बुद्धि क्या है ? गिलफोर्ड की त्रिआयामी सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए ।
बुद्धि क्या है ? गिलफोर्ड की त्रिआयामी सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए ।
उत्तर— बुद्धि का अर्थ (Meaning of Intelligence)– मनोविज्ञान के अन्तर्गत बुद्धि का शास्त्रीय अर्थ निर्धारित किया जाता है। अलग-अलग मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि की अलग-अलग परिभाषायें निर्धारित की हैं। रॉस (Ross) ने लिखा है, “वे यह निश्चित नहीं कर सके कि बुद्धि में स्मृति या कल्पना, या भाषा, या अवधान, या गामक योग्यता, या संवेदना सम्मिलित है या नहीं।”
विलियम स्टर्न ने कहा है कि “जीवन की परिस्थितियों और नवीन समस्याओं में सामान्य मानसिक अनुकूलन ही बुद्धि है। “
स्टोडार्ड के अनुसार बुद्धि उन सब कार्यों के करने की योग्यता है जिनमें कठिनाई, जटिलता, अमूर्तता, लक्ष्य प्राप्ति में अनुकूलन, सामाजिकमूल्य, मितव्ययता तथा मौलिकता का उद्गम होता है और विशिष्ट परिस्थितियों में ऐसे कार्यों को बनाये रखने की योग्यता होती है जिनमें शक्ति को एकाग्र करने एवं संवेगात्मक बलों (Forces) पर नियन्त्रण रखने की आवश्यकता होती है।
वैश्लर के अनुरूप बुद्धि एक व्यक्ति की सोद्देश्य करने की के समुच्चय पूर्वक सोचने और अपने वातावरण के साथ भली प्रकार व्यवहार करने की समुच्चय अथवा ग्लोबीय योग्यता है।
वुडवर्थ के अनुसार, “बुद्धि कार्य करने की एक विधि है । “
गिलफोर्ड का त्रिआयामी सिद्धान्त (Three Dimensional Theory )— इस सिद्धान्त को सन् 1967 में गिलफोर्ड (Guilford) ने दिया। इस सिद्धान्त को त्रिविमीय सिद्धान्त ( three dimensional theory) या बुद्धि संरचना सिद्धान्त (structural intellect theory) भी कहते हैं।
गिलफोर्ड ने बुद्धि के सभी कारकों या तत्त्वों को तीन विमाओं (three dimensions) में बाँटा, जो निम्न हैं—
(1) संक्रिया (Operation)– यह व्यक्ति द्वारा किए गए मानसिक प्रक्रिया के स्वरूप से सम्बन्धित होता है। संक्रिया में दिये गए कार्य में व्यक्ति द्वारा की गयी मानसिक क्रियाओं के स्वरूप की व्याख्या होती है । संक्रिया को पाँच भागों में बाँटा गया है—
(i) मूल्यांकन (Evaluation – E)
(ii) अभिसारी चिन्तन (Convergent Thinking-N)
(iii) अपसारी चिन्तन (Divergent Thinking-D)
(iv) ज्ञान (Cognition-C)
(v) स्मृति ( Memory – M )
जैसे किसी विद्यार्थी को सह-शिक्षा (co-education) के गुण–दोषों को लिखने को कहा जाए तो उसके मूल्यांकन की संक्रिया होगी।
(2) विषय-वस्तु (Content)— इसमें सूचनाओं ( information) के आधार पर संक्रियाएँ की जाती हैं। इन सूचनाओं को चार भागों में बाँटा गया है—
(i) आकार (Figural-F)
(ii) सांकेतिक (Symbolic S )
(iii) शाब्दिक (Semantic-M)
(iv) व्यावहारिक (Behavioural – B)
(3) उत्पादन (Product)— इसका अर्थ किसी विशेष प्रकार की विषयवस्तु (Content) द्वारा की गयी संक्रिया (Operation) के परिणाम (Result) से होता है। गिलफोर्ड ने इसे छ: भागों में बाँटा है—
(i) इकाई (Unit-U)
(ii) वर्ग (Classes-C)
(iii) सम्बन्ध (Relation-R)
(iv) पद्धतियाँ (Systems-S)
(v) रूपान्तरण (Transformation – T)
(vi) प्रयोग (Implication – I)।
अतः गिलफोर्ड ने बुद्धि सिद्धान्त की व्याख्या तीन विमाओं के आधार पर की है और इनमें प्रत्येक विमा के अपने कई कारक हैं। संक्रिया (Opeation) विमा के पाँच कारक, विषय-वस्तु (Content) विमा के चार कारक व उत्पादन (Product) विमा के छ: कारक हैं । इस प्रकार गिलफोर्ड के अनुसार बुद्धि के कुल = 5 × 4 × 6 = 120 कारक या तत्त्व (factors) होते हैं ।
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