सस्वर वाचन का क्या अर्थ है ? अच्छे सस्वर वाचन की क्या विशेषताएँ हैं ?
सस्वर वाचन का क्या अर्थ है ? अच्छे सस्वर वाचन की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर— सस्वर वाचन–(पठन) स्वर सहित वाचन को सस्वर वाचन कहते हैं । इसमें विद्यार्थी पढ़ने के साथ-साथ बोलता भी जाता है। सस्वर वाचन चार प्रक्रियाओं पर आधारित हैं–
(i) लिपिबद्ध अक्षरों को देखना
(ii) पहचानना
(iii) शब्दों को समझना
(iv) उच्चारण करना ।
सस्वर वाचन के भेद-सस्वर वाचन के दो भेद हैं—
(i) व्यक्तिगत वाचन– अध्यापन द्वारा भी हो सकता है जिसे आदर्श पाठ कहा जाता है और विद्यार्थी द्वारा भी जिसे अनुकरण पाठ कहा जाता है। जोर-जोर से बोलकर पठन को सस्वर पठन कहते हैं ।
(ii) समवेत वाचन– वह है जिसमें दो या दो से अधिक छात्र एक साथ जोर-जोर से पढ़ते हैं। इस वाचन का एक लाभ यह है कि जिन बालकों में झिझक होती है, साहस की कमी होती है, अपने कण्ठ और उच्चारण पर जिन्हें विश्वास नहीं होता और जो उचित गति से वाचन नहीं कर सकते, वे भी वाचन क्रिया में भाग लेने लगते हैं ।
सस्वर वाचन की विशेषताएँ—
सस्वर वाचन छोटी कक्षाओं में ही कराया जाता है। सस्वर वाचन में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए—
(1) शब्दों की ध्वनियों का ज्ञान– यह वाचन का बड़ा महत्त्वपूर्ण अंग है। अभी तक केवल इसी के आधार पर ही यह निर्णय लिया जाता था कि बालक वाचन क्रिया में कहाँ तक निपुण है, परन्तु केवल इसी आधार पर हम वाचन सम्बन्धी पूरी-पूरी जानकारी प्राप्त नहीं कर सकते।
(2) शब्दों का अर्थ– जहाँ बालकों के लिए यह आवश्यक है कि वे शब्दों का ठीक-ठीक उच्चारण जानें वहाँ यह भी आवश्यक है कि शब्दों को पढ़ाते समय उन्हें अर्थ की प्रतीति भी होती जाये । जब तक बालक ठीक-ठीक रूप से अर्थों को ग्रहण नहीं करेंगे, तब तक वे पाठ में रुचि नहीं लेंगे ।
(3) वाचन का ढंग– वाचन के सम्बन्ध में यह प्रश्न किया गया था कि “क्या बालकों ने मनोरंजक ढंग से पढ़ा है ? ” मनोरंजकता से हमारा तात्पर्य है कि बालक के वाचन में विविधता होनी चाहिए । वीरता से युक्त उक्तियों, करुण रस से ओत-प्रोत स्थल तथा साधारण वर्णनात्मक पाठ-इन सब के वाचन में कुछ-न-कुछ अन्तर अवश्य रहेगा।
(4) विराम चिह्न– किसी भाषा के वाचन में विराम चिह्नों का बड़ा महत्त्व है । वे प्रकट करते हैं कि वाचन के समय बालकों को कहाँकहाँ पर विराम लेना है । विराम-चिह्नों द्वारा पाठ के समझने में बड़ी सहायता मिलती है । इसलिए बालकों को इस बात का प्रोत्साहन देना होगा कि वे वाचन करते समय ऐसे स्थलों पर उचित विराम लेते चले ।
(5) स्पष्टता– वाचन में विविधता होनी चाहिए, परन्तु यदि वाचन में स्पष्टता नहीं होगी, तो इस विविधता से कोई लाभ नहीं । इसलिए यह प्रयास करना होगा कि बालक जो कुछ भी पढ़ें, स्पष्ट रीति से पढ़ें। उनके उदाहरण में अस्पष्टता लेश-मात्र भी नहीं होनी चाहिए ।
(6) रुचि– वाचन के सम्बन्ध में हमारा प्रश्न बालकों की रुचि से सम्बन्धित था । यदि बालकों की वाचन में रुचि नहीं होगी, यदि उन्हें पढ़ने में आनन्द नहीं आएगा तो वे पढ़ने से दूर भागेंगे । इसलिए इस बात पर विशेष रूप से ध्यान देना होगा कि बालकों को वही कुछ पढ़ने के लिए दिया जाए जो कि उन्हें अच्छा लगे ।
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