तकनीकी स्तर (Technological Level) से क्या अभिप्राय है ? यह विकास स्तर को किस प्रकार निश्चित करता है ?
तकनीकी स्तर (Technological Level) से क्या अभिप्राय है ? यह विकास स्तर को किस प्रकार निश्चित करता है ?
( 39वीं BPSC/1993 )
उत्तर – तकनीकी स्तर (Technological Lavel) का तात्पर्य तकनीकी विकास स्तर से है। मानव प्रारंभ से ही तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। मानव सभ्यता के विकास के साथ ही सामान्य तकनीकी विकास प्रारंभ हो गया। जैसे-चाक, पहिये आदि का विकास। ये श्रम प्रधान प्रौद्योगिकी थी लेकिन जैसे-जैसे मानव सभ्यता का विकास होता गया, वह उच्चतर तकनीक की ओर बढ़ता चला गया। इसी क्रम में कुछ क्षेत्र अथवा देश ज्यादा तकनीकी विकास न कर सके, अतः वे पिछड़े माने गए। वास्तव में आज विकसित, विकासशील एवं अविकसित क्षेत्र के निर्धारण का आधार वहां का तकनीकी स्तर है। संचार उपकरणों, अंतरिक्ष विज्ञान का विकास, नाभिकीय ऊर्जा का उत्पादन, उच्च रक्षा उपकरणों का निर्माण, उच्च चिकित्सीय उपकरणों का निर्माण आदि उच्च तकनीकी स्तर को इंगित करता है ।
तकनीक किसी भी क्षेत्र अथवा देश के आर्थिक विकास का उपकरण है। यह तकनीक ही है जो हमारे जीवन स्तर को उच्चतर या निम्नतर बनाता है तथा यह हमारे विकास स्तर को बताता है, जैसे- भारत स्वतंत्रता प्राप्ति के ठीक बाद तकनीकी दृष्टिकोण से कमजोर था । अतः यहां का विकास स्तर भी निम्नतम था। स्वतंत्रता के बाद सरकार ने तकनीकी स्तर के विकास की ओर ध्यान दिया एवं 1958 में विज्ञान नीति, 1983 में प्रौद्योगिकी नीति की घोषणा कर भारत में तकनीकी स्तर को बढ़ाया। अब इसके सकारात्मक नतीजे प्राप्त होने लगे हैं। भारत आज बायोटेक्नोलॉजी, सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी, न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी, रक्षा अनुसंधान एवं विकास टेक्नोलॉजी आदि में काफी आगे निकल चुका है। यह हमारे विकास स्तर में निर्णायक भूमिका निभाता है। जापान का उदाहरण हमारे सामने है जिसके पास उद्योग के लिए प्राकृतिक संसाधनों की कमी है और भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदा भी वहां एक बड़ी समस्या है, लेकिन जापान के तकनीकी उन्नति ने उसे विकसित राष्ट्र बना दिया है। वहीं प्राकृतिक संसाधनों, जैसे-तेल की प्रचुरता के बावजूद खाड़ी के देश विकास के लिए दूसरे देशों पर निर्भर हैं, तो उसका कारण वहां उच्च तकनीक का अभाव है।
तकनीकी विकास का प्रभाव कृषि, व्यापार, सेवा क्षेत्र में स्पष्ट रूप से पड़ता है। हमारी कृषि तकनीक के अभाव में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय काफी पिछड़ी हुई थी। साठ के दशक में हरित क्रांति के दौरान उच्च तकनीक का प्रयोग, विकसित उच्च उत्पादक बीजों एवं उर्वरकों के साथ ही अन्य कृषि उपकरण, जैसे- ट्रैक्टर, पंपिंग सेट, थ्रैसर आदि का प्रयोग प्रारंभ हुआ। फलतः हमारी कृषि में विकास प्रारंभ हुआ एवं आज हम अनेक खाद्यान्न पदार्थों के निर्यात की स्थिति में हैं। प्रौद्योगिकी के प्रयोग ने हमें आज G.M. (Genetically Modified) फसलों, ट्रांसजेनिक फसलों (Transgenic Crops) आदि के विकास एवं प्रयोग की स्थिति में ला दिया गया है। तकनीकी का उसी प्रकार का फायदा पशुपालन, मत्स्य पालन आदि में भी हुआ है।
सेवा और उद्योग के क्षेत्र में इसी प्रकार से प्रौद्योगिकी ने विकास को एक नई ऊंचाई प्रदान की है।
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