विद्यार्थी शिक्षकों (प्रशिक्षणार्थी ) की मौखिक क्षमताओं का विकास किस प्रकार किया जा सकता है ?
विद्यार्थी शिक्षकों (प्रशिक्षणार्थी ) की मौखिक क्षमताओं का विकास किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर— विद्यार्थी शिक्षक की मौखिक क्षमताओं का विकास विद्यार्थी शिक्षक की मौखिक क्षमताओं के विकास के निम्नलिखित तरीके हैं जिनके द्वारा विद्यार्थी-शिक्षक अपने पढ़ाने के तरीके को प्रभावशाली बना सकता है—
(1) स्पष्ट निर्देश देने की क्षमता– विद्यार्थी-शिक्षक को प्रशिक्षण के समय विभिन्न प्रतियोगिताओं के आयोजन में कार्यक्रम संयोजक बनाना चाहिए। खेलकूद में दल का नायक बनाना चाहिए । दल शिक्षण के समय दल का नायक बनाना, शिविर आयोजन कर उसका प्रबन्धक बनाना, सामाजिक कार्यक्रम में नायक बनाना, शैक्षिक भ्रमण के समय पूरे दल का नायक बनाना चाहिए, ऐसे आयोजन से विद्यार्थी शिक्षक के भीतर दल को सुनियोजित तरीके से दिशा-निर्देश देते हुए अपने कार्य को सफल बना सकता है, जिसे आगे चलकर वह कक्षा-कक्षा में बालक को आत्मविश्वास के साथ स्पष्ट निर्देश दे सकेगा।
(2) देखी, सूनी व पढ़ी हुई सामग्री को समालोचनात्मक रूप से संक्षिप्त व विस्तृत रूप में अभिव्यक्त करना– विद्यार्थी-शिक्षक में देखी, सुनी व पढ़ी हुई सामग्री को समालोचनात्मक रूप से संक्षिप्त व विस्तृत रूप में अभिव्यक्त करने की क्षमता होनी चाहिए। इसके लिए किसी कथन, सिद्धान्त पर या विचारधारा पर उसकी अच्छाई, बुराई तथा अपना अभिमत तर्कपूर्ण संक्षिप्त रूप से कर सकता है । इसके लिए प्रशिक्षण विद्यालयों में प्रतियोगिताएँ आयोजित की जानी चाहिए, विभिन्न समूह के विद्वानों को आमंत्रित कर उनसे वार्तालाप कराई जानी चाहिए। साक्षात्कार किया जाए तथा संगोष्ठि की भी व्यवस्था की जानी चाहिए। विद्यार्थी शिक्षक पुस्तकालय से अलग-अलग पुस्तकें ले कर उनका सारांश अपने विचारों के आधार पर कर सकता है तथा उनकी समालोचना भी प्रस्तुत कर सकता है।
(3) अपने विचारों को विविध प्रकार के समूह के सामने प्रस्तुत करने की क्षमता– विद्यार्थी शिक्षक को अपने विचारों को विविध प्रकार के समूह के सामने प्रस्तुत करने की योग्यता विकसित करनी चाहिए तथा छात्रों को इस संदर्भ में प्रेरित करना चाहिए। जैसेप्रतियोगिताओं का कार्यक्रम संयोजक बनाना, बालचर का प्रशिक्षण, खेलकूद में टोली नायक बनना, दल शिक्षण में दल का नायक बनना, उत्सव संयोजन बनना, शिविर आयोजन कर उसका प्रबन्धक बनना, प्रार्थना सभा का व्यवस्थापक बनना, शनिवारीय कार्यक्रम (CCA) का संयोजक बनना । ऐसे आयोजनों से विद्यार्थी शिक्षक अपने छात्रों को विविध प्रकार के समूहों के सामने अपनी प्रस्तुति देने की क्षमता विकसित कर सकता है।
(4) अपने विचारों को विभिन्न सन्दर्भों में प्रभावी ढंग से विविध रूपों में अभिव्यक्त करने की क्षमता– विद्यार्थी शिक्षक को अपने विचारों को अलग-अलग सन्दर्भों में या अलग-अलग स्थानों, मंचों पर, सेमिनारों आदि पर प्रभावी ढंग से विविध रूपों में व्यक्त करने की योग्यता होनी चाहिए। वह अपने विचारों को परिस्थितियों के अनुसार ही रहे प्रसंगों पर विचार, अलग-अलग सन्दर्भों में विविध रूप से शोक के वातावरण में करुणापूर्ण, सहानुभूति पूर्ण वाणी से दुःख प्रकट करना चाहिए । इसी तरह से जन्मोत्सव, विवाहोत्सव आदि खुशी के अवसर पर प्रसन्नता प्रकट करते हुए बधाइयाँ, आशीर्वाद देते हुए अपने विचार क कर सकता है। इसके अलावा विद्यार्थी शिक्षक को इस योग्य होना चाहिए कि वह संदर्भ प्रसंग, वातावरण के अनुकूल अपनी प्रभावी अभिव्यक्ति प्रस्तुत करने में सक्षम हो सके। जिससे अपने बालकों को भी विविध रूप से अभिव्यक्त करने की क्षमता का विकास करा सकें। इसके लिए उसे संवाद पाठ, एकांकी, नाटक में अभिनय करने के लिए छात्रों को प्रेरित करना चाहिए जिससे उनमें अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास हो सके ।
(5) अवधारणाओं को मौखिक रूप से समझना–विद्यार्थी- शिक्षक द्वारा किसी भी प्रकरण जैसे- बाल विवाह, अनमेल विवाह, विधवा विवाह, ऊँच-नीच, भ्रूण हत्या, अस्पृश्यता, लड़कियों के प्रति भेदभाव, आत्मविश्वास आदि अवधारणाओं को स्वयं समझकर तथा उसके प्रति स्पष्ट तर्क सम्मत विचार/अवधारणा बनाकर मौखिक रूप से व्यक्त करने की योग्यता विकसित करना चाहिए। इसके लिए विद्यार्थी शिक्षक को बालकों के साथ बाल सभा, दल चर्चा, साक्षात्कार आदि आयोजन कर उनमें उपर्युक्त क्षमताओं में वृद्धि कर सकता है।
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