Bihar Secondary School Sample Paper Solved | BSEB Class 10th Sample Sets with Answers | Bihar Board class 10th Sample Paper Solved | Bihar Board Class 10th hindi Sample set – 1

Bihar Secondary School Sample Paper Solved | BSEB Class 10th Sample Sets with Answers | Bihar Board class 10th Sample Paper Solved | Bihar Board Class 10th hindi Sample set – 1

 

1. मदन किसका पुत्र था ? 

(A) सेन साहब
(B) शोफर
(C) गिरधर लाल 
(D) सिंह साहब
2. डॉ० भीमराव अम्बेडकर बेरोजगारी का प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण किसे मानते थे ?
(A) अशिक्षा
(B) जनसंख्या
(C) जाति प्रथा
(D) उद्योग-धंधों की कमी
3. जाति प्रथा और श्रम-विभाजन साहित्य की कौन-सी विधा है? 
(A) कहानी
(B) निबंध 
(C) रिपोतार्ज
(D) शिक्षा शास्त्र
4. ‘कामसूत्र’ किसकी रचना है? 
(A) वात्स्यायन
(B) हजारी प्रसाद द्विवेदी
 (C) गुणाकर मूले
(D) अम्बेडकर
5. हिन्दी के आदि कवि का क्या नाम था ? 
(A) रामधारी सिंह
(B) मैथिलीशरण गुप्त
(C) सरहपाद 
(D) दंतिदुर्ग दिनकर
6. पाप्पाती किसकी बेटी थी? 
(A) बल्लि अम्माल 
 (B) नजम्मा
(C) मंगम्मा
(D) रंगप्पा
7. दूसरों की नकल कर लिखा गया साहित्य कैसा साहित्य होता है ? 
(A) उत्तम
(B) अधम 
(C) मध्यम
(D) सर्वोत्तम
8. बिरजू महाराज को किसमें महारथ हासिल थी ?
(A) कथक
(B) भरतनाट्यम
(C) गायन
(D) वादन
9. लेखक ने आविन्यों में रहकर कितने गद्य की रचना की?
(A) 29
(B) 28
(C) 27
(D) 30
10. मछली पाठ के लेखक कौन हैं? 
(A) रामधारी सिंह दिनकर
(B) रामचन्द्र शुक्ल
(C) विनोद कुमार शुक्ल
(D) प्रेमचन्द
11. विस्मिल्ला खाँ के बचपन का क्या नाम था ?
(A) शमसुद्दीन
(B) कमरूद्दीन 
(C) अमीरूद्दीन
(D) ग्यासुद्दीन
12. भीमराव अम्बेडकर का जन्म कहाँ हुआ था? 
(A) मध्य प्रदेश
(B) पटना
(C) दिल्ली
(D) पंजाब
13. ‘हिन्द- स्वराज’ किसकी रचना है? 
(A) हरिश्चंद्र
(B) यशपाल
(C) महात्मा गाँधी
(D) जायसी
14. ‘बिरजू महाराज’ का जन्म कब हुआ? 
(A) 1937
(B) 1938 
(C) 1838
(D) 1837
15. ‘वारेन हेस्टिंग्स’ को कितने सोने के सिक्के मिले थे ?  
(A) 172 
(B) 173
(C) 174
(D) 175
16. ब्रह्मा निवास स्थान है ?
(A) वाणी
(B) हृदय 
(C) मंदिर
(D) मस्जिद
17. ‘रसखान’ किसकी भक्ति करते थे ? 
(A) राम
(B) शिव
(C) कृष्ण 
(D) विष्णु
18. घनानंद का दूसरा पद किसको सम्बोधित है? 
(A) बादल 
(B) सुजान
(C) भगवान
(D) कृष्ण
19. ‘सुमित्रानंदन पंत’ ने मिट्टी की प्रतिमा उदासिनी किसे कहा है ? 
(A) जगतमाता
(B) भारतमाता 
(C) कुमाता
(D) माता
20. धूसरता किससे शृंगार सजाती है?
(A) सोने
(B) पानी
(C) मिट्टी
(D) चाँदी
21. ‘हिरोशिमा’ कविता के कवि हैं? 
(A) अज्ञेय 
(B) अनामिका
(C) जीवनानंद दास
(D) कुंवर नारायण
22. ‘कुँवर नारायण’ कैसे कवि हैं?
(A) रहस्यवादी
(B) छायावादी
(C) स्वच्छंदवादी
(D) संवेदना 
23. ‘हमारी नींद’ कविता में किसने अपने कोमल सीगों से ढकेलना शुरू किया ? 
(A) बैल
(B) अंकुर
(C) हिरण
(D) बकरी
24. (ङ) में बालक (.) को क्या समझता है? 
(A) माँ
(B) बेटी
(C) बेटा
(D) पिता
25. ‘लौटकर आऊँगा फिर’ कविता में कवि क्या बनकर तैरते रहने की कामना करते हैं ?
(A) बत्तक
(B) मछली
(C) हँस
(D) साँप
26. ‘मेरे बिना तुम प्रभु’ में लहुलुहान कौन भटकेंगे ? 
(A) भक्त
(B) भगवान के पैर  
(C) दानव
(D) राजा
27. ‘मेरे विना तुम प्रभु’ किस भाषा से अनुवादित है? 
(A) अंग्रेजी
(B) जर्मन 
(C) रूसी
(D) फ्रांसीसी
28. ‘ढहते विश्वास’ के रचयिता हैं? 
(A) सॉवर दइया
(B) सुजाता
(C) सातकोड़ी होता
(D) श्री निवास
29. गुणनिधि कहाँ से लौटा था ? 
(A) कटक 
(B) कर्नाटक
(C) कलकत्ता
(D) बैंगलौर
30. पाप्पाति की क्या उम्र थी ? 
(A) 10
(B) 13
(C) 11
(D) 12 
31. सीता  के बेटों ने सीता को कितने रुपये माहवारी खर्च देने का निर्णय किया ?
(A) 60
(B) 50
(C) 70
(D) 100
32. धरती कब तक घूमेगी’ के कहानीकार हैं?
(A) साँवर दइया 
(B) श्री निवास
(C) ईश्वर पेटलीकर
(D) सातकोड़ी होता
33. ‘नगर’ कहानी का प्रमुख पात्र कौन है ? 
(A) मंगम्मा
(B) पाप्पाति 
(C) सीता
(D) लक्ष्मी
34. लक्ष्मी ने बाँध की निगरानी करने के लिए किसको भेजा?  
(A) लक्ष्मण
(B) रंगप्पा
(C) गुणनिधि
(D) अच्युत
35.   ढहते विश्वास कहानी में किस नदी का भयावह दृश्य प्रस्तुत किया गया है ?
(A) ब्रह्मपुत्र
(B) महानदी
(C) सोन
(D) कोसी
36. संज्ञा के कितने भेद होते हैं? 
(A) पाँच 
(B) तीन
(C) चार
(D) छ
37. ‘कोई आ रहा है’ इस वाक्य में ‘कोई’ कौन-सा सर्वनाम है?  
(A) निजवाचक
 (B) निश्चयवाचक
(C) अनिश्चयवाचक 
(D) पुरुषवाचक
38. ‘रामचरितमानस’ में अनेक मार्मिक प्रसंग आए हैं।’ इस वाक्य में विशेषण पद चुनें।
(A) रामचरितमानस
(B) मार्मिक 
(C) प्रसंग
(D) अनेक
39. क्रिया के कितने भेद होते हैं? 
(A) दो 
(B) तीन
(C) चार
(D) पाँच
40. वर्तमान काल के कितने भेद होते हैं? 
(A) पाँच
(B) छः
(C) तीन
(D) चार 
41. ‘बंदर पेड़ पर बैठा है’ इस वाक्य में ‘पेड़ पर’ में किस कारक का प्रयोग हुआ है?
(A) कर्ता
(B) करण
(C) अधिकरण 
(D) संप्रदान
42. रचना की दृष्टि से वाक्य कितने प्रकार के होते हैं? 
(A) तीन 
(B) दो
(C) चार
(D) पाँच
43. नदी + ईश में कौन-सी संधि है? 
(A) दीर्घ 
(B) यण
(C) वृद्धि
(D) अयादि
44. मूक का विलोम है? 
(A) कमूक
(B) अमूक
(C) विमूक
(D) वाचाल 
45. ‘अष्टधातु’ में कौन सा समास है ? 
(A) अव्ययीभाव
(B) द्विगु
(C) तत्पुरुष
(D) द्वन्द्व
46. ‘गुदड़ी का लाल’ मुहावरे का क्या अर्थ है ? 
(A) गुदड़ी में लाल रंग लगना
(B) लाल होना
(C) निर्धन परिवार में गुणी का जन्म होना 
(D) निर्धन परिवार में लाल का जन्म होना
47. निम्नलिखित शब्दों में शुद्ध शब्द वताइए ? 
(A) हितैसी
(B) हितैशी
(C) हितैषी
(D) हितैषि
48. किस चिह्न को ‘विस्मयादिबोधक’ चिह्न कहा जाता है ?
(A) (!)
(B) (” “)
(C) (—)
(D) (;)
49. उपसर्ग किसी शब्द में कहाँ जुड़कर उसका अर्थ बदल देते हैं ? 
(A) आगे 
(B) अन्त में
(C) मध्य में
(D) इनमें से कोई नहीं
50. विसर्ग (:) का उच्चारण – स्थान क्या है ? 
(A) तालु
(B) मूर्द्धा
(C) कण्ठ
(D) नासिका
51. रंगप्पा था
(A) व्यापारी
(B) वकील
(C) किसान
(D) जुआरी
52. सूक्ति का संधि-विच्छेद है 
(A) स + उक्ति
(B) सु + उक्ति 
(C) सू + उक्ति
(D) शू + उक्ति
53. ‘यथाशक्ति’ कौन-सा समास है ? 
(A) कर्मधारय
(B) द्वन्द्व
(C) अव्ययीभाव 
(D) बहुव्रीहि
54, ‘कल्पलता’ किसकी रचना है? 
(A) हजारी प्रसाद द्विवेदी 
(B) गुणाकर मूले
(C) अशोक वाजपेयी
(D) महात्मा गाँधी
55. मंगम्मा की बहु का क्या नाम है? 
(A) नजम्मा 
(B) रंगम्मा
(C) गंगम्मा
(D) संगम्मा
56. “इन मुसलमान हरिजन पै, कोटिन हिन्दू वारिये” यह किस कवि के लिए कहा गया है ? 
(A) कबीरदास
(B) मलिक मुहम्मद जायसी
(C) रहीम
(D) रसखान
57. ‘हमारी नींद’ में ‘नींद’ किसका प्रतीक है? 
(A) पागलपन
(B) बेहोशी
(C) गफलत
(D) मदहोशी
58. अव्यय के कितने भेद होते हैं? 
(A) दो
(B) तीन
(C) चार 
(D) पाँच
59. वाणी कब विष के समान हो जाती है ? 
(A) राम नाम के बिना 
(B) जान के बिना
(C) तीर्थ यात्रा के बिना
(D) इनमें से सभी
60. घनानंद की भाषा क्या है ? 
(A) अवधी
(B) ब्रजभाषा 
(C) प्राकृत
(D) पाली
1. निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का है। 
(क) कबीर जन्मजात प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। सिद्ध पुरुष के रूप में उनकी ख्याति शीघ्र फैल गई। वे जहाँ भी जाते वहीं अनेक लोग शिष्य हो जाते। हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग उनके शिष्य थे। उन्होंने समानता की दृष्टि रखकर बाह्य आडंबरों और रूढ़ियों का खंडन किया। जिसके परिणामस्वरूप हिन्दू और मुसलमान दोनों ही जातियों के लोग उनके विरोधी हो गए। कहते हैं जिस समय सिकंदर लोधी ने कबीर को सिपाही द्वारा बुलवा भेजा। सवेरे के बुलाए हुए कबीर शाम को पहुँचे। इनको देखकर बादशाह आग-बबूला हो गया और उनसे पूछा कि इतनी देर से क्यों आए हो। कबीर ने कहा कि मुझे एक अद्भुत आश्चर्य दिखाई दिया जिसे आप देखते तो देखते ही रह जाते। उसने पूछा वह आश्चर्य क्या है ? कबीर ने उत्तर दिया कि मैंने देखा की सुई के छेद से हाथी, घोड़ा, ऊँट पर्वत सब निकलते जा रहे हैं। बादशाह स्वयं उस दृश्य को देखने के लिए तैयार हुआ। तब कबीर ने बताया की वह दृश्य आप नहीं देख सकते हैं। आपकी आँख की पुतली सुई के छेद के बराबर है परंतु उससे आप हाथी, घोड़ा, ऊँट, वन, पर्वत सभी को देख लेते हैं। सब उसमें समा जाते हैं। क्या यह आश्चर्य की बात नहीं कहते हैं कि कबीर के बातों से सिकन्दर लोधी बहुत प्रभावित हुआ और उनको प्रणाम करके छोड़ दिया।
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें—
प्रश्न- हिन्दू और मुसलमान दोनों ही जातियों के कुछ लोग गरीब के विरोधी क्यों हो गए थे? 
उत्तर– समता एवं स्पष्टवादी कबीर ने हिन्दू और मुसलमान दोनों के अंधविश्वास एवं बाह्याडंबर का विरोध किया। इसीलिए दोनों धर्मों के कुछ लोगों ने कबीर का विरोध किया। 
प्रश्न- मुल्लाओं और पंडितों ने सिकन्दर लोधी से कबीर की शिकायत कहाँ और क्यों की थी ?
उत्तर– मुसलमानों एवं पंडितों ने काशी में सिकन्दर लोधी से कबीर की शिकायत की।
प्रश्न-सिकंदर लोधी ने कबीर को क्यों बुलवा भेजा था ? 
उत्तर– मुसलमानों एवं पंडितों की शिकायतों के बाद सिकन्दर लोधी ने कबीर का पक्ष सुनने के लिए बुलावा भेजा।
प्रश्न-कबीर ने सिकन्दर लोधी को देर से आने का क्या कारण बताया ? 
उत्तर– सिकन्दर लोधी के बुलावे पर कबीर प्रातः काल के बदले सायंकाल पहुँचे। देर से पहुँचने का कारण उन्होंने बताया कि मैं सुई की छेद से हाथी, घोड़े और पर्वत को निकलते देख रहा था। इसीलिए विलंब हो गया।
प्रश्न-कबीरजी ने किसका खंडन किया ?
उत्तर– बाह्य-आडम्बरों और रूढ़ियों का।
                                                                       अथवा
(ख) साहित्य और समाज का संबंध जानने के लिए हमें पहले यह जानना होगा कि साहित्य क्या है ? इसका उद्देश्य क्या है ? सृष्टि में कोई भी प्राणी, पदार्थ या अन्य कुछ निरुद्देश्य नहीं है। मानव इस सृष्टि का सर्वोच्च प्राणी है। मानव ने अपने सतत प्रयास और साधना से आज तक जो भी प्राप्त किया है उसमें साहित्य और कला उसकी सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि रही है। इसलिए, साहित्य का मूल स्रोत मानव को ही माना गया है। इस प्रकार, ‘साहित्य’ का मूल उद्देश्य जीवन और समाज की कुरीतियों तथा सभी प्रकार की बुराइयों से हटाकर स्वस्थ, सुंदर और आनंदमय जीवन की ओर अग्रसर करना है। शब्द रचना की दृष्टि से साहित्य शब्द में दो शब्दों में हित का भाव पाते हैं। अर्थात ‘जो रचना मानवता का हित साधन करती है वह ‘साहित्य’ है। डॉ. श्यामसुंदर दास के अनुसार, ‘साहित्य’ वह है जो हृदय में अलौकिक आनंद या चमत्कार की सृष्टि करे। प्रेमचंद ने कहा है, “साहित्य हमारे जीवन को स्वाभाविक और सुंदर बनाता है। ” भारतीय आचार्यों के अनुसार, रस प्राप्त करना या मनोरंजन पाना ही साहित्य का उद्देश्य है। यह तभी मिल सकता है जब मनुष्य का मन स्वस्थ एवं सहज हो । मानव जीवन और समाज संसार में सर्वोच्च है। ऐसी मान्यता है कि साहित्य, कला, ज्ञान-विज्ञान, दर्शन, धर्म आदि जो कुछ भी संसार में है वह सब जीवन और मानव समाज के लिए ही है। मानव एक सामाजिक प्राणी है। वह जो कुछ भी सोचता या समझता है, वह सब लिपिबद्ध होकर साहित्य कहलाता है। जब से मानव ने सोचना- विचारना, पढ़ना-लिखना सीखा है तभी से साहित्य और समाज में आदान-प्रदान की यह प्रक्रिया भी चल रही है और तब तक चलती रहेगी जब तक कि मनुष्य में सोचने-समझने के गुण विद्यमान रहेंगे।
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें-
प्रश्न-इस सृष्टि का सर्वोच्च प्राणी कौन है? 
उत्तर– मानव इस सृष्टि का सर्वोच्च प्राणी है। 
प्रश्न-मानव की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि क्या है? 
उत्तर– साहित्य और कला मानव की सर्वश्रेष्ठ (श्रेष्ठ) उपलब्धि है। 
प्रश्न-साहित्य का मूल उद्देश्य क्या है? 
उत्तर– साहित्य का मूल उद्देश्य है जीवन और समाज की समस्त कुरीतियों एवं बुराइयों को दूरकर उन्हें सौंदर्य एवं आनंद की ओर अग्रसर करना।
प्रश्न-साहित्य किसे कहते हैं?
उत्तर– जो रचना मानवता का हित-साधन करने के साथ हृदय में अलौकिक आनंद या चमत्कार की सृष्टि करे, वह ‘साहित्य’ है। अर्थात ‘मानवता का हित’ साधन करने के साथ जो रचना हृदय में अलौकिक आनंद या चमत्कार की सृष्टि करती है, उसे ‘साहित्य’ कहते हैं। 
प्रश्न-मनुष्य में सोचने-समझने के गुण कब तक बने रहेंगे ?
उत्तर– जब तक साहित्य और समाज में आदान-प्रदान की प्रक्रिया चलती रहेगी तब तक मनुष्य में सोचने-समझने के गुण विद्यमान रहेंगे।
2. निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों से के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का है।
(क) भूखा मनुष्य क्या पाप नहीं करता अर्थात् सभी पाप करते हैं। धन से क्षीण मनुष्य दयाहीन हो जाता है। उसमें कर्त्तव्य और अकर्त्तव्य का विवेक नहीं रहता। यही दशा आज के युग की है। चारों ओर डकैतियाँ, छीना-झपटी और लूट-खसोट सुनाई पड़ती है। कहीं बैंक लूटने का समाचार अखबार में छपा हुआ मिलता है, तो कहीं गाड़ियाँ लूटने का। मनुष्य के जीवन से आनन्द और उल्लास न जाने कहाँ जाते रहे। उसे अपनी और अपने परिवार की रोटियों की चिन्ता है। चाहे उसका उपार्जन सदाचार से हो या दुराचार से ।
आजकल श्रमिक हो या अनवरत बौद्धिक श्रम करने वाला विद्वान, सभी बेरोजगारी के शिकार बने हुए हैं। निरक्षर तो किसी तरह अपने पेट भर लेते हैं परन्तु पढ़े-लिखे लोगों की स्थिति बहुत खराब है। यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि हम स्वतंत्र तो हैं किन्तु आर्थिक दृष्टिकोण से निश्चित रूप से परतंत्र हैं। एक सुखी-सम्पन्न हैं तो पचास दुखी और दरिद्र । ऐसा नहीं है कि यह समस्या नई है। द्वितीय महायुद्ध से पहले यह समस्या भारत में विद्यमान थी। प्रश्न केवल यह है कि इस समय यह समस्या अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई है। यह भी ठीक ही है कि बढ़ती हुई जनसंख्या ने बेरोजगारी की समस्या को और भी बढ़ा दिया है। साधन, सुविधाएँ और उत्पादन तो वही रहा परन्तु उपभोक्ता अधिक हो गए हैं। उदाहरण के तौर पर घर में कमानेवाला एक हो और खानेवाला दस हो, तो दरिद्रता अवश्य आएगी। बस यही दशा भारतवर्ष की हो रही है। यहाँ की सामाजिक परम्परा भी इसका मुख्य कारण है। बहुत से नकाराओं ने भीख माँगना अपना व्यवसाय बना लिया है जबकि साधु-संन्यासियों को दान देना पुण्य समझा जाता है। इस प्रकार के बेरोजगारों की संख्या भी दिन-रात बढ़ती ही जा रही है।
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें—
प्रश्न-आज के युग की दशा कैसी है?
उत्तर– आज कर्तव्य और अकर्तव्य का विवेक खत्म हो गया है। लूटखसोट, छीना-झपटी, डकैती आदि का सर्वत्र बोलबाला है। 
प्रश्न-आज मनुष्य किसकी चिन्ता करता है? 
उत्तर– आज मनुष्य अपनी रोजी-रोटी की चिन्ता करता है। 
प्रश्न-आजकल कैसे लोग बेरोजगारी के शिकार है? 
उत्तर– आजकल श्रमिक हों या बौद्धिक श्रम करने वाले विद्वान्, सभी बेरोजगारी के शिकार हैं।
प्रश्न-बेरोजगारी की समस्या का मुख्य कारण क्या है? 
उत्तर– बेरोजगारी की समस्या का मुख्य कारण है- जनसंख्या में वृद्धि । 
प्रश्न-दरिद्रता कैसे आती है?  
उत्तर– बढ़ती जनसंख्या एवं बेरोजगारी के कारण कमाने वाले कम हैं तथा खाने वाले अधिक। इससे दरिद्रता आती है।
                                                                       अथवा
(ख) पूस की अँधेरी रात। आकाश में तारे भी ठिठुरते हुए मालूम होते थे। हल्कू अपने खेत के किनारे ईख के पत्तों की एक छतरी के नीचे बॉस के खटोले पर अपनी पुरानी चादर ओढ़े ठंढ से काँप रहा था। नीचे उसका पालतू जबरा नामक कुत्ता पेट में मुँह डाले सरदी से कूँ-कूँ कर रहा था। दोनों में से किसी को भी नींद नहीं आ रही थी। हल्कू ने घुटनों को गर्दन से चिपटाते हुए कहा, ‘क्यों जबरा’ जाड़ा लगता है? कहता तो था घर में पुआल पर लेटा रह, पर तू यहाँ दौड़ा-दौड़ा चला आया। अब खाओ ठंड, मैं क्या करूँ? जबरे ने पड़े-पड़े दुम हिलाई और वह अपनी कूँ-कूँ को दीर्घ बनाता हुआ एक बार जम्हाई लेकर चुप हो गया। उसकी श्वानबुद्धि शायद ताड़ लिया कि स्वामी को मेरी कूँ-कूँ से नींद नहीं आ रही है। हल्कू ने हाथ निकालकर जबरा की ठंडी पीठ सहलाते हुए कहा, कल से मत आना मेरे साथ, नहीं तो ठंडे हो जाओगे। यह सर्द पछुआ न जाने कहाँ से बर्फ लिए आ रही है। उढूँ, फिर एक चिलम भरूँ। किसी तरह रात तो कटे। आठ चिलम हो भी चुका। यह खेती का मजा है और एक भाग्यवान ऐसे पड़े हैं जिनके पास जाड़ा जाए तो गर्मी से घबड़ाकर भागे। मोटे-मोटे गद्दे, लिहाफ, कंबल। तकदीर की खूबी है। मजूरी हम करें, मजा दूसरे लूटे।
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें—
प्रश्न- इस गद्यांश का एक उचित शीर्षक दें। 
उत्तर–  शीर्षक– पूस की रात 
प्रश्न- पूस की रात में हल्कू कहाँ सोया था ? 
उत्तरहल्कू पूस की रात में अपने खेत के किनारे ईख के पत्तों की एक छतरी के नीचे बॉस के खटोले पर सोया था।
प्रश्न- हल्कू के साथ दूसरा संगी कौन था ? 
उत्तर हल्कू के साथ दूसरा संगी उसका पालतू कुत्ता जबरा था।
प्रश्न- ठंड कम करने के लिए हल्कू क्या किया करता था ? 
उत्तर ठंड कम करने के लिए हल्कू चिलम (तंबाकू) पीता था।
प्रश्न- हल्कू ने हाथ निकालकर जबरा की पीठ सहलाते हुए क्या कहा ?
उत्तर– हल्कू ने हाथ निकालकर जबरा की ठंडी पीठ सहलाते हुए कहा, कल से मत आना मेरे साथ, नहीं तो ठंडे हो जाओगे।
3. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-विंदुओं के आधार पर लगभग 250-300 शब्दों में निबंध लिखें। 
(क) खेल का महत्त्व
(i) भूमिका                       (ii) खेल के प्रति दृष्टिकोण
(iii) खेल के प्रकार            (iv) महत्त्व
(v) लाभ-हानि                  (vi) उपसंहार
                                                             (क) खेल का महत्त्व
भूमिका : खेल प्रायः सभी जीवों को प्रिय है। कहा भी गया है कि ईश्वर ने लीला के लिए ही सृष्टि का निर्माण किया।
यह लीला क्या है? खेल ही तो है।
खेल के प्रति दृष्टिकोण : प्राचीन ग्रंथों में अवतारी पुरुषों को भी बचपन में ‘खेलत-खात’ दिखाया गया है, चाहे राम हो या कृष्ण। बाद में आकर जब जीवन संघर्ष कठिन हो गया तो लोगों ने अपने बच्चों को बताना शुरू किया कि ‘खेलोगे-कूदोगे होगे खराब, पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब।’ नतीजा हुआ कि लोग किताब चाटते रहे और स्वास्थ्य चौपट कर लिया। लेकिन अब जमाना बदल गया है। पहले हुई गलती को लोगों ने सुधार लिया है और खेल-खेल में शिक्षा देने की
व्यवस्था की गई है। आरंभिक कक्षाओं में यही विधि अपनाई गई है और इसके अच्छे परिणाम निकले है।
खेल के प्रकार : खेल अनेक प्रकार के होते हैं। कुछ खेल मैदान में खेले जाते हैं, कुछ घरों में और कुछ जल में। क्रिकेट, वॉलीबॉल, फुटबॉल, कबड्डी, पोलो, हॉकी आदि खेल मैदान में खेले जाते हैं और कैरम, लुडो, शतरंज आदि प्रायः घरों में खेले जाते हैं। बैडमिंटन, टेनिस आदि मैदान में भी खेले जाते हैं, इनडोर स्टेडियम में भी।
महत्त्व : खेल का महत्त्व अनेक दृष्टियों से है। पहली बात तो यह कि इसमें भाग-दौड़ करने से शरीर चुस्त-दुरुस्त होता है और चपलता आती है जो कि स्वस्थ रहने के लिए अत्यावश्यक है। दूसरी बात यह है कि खेल से प्रतियोगिता, की भावना पैदा होती है जो जीवन में भी जरूरी है। तीसरी बात यह है कि इससे परस्पर सहयोग की भावना उत्पन्न होती है और त्याग की भावना का भी विकास होता है क्योंकि खिलाड़ी अपने लिए ही नहीं, पूरी टीम के लिए खेलता है और कभी अपने नगर, राज्य और देश के लिए भी। उसका सम्मान स्थान या देश से भी जुड़ जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि खेल से समय और आत्म-नियंत्रण का भाव उत्पन्न होता है।
लाभ-हानि : स्पष्ट है कि खेल का हमारे जीवन में, व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए, महत्त्वपूर्ण स्थान है। यही कारण है कि राज्य सरकारें इस पर ध्यान देने लगी हैं। राष्ट्रीय स्तर पर खेल नीति बनने लगी है। इसके फलस्वरूप खेल धीरे-धीरे व्यवसाय का रूप लेने लगे हैं। क्रिकेट, टेनिस और फुटबॉल के खिलाड़ी करोड़ों का वारा न्यारा करने लगे हैं। क्रिकेट, टेनिस में जीत-हार पर जुआबाजी होने लगी है और खिलाड़ी जीत और हार के लिए पैसे लेने लगे हैं। कुछ खिलाड़ी तो जीत के लिए नशीली दवाएँ भी लेते हैं। यह दुखद स्थिति है और खेल भावना के विपरीत और शर्मनाक है।
उपसंहार : वस्तुतः खेलों को खेल के रूप में स्वास्थ्य एवं जीवन विकास की सीढ़ी के रूप में ही लेना चाहिए। इसी में इसकी सार्थकता है।
(ख) स्वच्छता
(i) भूमिका                                      (ii) महत्त्व
(iii) स्वच्छता परिवार से समाज तक    (iv) उपसंहार
                                                                 (ख) स्वच्छता
भूमिका : स्वच्छता का अर्थ साधारण बोलचाल की भाषा में साफ-सुथरा रहना है। स्वच्छता का अर्थ पर्याप्त नहीं है। धुले हुए कपड़ा पहनना अपने व्यक्तित्व को निखारना ही नहीं है। स्वच्छता का अर्थ है कि अपने घर के आसपास को स्वच्छ रखना जिससे वातावरण शुद्ध, संतुलित, प्रदूषण रहित बनाना सम्मिलित है। स्वच्छता का अर्थ मन की पवित्रता से है। हमारे दैनिक जीवन में यह अनिवार्य है।
महत्त्व : स्वच्छता शारीरिक एवं मानसिक दोनों प्रकार से स्वस्थ एवं सुखी जीवन प्रदान करती है। मकान, गली, शौचालयों एवं गंदे नालियों को साफ रखने से वातावरण शुद्ध रहता है तथा ईश्वर का वास होता है। भावनाओं की स्वच्छता भी आवश्यक है। इससे हमें मानसिक स्फूर्ति तथा स्वच्छ चिंतन की अनुभूति होती है।
स्वच्छता परिवार से समाज तक : सिर्फ परिवार तक स्वच्छता सीमित नहीं होनी चहिए। समाज एवं राष्ट्र की प्रगति एवं समृद्धि के लिए सभी वर्ग को आगे आना होगा। यह सबका दायित्व है। समाज की उन्नति में हमारा स्वयं तथा परिवार का हित निहित है। परिवार समाज की एक छोटी इकाई है। हमारे देश की प्रधानमंत्री मोदी जी देश के नागरिकों को स्वच्छता अपनाने पर विशेष जोर दे रहे हैं।
उपसंहार : यह निर्विवाद तथ्य है कि स्वच्छता जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आवश्यक है। वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देना चाहिए। तभी परिवार, समाज एवं राष्ट्र के पैमाने पर संपूर्ण सेवा सर्वांगपूर्ण स्वच्छ एवं स्वस्थ वातावरण का निर्माण होगा।
(ग) भ्रष्टाचार 
(i) भूमिका                     (ii) भ्रष्टाचार के कारण
(iii) भ्रष्टाचार के परिणाम  (iv) भ्रष्टाचार के उपाय
(v) उपसंहार
                                                                    (ग) भ्रष्टाचार
भूमिका : अवैध तरीकों से धन अर्जित करना भ्रष्टाचार है, भ्रष्टाचार में व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए देश की संपत्ति का शोषण करता है। यह देश की उन्नति के पथ पर सबसे बड़ा बाधक तत्व है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में दोष निहित होने पर देश में भ्रष्टाचार की मात्रा बढ़ जाती है।
भ्रष्टाचार के कारण :
> देश का लचीला कानून– भ्रष्टाचार विकासशील देश की समस्या है, यहां भ्रष्टाचार होने का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून पैसे के दम पर ज्यादातर भ्रष्टाचारी बाइज्जत बरी हो जाते हैं, है। अपराधी को दण्ड का भय नहीं होता है।
>  व्यक्ति का लोभी स्वभाव– लालच और असंतुष्टि एक ऐसा विकार है जो व्यक्ति को बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता । व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने धन को बढ़ाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है।
> आदत- आदत व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। एक मिलिट्री रिटायर्ड ऑफिसर रिटायरमेंट के बाद भी अपने ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त किए अनुशासन को जीवन भर वहन करता है। उसी प्रकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ गई है।
भ्रष्टाचार के परिणाम : समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की उन्नति में सबसे बड़ा बाधक तत्व है। इसकी वजह से गरीब और गरीब होता जा रहा है। देश में बेरोजगारी, घूसखोरी, अपराध की मात्रा में दिन-प्रतिदन वृद्धि होती जा रही है यह भ्रष्टाचार के फलस्वरूप है। किसी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारणवश परिणाम यह है की विश्व स्तर पर देश के कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जाते हैं।
भ्रष्टाचार के उपाय :
> भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कानून–हमारे संविधान के लचीलेपन के वजह से अपराधी में दण्ड का बहुत अधिक भय नहीं रह गया है। अतः भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है।
> कानून की प्रक्रिया में समय का सदुपयोग–कानूनी प्रक्रिया में बहुत अधिक समय नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। इससे भ्रष्टाचारी को बल मिलता है।
> लोकपाल कानून की आवश्यकता–लोकपाल भ्रष्टाचार से जुड़े शिकायतों को सुनने का कार्य करता है। अतः देश में फैले भ्रष्टाचार को दूर करने हेतु लोकपाल क़ानून बनाना आवश्यक है।
निष्कर्ष : भ्रष्टाचार देश में लगा वह दीमक है जो अंदर ही अंदर देश को खोखला कर रहा है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है जो यह दिखाता है व्यक्ति लोभ, असंतुष्टि, आदत और मनसा जैसे विकारों की वजह से कैसे मौके का फायदा उठा सकता है।
(घ) जनसंख्या विस्फोट 
(i) भूमिका                                               (ii) आबादी की शक्ति
(iii) आबादी बढ़ने के कारण और परिणाम    (iv) उपसंहार
                                                                (घ) जनसंख्या विस्फोट
भूमिका : आज देश के सामने सुरसा की भाँति अपना मुँह बाये इसकी आबादी खड़ी है। विकास को इसने सर्वाधिक प्रभावित किया है। आजादी के समय कुल आबादी मात्र तीस करोड़ थी। लेकिन आज देश की जनसंख्या एक सौ बीस करोड़ से ऊपर हो गई है। यह आबादी प्रतिमाह दस लाख की दर से बढ़ रही है।
आबादी की शक्ति : किसी देश की आबादी उसकी शक्ति होती है। लेकिन एक सीमा के बाद यह बोझ बन जाती है और राष्ट्र को चबाने लगती है। अपने देश में यही हो रहा है।
आबादी बढ़ने के कारण और परिणाम : वस्तुतः आबादी बढ़ने के कारण हैं—संतान के प्रति लोगों का अत्यधिक मोह, गरीबी और अंधविश्वास । अशिक्षा के कारण परिवार नियोजन का संदेश लोगों के गले के नीचे नहीं उतरता । बाल विवाह और बहु विवाह से भी आबादी बढ़ी है। अन्य कारण हैं, स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि के कारण मृत्यु दर में कमी। यही कारण है कि आज देश की प्रगति पर प्रश्न चिह्न लगा हुआ है। जितने लोगों के लिए योजना बनती है, योजना पूरी होते-होते, लोगों की आबादी उससे अधिक हो जाती । वस्तुतः जनसंख्या गुणात्मक रूप से बढ़ती है और उत्पादन धनात्मक रूप से। नतीजा है कि अभाव बना का बना रहता है। अगर इसे रोका नहीं गया तो देशवासियों को न खाना मिलेगा, न सोने को जमीन और देश में भयंकर मार-काट मच जाएगी ।
उपसंहार : इस समस्या को देश के सभी लोगों को गंभीरता से लेना होगा। परिवार कल्याण के कार्यक्रम को तेजी से लागू करना होगा और परिवार को सीमित रखने के फायदे लोगों को बताने होंगे। खेती वैज्ञानिक ढंग से करनी होगी और सिंचाई तथा अन्य सुविधाएँ किसानों को मुहैया करनी होंगी ताकि उत्पादन और आबादी में ताल-मेल कायम हो ।
(ङ) आदर्श विद्यार्थी
(i) भूमिका                  (ii) अच्छे विद्यार्थी के गुण
(iii) तपस्वी                 (iv) अनुशासित और नियमित जीवन
(v) सादा जीवन           (vi) उपसंहार
                                                              (ङ) आदर्श विद्यार्थी
भूमिका : विद्यार्थी का अर्थ है- विद्या पाने वाला आदर्श विद्यार्थी वही है जो सीखने की इच्छा से ओतप्रोत हो, जिसमें ज्ञान प्राप्त करने की गहरी ललक हो । विद्यार्थी अपने जीवन में सर्वाधिक महत्त्व विद्या को देता है।
अच्छे विद्यार्थी के गुण : विद्यार्थी का सबसे पहला गुण है- वह नएनए विषयों के बारे में नित नई जानकारी चाहता है। वह केवल पुस्तकों और अध्यापकों के भरोसे ही नहीं रहता, अपितु स्वयं मेहनत करके ज्ञान प्राप्त करता है। सच्चा छात्र श्रद्धावान होता है।
तपस्वी : सच्चा छात्र सांसारिक सुख और आराम का कायल नहीं होता। वह कठोर जीवन जीकर तपस्या का आनंद प्राप्त करता है।
अनुशासित और नियमित जीवन : आदर्श छात्र अपनी निश्चित दिनचर्या बनाता है और उसका कठोरता से पालन करता है। वह अपनी पढ़ाई, खेल-कूद, व्यायाम, मनोरंजन तथा अन्य गतिविधियों में तालमेल बैठाता है। उसके अध्ययन के घंटे निश्चित होते हैं जिनके साथ वह कभी समझौता नहीं करता । वह खेल-कूद और व्यायाम के लिए भी निश्चित समय रखता है।
सादा जीवन : आदर्श छात्र फैशन और ग्लैमर की दुनिया से दूर रहता है। वह सादा जीवन जीता है और उच्च विचार मन में धारण करता है। जो छात्र बनाव-शृंगार, व्यसन, सैर-सपाटा, चस्केबादी आदि में आनंद लेते हैं, वे विद्या के लक्ष्य से भटक जाते हैं।
उपसंहार : सच्चा छात्र केवल पाठ्यक्रम तक ही सीमित नहीं रहता । वह विद्यालय में होने वाली अन्य गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है। गाना, अभिनय, एन०सी०सी० स्काउट, खेलकूद, भाषण आदि में से किसी-न-किसी में वह अवश्य भाग लेता है।
प्रश्न- 4. मोबाइल फोन के दुरुपयोग पर दो छात्रों का संवाद लिखिए |

उत्तर- राजू—नमस्ते, अजय! क्या हाल-चाल है?

अजय—नमस्ते, राजू चल रहा है। अपना सुनाओ।
राजू—मोबाइल फोन का सदुपयोग काम की बातें करने में ही है। गेम खेलना और दूसरे मनोरंजक बातों में समय नष्ट, करने में नहीं।
अजय—मोबाइल के इतने सारे फीचर बर्बाद क्यों करें। जब डाटा मिलता है तो उसका प्रयोग तो करना ही चाहिए।
राजू—डाटा का उपयोग ज्ञानवर्द्धक सूचनाओं को प्राप्त कर भी तो किया जा सकता है। फालतू बातों और कामों में मोबाइल फोन का दुरुपयोग करना अच्छी बात नहीं। इससे समय और चरित्र दोनों नष्ट होता है।
                                                              अथवा
प्रश्न- अपने विद्यालय में मनाए गए ‘बिहार दिवस’ का वर्णन करते हुए मित्र के पास पत्र लिखें।

उत्तर-

                                                                                                                                         मुजफ्फरपुर                                                                                                                                                         08.01.2023
 प्रिय रमेश,
 नमस्कार।
मैं सकुशल हूँ। तुम्हारी कुशलता चाहता हूँ। तुम्हें यह जानकर अति । प्रसन्नता होगी कि मेरे विद्यालय में बिहार दिवस के उपलक्ष्य में भव्य समारोह आयोजित किया गया।
इस महोत्सव में अध्यापकगण एवं छात्रगण, सभी ने अति उत्साह के साथ भाग लिया। अभिभावकों की भी भागीदारी सराहनीय थी।
‘बिहार-दिवस’ के अवसर पर विद्यालय में कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। छात्रों के द्वारा नाटक, संगीत, सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गयी जो सबके लिए प्रेरणाप्रद रहा। बच्चों में कैसे नैतिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार । हो, उनमें उच्च शिक्षा के प्रति कैसे रुझान पैदा की जाए आदि बातों पर गंभीर चिंतन, भाषण-माला से संबंधित कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
बिहार राज्य के ऐतिहाससिक एवं सांस्कृतिक पक्षों, स्मारकों, कलाकृतियों आदि पर भी प्रकाश डाला गया। बिहार के विकास की झाँकी भी प्रस्तुत की गयी।
मित्र, तुम्हारी अनुपस्थिति मुझे बराबर खलती रही। पुनः मिलने पर विशेष चर्चा परिचर्चा होगी। माता-पिता को प्रणाम निवेदित कर देना।
                                                                                                                               मंगलकामनाओं के साथ                                                                                                                                              अंकित कुमार
5. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर लगभग शब्दों में दें।
प्रश्न-जातिवाद के पोषक उसके पक्ष में क्या तर्क देते हैं? 
उत्तर-  जातिवाद के पक्ष में इसके पोषकों का तर्क है कि आधुनिक सभ्य •समाज कार्य-कुशलता के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक माना जाता है और जाति प्रथा भी श्रम विभाजन का ही दूसरा रूप है, इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है।
प्रश्न- देवनागरी लिपि के अक्षरों में स्थिरता कैसे आई? 
उत्तर- करीब दो सदी पहले पहली बार देवनागरी लिपि के टाइप बने और इसमें पुस्तकें छपने लगीं। इस प्रकार ही देवनागरी लिपि के अक्षरों में स्थिरता आयी है।
प्रश्न- आविन्यों क्या है और वह कहाँ अवस्थित है?
उत्तर-आविन्यों मध्ययुगीन ईसाई मठ है। यह दक्षिणी फ्रांस में अवस्थित है।
प्रश्न- कवि ‘रसखान’ ने कृष्ण को चोर क्यों कहा है ? 
उत्तर- कवि ने कृष्ण को चोर के रूप में प्रस्तुत किया है। कृष्ण अपने अपरूप सौंदर्य में बाँधकर गोपियों के चित्त को हरण कर लेते हैं। दूसरों के चित्त (मन) को अपने वश में करने के कारण ही कृष्ण को चोर कहा है।
प्रश्न-कवि घनानंद के अनुसार, प्रेम मार्ग की विशेषता क्या है? 
उत्तर- कवि घनानंद के अनुसार, प्रेम का मार्ग अत्यंत सीधा है, इसमें टेढ़ापन नहीं होता। इसमें चतुराई का नामोनिशान नहीं होता। यह सत्य का मार्ग है। प्रेम का मार्ग एकनिष्ठता का मार्ग होता है।
प्रश्न-कवि किस तरह के बंगाल में एक दिन लौटकर आने की बात करता है? 
उत्तर- कवि एक दिन हरे-भरे बंगाल में लौटकर आने की बात करता है, जिसमें अनेक नदियाँ बहती हैं और उनके किनारों पर धान के खेत लहलहाते हैं।
प्रश्न- बिरजू महाराज ने नृत्य की शिक्षा किसे और कब देनी शुरू की ? 
उत्तर- कानपुर में जब बिरजू जी रहते थे और हाईस्कूल की परीक्षा की तैयारी कर रहे थे उसी समय सीताराम बागला नामक एक अमीर लड़के को नृत्य की शिक्षा देनी शुरू की। बिरजू जी उसे नृत्य सिखाते थे और वह बिरजू जी को ट्यूशन पढ़ाता था।
प्रश्न- बहू ने सास को मनाने के लिए कौन-सा तरीका अपनाया ? 

उत्तर- बहू ने सास को मनाने के लिए अपने बच्चे को माध्यम बनाया। उसने अपने बच्चे को सिखाया कि तू अपनी दादी के पास चला जा, वह मिठाई देती है। हमारे घर कदम मत रखना। बच्चा दादी के पास चला गया। दादी पोते को पाकर निहाल हो उठी और धीरे-धीरे सास-बहू के बीच की दूरी सिमटने लगी ।

6. निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- 
प्रश्न-‘यहाँ एक तै दूसरौ आँक नहीं
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति हिन्दी साहित्य की पाठ्य पुस्तक के कवि घनानंद द्वारा रचित “अति सुधो स्नेह को मारग है।” पाठ से उद्धृत है। इसके माध्यम से कवि प्रेमी और प्रेयसी का एकाकार करते हुए कहते हैं कि प्रेम में दो की पहचान अलग-अलग नहीं रहती, बल्कि दोनों मिलकर एक रूप में स्थित हो जाते हैं। प्रेमी निश्चल भाव से सर्वस्व समर्पण की भावना रखता है और तुलनात्मक अपेक्षा नहीं करता है। मात्र देता है, बदले में कुछ लेने की आशा नहीं करता है ।प्रस्तुत पंक्ति में कवि घनानंद अपनी प्रेमिका सुजान को संबोधित करते हैं कि सुजान सुनो। यहाँ अर्थात् मेरे प्रेम में तुम्हारे सिवा कोई दूसरा चिन्ह नहीं है। मेरे हृदय में मात्र तुम्हारा ही चित्र अंकित है।
प्रश्न-‘कंचन माटी जनै’ की व्याख्या करें ।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी साहित्य के जो नर दुःख में दुख नहीं मानै शीर्षक से उद्धृत है। प्रस्तुत पद्यांश में निर्गुण निराकार ईश्वर के उपासक गुरुनानक सुख-दुख में एक समान उदासीन रहते हुए लाभ और मोह से दूर रहने की सलाह देते हैं। ‘भक्त की अस्मिता समाप्त होने से भगवान का गौरव भी मिट जाएगा। भक्त ही प्रभु का स्वरूप है।
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