‘कोलाज कला’ से आप क्या समझते हैं ?

‘कोलाज कला’ से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर— कोलाज–“विभिन्न अनुपयोगी वस्तुएँ या कागज को गोंद, फैवीकोल या अन्य पदार्थ से कोई कलात्मक आकार या रूप प्रदान करना ही कोलॉज कहलाता है।” इसके अन्तर्गत सभी प्रकार के कागज कपड़े, तीलियाँ, माचिस, सिगरेट की डिब्बियाँ, टूटे हुए विभिन्न काँ या मिट्टी की वस्तुएँ या अन्य अनुपयोगी वस्तुएँ आती हैं। इन सभी को गोंद, फैविकोल या अन्य पदार्थ से चिपकाकर, लगाकर, उभारकर अपनी इच्छानुसार अंतराल में इस प्रकार संयोजित किया जाए कि कोई कलात्मक रूप की अभिव्यक्ति हो सके उसे ही कोलाज का नाम दिया गया है।

कोलाज से अभिप्राय– कोलाज भी कला के क्षेत्र में एक नवीन विधा है। यद्यपि यह कला अधिक पुरानी नहीं है, फिर भी इस कल विधा ने अपना अस्तित्व बना लिया है। कोलाज कला अनुपयोगी वस्तुओं की कलात्मक ढंग से चित्रों पर चिपकाने की कला है। इस प्रकार विभिन्न प्रकार की अनुपयोगी वस्तुओं को गत्ते या लकड़ी पर जमाने या चिपकान को कोलाज कहते हैं।
कोलाज द्वारा घरों पर भी अनेक सुन्दर वस्तुएँ, आकृतियाँ बनाई जा सकती हैं। कोलाज एक सस्ता, सुलभ तथा सरलतापूर्वक की जाने वाली कला है, जिसे विद्यार्थियों को सिखाया जा सकता है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *