधूरे प्रयत्नों से यह समाप्त न होगी। इसके लिए सर्वतोमुखी कार्य करने होंगे। उग्रवाद में संलग्न व्यक्तियों और संगठनों से निपटने के लिए कठोर कानून बनाने के साथ-साथ प्रशासनिक भष्टाचार पर जबरदस्त अंकुश लगाना होगा। सड़क और बिजली गाँव-गाँव तक ले जानी होगी। शिक्षा संस्थान खोलने होंगे और खेती में सुधार करना होगा। भूमि सुधार सख्ती से करना होगा क्योंकि यही आपसी वैमनस्य की जड़ है। आसान किश्तों में देय ऋण का प्रबंध करना होगा और दूर-दराज में ऐसे छोटे या मझोले उद्योग-धन्धे शुरू करने होंगे कि लोगों को रोजगार मिले।
उपसंहार : उग्रवाद देश की व्यवस्था पर एक धब्बा है, जिसे मिटाना हम सबका कर्तव्य है। देश के नेताओं को राजनीतिक भेद-भाव भूलकर, निजी स्वार्थ को तिलांजलि देकर, इस चुनौती का सामना करना आज भी सबसे बड़ी चुनौती है।
(घ) मेरे जीवन का लक्ष्य
(i) सुधार कार्य                        (ii) शिक्षा
(iii) चुनाव                             (iv) उद्योग धंधे की स्थापना
(v) उपसंहार
                                                            (घ) मेरे जीवन का लक्ष्य
सुधार कार्य प्राय : हर आदमी सपना देखता है। सपने में कोई लखपति बनना चाहता है तो कोई करोड़पति, कोई डॉक्टर बनना चाहता है तो कोई इंजीनियर, कोई प्रशासक तो कोई मंत्री । जहाँ तक मेरा प्रश्न है, मेरा सपना है– भारत का प्रधानमंत्री बन अशिक्षा, अंधविश्वास, बेकारी और गरीबी से देश को मुक्त करना ।
शिक्षा : शिक्षा लोकतंत्र की आधारशिला है। मैं सबसे पहले शिक्षा पर ध्यान दूँगा। प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य होगी और आगे की शिक्षा रोजगारोन्मुखी | उच्च शिक्षा विशेषता प्राप्त करने के लिए ही दी जाएगी। पाठ्यक्रम में वैसे पाठ शामिल होंगे जिनसे लोगों को अन्धविश्वास एवं कुरीतियों से छुटकारा मिले और नागरिकता तथा कर्त्तव्यपालन की भावना बढ़े। राजनीतिक भष्टाचार दूर करने पर ज्यादा जोर होगा। कार्यालयिक प्रक्रियाएँ सरल बनाई जाएँगी । भष्टाचारियों की सजा के लिए सख्त कानून बनेंगे। जेल में नेता भी सामान्य कैदियों की भाँति रहेंगे।
चुनाव : चुनाव कानून ऐसे बनाए जाएँगे कि लंठ, लाठी और लठैत का जोर समाप्त हो । उम्मीदवार को नामांकन के साथ ही अपनी चल और अचल सम्पत्ति की घोषणा करनी होगी, चुनाव संबंधी मुकदमों का फैसला महीने भर में होगा। कोई व्यक्ति दो स्थान से चुनाव नहीं लड़ेगा और न दो बार से अधिक बार मंत्री और न चार बार से अधिक लोकसभा / विधानसभा का सदस्य होगा। पराजित व्यक्ति किसी सार्वजनिक निकाय/सभा का अध्यक्ष या पदाधिकारी न होगा। चुनावआयोग को और अधिकार होंगे।
भ्रष्टाचार : लोकपाल सार्वजनिक क्षेत्र के सभी व्यक्ति की कार्यविधि की समीक्षा कर सकेंगे। कृषि को प्राथमिकता दी जाएगी। चकबन्दी के साथ सिंचाई के लिए नहरों और नलकूपों का जाल बिछाया जाएगा। वर्षा जल के संरक्षण के प्रबंध किए जाएँगे और देश की नदियों को जोड़ा जाएगा ताकि बाढ़ और सूखे का मुकाबला किया जा सके। बाढ़ और सूखा से निजात पाने के लिए ‘बाढ़ एवं सूखा प्राधिकरण’ बनाए जाएँगे। उद्योग के क्षेत्र में बड़े उद्योगों के साथ लघु उद्योगों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा और सार्वजनिक क्षेत्र के साथ-साथ निजी क्षेत्र में भी उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा।
उपसंहार : देश में अमन-चैन की स्थापना की जिम्मेदारी पुलिस पर होती है, अतएव पुलिस तंत्र को चुस्त बनाया जाएगा। उसे वे संसाधन उपलब्ध कराए जाएँगे जिनकी सहायता से वह अपराधियों तक आसानी से और जल्दी पहुँच सके, जैसे गाड़ियाँ, वायरलेस सेट आदि । शीर्घ एवं सुगम न्याय प्रणाली और कठोर दण्ड की व्यवस्था की जाएगी।
(ङ) कम्प्यूटर
(i) भूमिका                            (ii) आविष्कार
(iii) विविध कार्य                    (iv) उपसंहार
                                                              (ङ) कम्प्यूटर
भूमिका : विज्ञान ने मनुष्य को सुख-सुविधा के जो साधन दिये हैं उनमें कम्प्यूटर का विशिष्ट स्थान है। कम्प्यूटर से घंटों का काम सैकड़ों में हो जाता है। यही कारण है कि दिन-प्रतिदिन इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। भारत में भी कम्प्यूटर का प्रचलन बड़ी तेजी से बढ़ रहा है।
आविष्कार : चार्ल्स बेवेज पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 19वीं शताब्दी के आरम्भ में सबसे पहला कम्प्यूटर बनाया। इस कम्प्यूटर की विशेषता यह थी कि यह जटिल गणनाएँ करने तथा उन्हें मुद्रित करने की क्षमता रखता था। आगे चलकर इसमें और भी विकास हुआ । वस्तुतः कम्प्यूटर द्वारा की जाने वाली गणनाओं के लिए एक विशेष भाषा में निर्देश तैयार किए जाते हैं। इन निर्देशों और प्रयोगों को ‘कम्प्यूटर का प्रोग्राम’ की संज्ञा दी जाती है। कम्प्यूटर का परिणाम शुद्ध होता है। अशुद्ध उत्तर का उत्तरदायित्व कम्प्यूटर पर नहीं बल्कि उसके प्रयोक्ता पर है।
कम्प्यूटर क्या है ? वस्तुतः कम्प्यूटर ऐसे यात्रिक मस्तिष्कों का रूपात्मक तथा समन्वयात्मक योग तथा गुणात्मक घनत्व है, जो तीव्रतम गति से न्यूनतम समय में अधिक से अधिक काम कर सकता है। गणना के क्षेत्र में इसका विशेष महत्त्व है। इस क्षेत्र में यह लाजवाब है।
विविध कार्य : आज कम्प्यूटर सिर्फ गणना के क्षेत्र में ही नहीं, समाचार – पत्रों तथा पुस्तकों के प्रकाशन में भी अपनी विशेष भूमिका निभा रहा है। कम्प्यूटर से संचालित फोटो कम्पोजिंग मशीन के माध्यम से छपने वाली सामग्री को टंकित किया जा सकता है। टंकित होने वाले मैटर को कम्प्यूटर के पर्दे पर देखा जा सकता है और आसानी से अशुद्धियाँ दूर की जा सकती हैं। कम्प्यूटर संचार का भी एक महत्त्वपूर्ण साधन है। ‘कम्प्यूटर नेटवर्क’ के माध्यम से देश के प्रमुख नगरों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने की व्यवस्था की जा रही है। आधुनिक कम्प्यूटर डिजाइन तैयार करने में भी सहायक हो रहा है। भवनों, मोटरगाड़ियों, हवाई जहाजों आदि के डिजाइन तैयार करने में ‘कम्प्यूटर ग्राफिक’ का व्यापक प्रयोग हो रहा है। वस्तुतः कम्प्यूटर में एक कलाकार की भूमिका का निर्वाह करने की भी क्षमता है। अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कम्प्यूटर ने अपना अद्भुत कमाल दिखाया है। इसके माध्यम से अन्तरिक्ष के व्यापक चित्र उतारे जा रहे हैं।
उपसंहार : यद्यपि भारत में बैंकों एवं कारोबारी क्षेत्रों में कम्प्यूटर अपनी जगह बना चुका है फिर भी विकसित देशों की तुलना में अभी आरंभिक अवस्था में है। इसकी उपयोगिता निर्विवाद है पर मनुष्य को कम्प्यूटर की एक सीमा तक ही प्रयोग में लाना चाहिए । मनुष्य स्वयं निष्क्रिय न बने बल्कि वह स्वयं को सक्रिय बनाए रखे तथा अपनी क्षमता को सुरक्षित रखे।
(च) स्वास्थ्य और व्यायाम
(i) स्वस्थ तन-मन के बिना जीवन बोझ          (ii) शारीरिक स्वास्थ्य और व्यायाम
(iii) मानसिक स्वास्थ्य और व्यायाम             (iv) स्वस्थ व्यक्ति से स्वस्थ समाज का निर्माण
(v) निष्कर्ष
                                                            (च) स्वास्थ्य और व्यायाम
स्वस्थ तन-मन के बिना जीवन बोझ : जीवन एक आनंद है। इस आनंद का अनुभव वही व्यक्ति कर सकता है, जिसका तन और मन दोनों स्वस्थ हो। यदि तन-मन स्वस्थ न रहे तो जीवन में कोई रस नहीं मिलता, कोई सफलता नहीं मिलती। अस्वस्थ व्यक्ति का जीवन व्यर्थ का बोझ बन जाता है।
शारीरिक स्वास्थ्य और व्यायाम : अच्छे स्वास्थ्य के लिए तन और मन दोनों का व्यायाम जरूरी होता है। तन के व्यायाम के लिए चाहिए – खेल-कूद, योगासन, कसरत आदि। मन के व्यायाम के लिए अपेक्षित है— अच्छे साहित्य का पठन-पाठन और सत्संगति। अच्छे विचारों और भावों के संपर्क में रहने से मन का व्यायाम होता है। शारीरिक क्रियाओं जैसे— खेल-कूद के विभिन्न प्रकारों से शरीर के रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है और स्वास्थ्य उत्तम हो जाता है ।
मानसिक स्वास्थ्य और व्यायाम : मन को स्वस्थ रखने का आशय है— अपने उमंग, प्रेम, उत्साह, करुणा आदि भावों को स्वाभाविक बनाये रखना। मन को घृणा, द्वेष या निंदा में न फँसने देना। इसके लिए साहित्य पढ़ना चाहिए। महापुरुषों की जीवनियाँ पढ़नी चाहिए। शारीरिक रूप में स्वस्थ रहने पर मन भी अपने स्वाभाविक रूप में बना रहता है। अतः शारीरिक व्यायाम मन को शक्ति प्रदान करते हैं ।
स्वस्थ व्यक्ति से स्वस्थ समाज का निर्माण : जिस समाज में व्यक्ति स्वस्थ होते हैं, वह समाज भी स्वस्थ बनता है। ऐसा समाज ही प्रेम और करुणा का परिचय दे पाता है। यही कारण है कि अस्वस्थ शरीर वाले नगरीय समाज में चोरी . और गुंडागर्दी की घटनाएँ अधिक होती हैं। स्वस्थ समाज के लोग समाज में घुसे शत्रुओं का एकजुट होकर मुकाबला करते हैं।
निष्कर्ष : अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए व्यायाम अनिवार्य कार्य है ।व्यायाम की महत्ता का बखान करते हुए किसी कवि ने इसके द्वारा प्राप्त होने वाले लाभागों के बारे में कहा है —
                                        “स्वास्थ्य आयु बल ओज छवि भूख विविद्रधन काम ।
                                            रोग हरन मंगल करन, कीजै नित व्यायाम।।”
(छ) बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ 
(i) भूमिका                              (ii) अभियान के उद्देश्य
(iii) अभियान की जरूरत         (iv) बेटियों की दुर्दशा के कारण
(v) बेटियों की दुर्दशा के प्रभाव
                                                        (छ) बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
भूमिका : बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास की एक संयुक्त पहल है। इस योजना का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा राज्य के पानीपत जिले में इसका उद्घाटन किया था ।
अभियान के उद्देश्य :
(i) बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत सामाजिक व्यवस्था में बेटियों के प्रति रूढ़िवादी मानसिकता को बदलना।
(ii) बालिकाओं की शिक्षा को आगे बढ़ाना ।
(iii) घर-घर में बालिकाओं की शिक्षा को सुनिश्चित करना ।
(iv) लिंग आधारित भ्रूणहत्या की रोकथाम ।
अभियान के जरूरत : हमारा भारत देश वैसे तो हमारी पौराणिक संस्कृति है धर्म-कर्म और स्नेह और प्यार का देश माना जाता है। लेकिन जब से भारतीय नहीं तरक्की करनी चालू की है और नई तकनीकों का विकास हुआ है तब से भारतीय लोगों की मानसिकता में बहुत बड़ा बदलाव आया है। इस बदलाव के कारण जनसंख्या की दृष्टि से बहुत बड़ा उथल-पुथल हुआ है। लोगों की मानसिकता इस कदर खराब हो गई है कि वे बेटे और बेटियों में भेदभाव करने लगे हैं। वे बेटियों को एक वस्तु के समान मानने लगे हैं। ऐसे लोग बेटे के जन्म होने पर बहुत खुशियाँ मनाते हैं और पूरे गाँव में मिठाइयाँ बटवाते हैं। वही अगर बेटी का जन्म हो जाए तो पूरे घर में सन्नाटा पसर जाता है जैसे कि कोई आपदा या विपदा आ गई हो। वह बेटी को पराया धन मानते हैं क्योंकि एक दिन बेटियों को शादी करके दूसरे घर जाना होता है। इसलिए, गिरी हुई मानसिकता वाले लोग सोचते हैं कि बेटियों पर किसी भी प्रकार का खर्च करना बे मतलब है। इसलिए वे बेटियों को पढ़ाते लिखाते नहीं और ना ही उनका सही से पालन पोषण करते हैं।
वेटियों के दुर्दशा के कारण : भारत में जब से नई तकनीकों का विकास हुआ है लोग जब से सिर्फ अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए जीने लगे हैं तब से बेटियों की स्थिति हमारे देश में बहुत ही दयनीय हो गई है। उनकी इस स्थिति का जिम्मेदार और कोई नहीं आप और हम ही हैं। क्योंकि हमारे जैसे लोग ही बेटे और बेटियों में भेदभाव करने लगे हैं। जिस कारण बेटियाँ देश में असहज महसूस करने लगी हैं और उनकी जनसंख्या में भी काफी गिरावट आई है। कई राज्यों में तो हालात इतने खराब हो गए हैं कि वहाँ के युवाओं की अब शादी भी नहीं हो पा रही है ।
वेटियों के दुर्दशा के प्रभाव : यह सब हमको अच्छे से ज्ञात है कि किसी भी चीज की अति या कमी किसी ना किसी विनाशकारी आपदा को जन्म देती है।
चूँकि वर्तमान समय में बेटे और बेटियों में बहुत भेदभाव किया जाने लगा है। जिसके कारण लड़कियों की संख्या में कमी आई है और उनकी शिक्षा दीक्षा में भी बहुत कमी देखी गई है। इसका दुष्प्रभाव आज हमको देखने को मिल रहा है।
लड़के की चाह रखने वाले लोग जब तक उनके घर लड़का पैदा नहीं हो जाता तब तक वह बच्चे पैदा करते रहेंगे जिसके कारण भारी संख्या में जनसंख्या का विस्तार होगा। लड़कियों की जनसंख्या कम होने के कारण आए दिन आपने एक बार और समाचारों में देखा होगा कि हमारे देश में बलात्कार जैसी घटनाएँ बहुत ही तेजी से बढ़ रही है। इसका एक कारण यह भी है कि लड़कियों की जन्म दर बहुत कम हो गई है। अगर लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाएगा तो देश के विकास की गति धीमी हो जाएगी क्योंकि आज भी हमारे देश में आधी जनसंख्या महिलाओं की है अगर उन्हीं को उचित शिक्षा और सुरक्षा नहीं मिलेगी तो हमारे देश के विकास की गति अपने आप ही धीमी हो जाएगी।
हाल ही में सरकार ने एक नया कानून लाया है जिसकी सराहना की जा सकती है जिसमें 12 साल तक की लड़कियों से बलात्कार करने पर फांसी की सजा दी जाएगी। अगर ऐसे ही सख्त कानून बनते रहे तो किसी की भी हिम्मत नहीं होगी कि लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार करें।
4.प्रश्न-  दहेज के विषय पर लड़का और लड़की के बीच का संवाद लिखिए । 
उत्तर- सोनम—राजीव, दहेज के विषय में आपका क्या विचार है?
राजीव—मैं इस प्रथा के बिल्कुल खिलाफ हूँ। इसके चलते कन्या के माता-पिता तथा अभिभावकों को वर पक्ष के लिए विवाह के पहले और विवाह के समय काफी बड़ी रकम की व्यवस्था करनी पड़ती है।
सोनम—आपका कहना बिल्कुल सही है। लड़के की शिक्षा और पद के हिसाब से दहेज की माँग होती है। लड़की के माता-पिता की आमदनी का बिल्कुल ख्याल नहीं रखा जाता है। मैंने तो अपने माता-पिता को कह दिया है कि मैं अपने विवाह की स्वीकृति उसी परिवार के लिए दूँगी जिनकी दहेज की कोई माँग नहीं हो।
राजीव—आपने ठीक फैसला किया है, समाज के लिए भी यह एक आदर्श होगा। यह तो लड़के को बिकाऊ माल समझना जैसा है।
सोनम—मैंने निश्चय कर लिया है कि मैं नौकरी करूँगी तथा अपने पिताजी की गृहस्थी संबंधी कार्य में हाथ बटाऊँगी।
राजीव—हाँ आप ठीक कह रही हैं, आज की मुलाकात बस इतनी रखी जाए। कल पुनः हमलोग मिलेंगे तो बातें होंगी। सधन्यवाद ।
                                                       अथवा
प्रश्न- अपने मित्र को एक पत्र लिखें जिसमें शैक्षणिक भ्रमण से हुए अनुभव की चर्चा हो ।
उत्तर-                                                                                                                                             05.02.2021
                                                                                                                                                       परीक्षाभवन
प्रिय मित्र माधव,
    नमस्कार
चार-पाँच दिन पूर्व तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। मैं क्षमाप्रार्थी हूँ कि समय पर मैंने तुम्हारे पत्र का उत्तर नहीं दिया, क्योंकि मैं पटना-भ्रमण पर चला गया था।
मैं अपने पाँच मित्रों के साथ पटना-भ्रमण पर गया था। पटना-भ्रमण मेरे लिए जितना सुखद था, उतना ही ज्ञानवर्द्धक भी। मैं वहाँ अपने मित्रों के साथ तीन दिनों तक रहा तथा मैंने वहाँ के विभिन्न ऐतिहासिक तथा पौराणिक स्थल देखे ।
पटना नगर गंगा के तट पर अवस्थित है। इसका प्राचीन नाम पाटलिपुत्र है। यह चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक और गुप्त वंश के चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में प्रमुख नगर के रूप में विद्यमान था। हमलोगों ने गोलघर, संजय गाँधी जैविक उद्यान, तारामंडल, इको पार्क, बुद्ध स्मृति पार्क, गाँधी संग्रहालय, अजायबघर, साइंस सिटी, कुम्हरार पार्क, बड़ी पटनदेवी मंदिर, छोटी पटनदेवी मंदिर, शीतला मंदिर, महावीर मंदिर (पटना जंक्शन के पास) तथा पटना सिटी में विद्यमान गुरुद्वारा (तख्त हरमंदिर साहब) के दर्शन किए।
पटना ऐतिहासिक महत्त्व का एक पर्यटन स्थल है। बिहार सरकार ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के प्रति अत्यंत जागरूक है, यह संतोष की बात है। पूज्य चाचाजी को मेरा सादर प्रणाम बोल देना। पत्रोत्तर की आशा में।
                                                                                                                                                      तुम्हारा मित्र
                                                                                                                                                         मुकेश
                                                                           अथवा
प्रश्न- अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को एक आवेदन पत्र लिखकर पुस्तकालय में हिंदी पत्रिकाएँ मँगवाने के लिए प्रार्थना कीजिए।
उत्तर-                                                                                                                                            05.02.2021
                                                                                                                                                     परीक्षाभवन
सेवा में,
     श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय
     उच्च विद्यालय, सीतामढ़ी
द्वारा—वर्ग शिक्षक
विषय—विद्यालय के पुस्तकालय में हिंदी पत्रिकाएँ मँगवाने के लिए प्रार्थना।
महाशय,
विनयपूर्वक मैं विद्यालय की कतिपय त्रुटियों की ओर आपका ध्यान आंकृष्ट करना चाहता हूँ। आशा है, आप इसे मेरी धृष्टता नहीं समझेंगे। आपकी कर्तव्यपरायणता और उदारता को दृष्टि में रखकर ही मैं ऐसा साहस कर रहा हूँ।
विद्यालय के पुस्तकालय में हिंदी पत्रिकाएँ पर कोई ध्यान नहीं देता। विद्यालय का पूरा का पूरा पुस्तकालय अन्य पुस्तकों से भरा हुआ है जिसके कारण हिन्दी का सही ज्ञान नहीं हो पाता है।
आपसे साग्रह निवेदन है कि मेरे उपर्युक्त निवेदनों पर यथाशीघ्र ध्यान देते हुए विद्यालय के पुस्तकालय में हिंदी पत्रिकाएँ की व्यवस्था कराया जाए। एतदर्थ, मैं ही नहीं, विद्यालय के सारे छात्र-छात्राएँ आपके आभारी होंगे।
दिनांक : 12 फरवरी 2021                                                                                                     आपका विश्वासभाजन
                                                                                                                                              अश्विनी कुमार
                                                                                                                                             वर्ग – दशम ‘अ’
5.प्रश्न- निम्नलिखित  प्रश्नों में से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर लगभग 20-30 शब्दों में दें।
प्रश्न- गुर्जर प्रतिहार कौन थे ?
उत्तर- इतिहासकारों की ऐसी मान्यता है कि गुर्जर-प्रतिहार ईसा की आठवीं सदी के पूर्वार्द्ध में बाहर से भारत आए थे और अवंती प्रदेश (उज्जैन, मालव प्रदेश) में अपना शासन स्थापित किया था। उसके बाद कन्नौज पर भी अधिकार कर लिया था। मिहिर भोज, महेंद्रपाल आदि प्रसिद्ध प्रतिहार शासक हुए।
प्रश्न- लेखक ने ‘नया सिकंदर’ किसे कहा है, और क्यों ? 
उत्तर- लेखक ने भारतीय सिविल सेवा हेतु चयनित युवा अँगरेज अधिकारियों को ‘नया सिकंदर’ कहा है। लेखक का ऐसा कहना उचित है, क्योंकि उनकी नौकरी यहाँ भारत में पक्की थी। सिकंदर राजनीतिक जीत के लिए भारत आया था। वह विश्वविजेता बनना चाहता था और उसी क्रम में वह भारत आया था। नए अँगरेज अधिकारी ‘सिकंदर’ नहीं, ‘नए सिकंदर’ के रूप में लेखक द्वारा संबोधित किए गए हैं। अर्थात, लेखक राजनीतिक विजय के स्थान पर सांस्कृतिक विजय को महत्त्व दे रहा है। लेखक कहता है कि जिस तरह सर विलियम जोन्स ने भारत आकर प्राच्य देशों के इतिहास और साहित्य के क्षेत्र में अनेक महत्त्वपूर्ण विजय प्राप्त की है, उसी तरह भारतीय सिविल सेवा हेतु चयनित युवा अँगरेज अधिकारियों को भी भारतीय इतिहास और साहित्य के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण सफलताएँ अर्जित करनी चाहिए, क्योंकि भारतीय इतिहास और साहित्य अपरिमित और अनंत है। इन क्षेत्रों में शोध और अनुसंधान के अनगिनत अवसर हैं।
प्रश्न- कवि की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहाँ है ? 
उत्तर- संत कवि नानक कहते हैं कि जिसने आशा-आकांक्षा और सांसारिक मोह-माया का त्याग कर दिया है, जिसके जीवन में काम-क्रोध के लिए कोई स्थान नहीं है, अर्थात जो काम और क्रोधरहित है, उसकी अंतरात्मा में ब्रह्म का निवास होता है।
प्रश्न- बेटे के लिए ‘ङ’ क्या है, और क्यों ? 
उत्तर- एक बेटा (छोटा सा) देवनागरी लिपि में हिंदी के वर्णों को लिखना सीख रहा हैं। वर्ण ‘ङ’ को देखकर उसे लगता है कि ‘ङ’ का ‘ड’ माँ है तथा उसके बगल का बिंदु (·) उसका छोटा-सा बेटा है।
प्रश्न- वाणी कब विष के समान हो जाती है ? 
उत्तर- राम-नाम के बिना संसार में जन्म लेना व्यर्थ है। राम-नाम के बिना हम विष खाते हैं तथा राम-नाम के उच्चारण के बिना विष बोलने लगते हैं। इस प्रकार, वाणी विष समान हो जाती है।
प्रश्न- कवि ने डफाली किसे कहा है ?
उत्तर- कवि (प्रेमघन) कहता है कि चारों वर्गों में अँगरेजों के प्रति दास-वृत्ति का अतिशय विकास हुआ है। सभी अपने क्षुद्र स्वार्थों की पूर्ति के लिए अँगरेजों की झूठी प्रशंसा और खुशामद में लगे हुए हैं। कवि ने ऐसे लोगों को ‘डफाली’ की संज्ञा दी है। ‘डफाली’ डफ बजानेवाले को कहते हैं जो डफ पर कव्वाली, लावनी आदि गाकर अपना जीवन निर्वाह करता है। क्षुद्र स्वार्थों की पूर्ति के लिए अपनी भारतीयता और अस्मिता को गिरवी रखनेवाले लोग डफाली की तरह अँगरेजों का झूठा यशोगान और उनकी खुशामद करते हैं।
प्रश्न- नागरी लिपि के आरंभिक लेख कहाँ प्राप्त हुए ? 
उत्तर- विद्वानों के अनुसार नागरी लिपि के के आरंभिक लेख विध्य पर्वत के नीचे दक्कन प्रदेश से प्राप्त हुए हैं।
प्रश्न- बहादुर के चले जाने पर निर्मला को किस बात का अफसोस हुआ ? 
उत्तर- बहादुर के चले जाने पर निर्मला को इस बात का अफसोस है कि वह कोई सामान नहीं ले गया है। वह अपने कपड़े, बिस्तर, जूते सब कुछ छोड़ गया है। यदि वह इन्हें अपने साथ ले गया होता तो शायद निर्मला को एक प्रकार का संतोष हो गया होता। उसे अफसोस है कि उसने बहादुर को कुछ नहीं दिया। यदि वह कहकर अपने घर लौटता तो वह उसे खूब अच्छी तरह पहना ओढ़ाकर भेजती, हाथ में उसकी तनख्वाह के रुपये दे देती, दो-चार रुपये और अधिक दे देती, पर वह कुछ ले ही नहीं गया !
6. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लिखिए–
प्रश्न- ‘विष के दाँत’ शीर्षक कहानी के आधार पर काशू का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर- काशू समृद्ध पिता का शोख लड़का है। पाँच बहनों के बाद पैदा होने के चलते उसे परिवार में अतिरिक्त सावधानी के साथ पाला जाता है। माता-पिता और बहनों का अतिशय प्रेम पाकर काशू के स्वभाव में एक प्रकार का दुराग्रह व्याप्त हो गया है। वह जिद्दी स्वभाव का है; उसके मन में जो आता है, वही करता है। सेनों ने जो नियम बनाए हैं, वे केवल उनकी लड़कियों के लिए हैं, काशू पारिवारिक नियमों के ऊपर है। जिस तरह अपने माता-पिता के बुढ़ापे में पैदा होकर उसने एक प्रकार से प्राकृतिक नियमों की अवहेलना की है, उसी प्रकार वह सेनों द्वारा निर्धारित नियमों की भी अवहेलना करता है। सेन और मिसेज सेन काशू की विध्वंसक प्रवृत्ति को बर्दाश्त करते हैं क्योंकि वह नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा है। पिता की समृद्धि, माता-पिता और बहनों के अतिशय प्रेम और सेनों के बुढ़ापे में पैदा होने से काशू में स्वच्छंदता का स्वाभाविक विकास हुआ है। वह अहंकारवृत्ति से पूर्ण है। अपनी समृद्धि के तैश में आकर वह मदन को घूँसा मारता है। गरीब मदन का स्वाभिमान धनी काशू के अहंकार को मुक्कों और घूँसों से तोड़ता है।
काशू में बालसुलभ स्वाभाविकता भी है। वह मदन को लट्टू नचाता देखता है और उसके मन में भी लट्टू नचाने की लालसा जग जाती है। वह यह नहीं विचार करता कि वह समृद्ध बाप का बेटा है, उसे अपने पिता की फैक्टरी में काम करनेवाले कर्मचारियों के लड़कों के साथ खेलना शोभा नहीं देता।
प्रश्न- धूप में बारिश में 
       गर्मी में सर्दी में 
       हमेशा चौकन्ना 
       अपनी खाकी वर्दी में ‘ 
       दूर से ही ललकारता, (कौन?”
      “मैं जबाव देता, “दोस्त”
       इन पंक्तियों का अर्थ लिखें।
उत्तर- वृक्ष चौकन्ना इसलिए रहता था, क्योंकि उसे अपने आसपास अनेक दुश्मनों के होने की आशंका थी। कवि को अपने इर्द-गिर्द अनेक जानी दुश्मनों के होने की आशंका थी। उसे यह पता था कि घर, शहर, देश, देश की नदियाँ, हवा, जंगल, मरुस्थल आदि दुश्मनों की आँखों पर चढ़े हुए हैं। बूढ़े वृक्ष को अपने आसपास जानी दुश्मन होने की आशंका थी। अतः, थोड़ी भी खड़खड़ होती थी, तो वह ललकारते स्वर में पूछता, ‘कौन ?’। यदि कवि ही उस पेड़ के आसपास होता और उसकी ही पदचापों से खड़खड़ की आवाज उत्पन्न हुई होती, तो वह वृक्ष का उत्तर देते हुए कहता- मैं हूँ आपके आसपास; मैं आपका दोस्त हूँ।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *