बायोगैस टेक्नोलॉजी (Bio-Gas Technology ) क्या है ? इसके विकास के लिए भारत सरकार क्या-क्या कदम उठा रही है ?

बायोगैस टेक्नोलॉजी (Bio-Gas Technology ) क्या है ? इसके विकास के लिए भारत सरकार क्या-क्या कदम उठा रही है ?

( 40वीं BPSC/1995 )
उत्तर – बायोगैस (Bio-Gas) को मिथेन (CH) कहा जाता है। यह गैस जीवों के उत्सर्जित पदार्थों, पादपों एवं उद्योगों के अवशिष्ट पदार्थों से प्राप्त की जाती है। अवशिष्ट पदार्थों को विशेष प्रकार से बनाए गए डाइजेस्टर में कम ताप पर चलाया जाता है और उससे माइक्रोब प्राप्त किए जाते हैं। प्राप्त माइक्रोब से ही ऊर्जा मिलती है।
बायोगैस का प्रयोग मुख्य रूप से खाना पकाने तथा प्रकाश की व्यवस्था करने में ही हो रहा है। इसे सुलभ ऊर्जा भी कहा जाता है। बायोगैस संयंत्र की संरचना एवं स्थान आवश्यकता के अनुरूप अलग-अलग भी हो सकती है, परंतु इस संयंत्र को स्थापित करने से पूर्व इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि उसके नजदीक कोई जलस्रोत का भंडार है अथवा नहीं (संयंत्र के 15 मीटर की परिधि में कोई भी पेयजल का कुआं आदि नहीं होना चाहिए ) । बायो गैस संयंत्र व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर स्थापित किए जा रहे हैं।
• बायोगैस संयंत्र की तकनीकी प्रक्रिया
> गोबर को मिश्रण टैंक में जमा किया जाता है। पुनः उसमें आवश्यकतानुसार पानी मिलाकर गारा बनाया जाता है।
> सबस्ट्रेट का पाचक (डाइजेस्टर) में विसर्जन टैंक द्वारा किया जाता है।
> गारा डाइजेस्टर के अंदर जीवाणुओं एवं किण्वन प्रक्रिया द्वारा बायोगैस में परिवर्तित होता है।
> तैयार बायोगैस को गैस होल्डर में भंडारित किया जाता है।
> पाचित गारा निर्गमन पाइप के द्वारा डाइजेस्टर में से विसर्जित होता है।
> अंतत: गैस पाइप लाइन द्वारा बायोगैस को इसके उपयोग के गंतव्य स्थल तक पहुंचाया जाता है।
•  बायोगैस टेक्नोलॉजी के विकास हेतु भारत सरकार के कदम
> 1981-82 में राष्ट्रीय बायोगैस विकास परियोजना शुरू की गई ।
> इस परियोजना का उद्देश्य है- गाँवों में स्वच्छ एवं सस्ता ऊर्जा स्रोत उपलब्ध कराना, समृद्ध जैविक खाद तैयार करना, सफाई एवं स्वच्छता की स्थिति सुधारना और स्त्रियों को कड़ी मेहनत से मुक्ति दिलाना ।
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