भारत में गरीबी के अनुमान पर चर्चा करते हुए गरीबी के लिए जिम्मेदार कारकों की व्याख्या करें। भारत सरकार द्वारा गरीबी दूर करने के लिए कौन-कौन से कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं?

भारत में गरीबी के अनुमान पर चर्चा करते हुए गरीबी के लिए जिम्मेदार कारकों की व्याख्या करें। भारत सरकार द्वारा गरीबी दूर करने के लिए कौन-कौन से कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं?

अथवा

निर्धनता को परिभाषित करते हुए निर्धनता के आकलन पर गठित विभिन्न समितियों द्वारा दिए गए आकलनों का उल्लेख करें। गरीबी के प्रमुख कारणों की व्याख्या करें। गरीबी दूर करने के लिए सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों का विवरण दें।
उत्तर- निर्धनता का अर्थ उस स्थिति से है जिसमें समाज का एक भाग अपने जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को संतुष्ट करने में असमर्थ रहता है। निर्धनता की परिभाषा विभिन्न समाजों (देशों) में भिन्न-भिन्न प्रकार से दी गई है । तथापि इन सबका आधार न्यूनतम या अच्छे जीवनस्तर की कल्पना है। भारत में निर्धनता के निर्धारण के लिए भोजन में कैलोरी की मात्रा को आधार बनाया गया है। योजना आयोग के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में प्रति व्यक्ति 2400 कैलोरी प्रतिदिन तथा शहरी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति 2100 कैलोरी प्रतिदिन के हिसाब से जिन्हें प्राप्त नहीं हो पाता, उसे गरीबी रेखा से नीचे माना गया है। –
देश में निर्धनता रेखा के निर्धारण के लिए जिस दांडेकर रथ फार्मूले का इस्तेमाल 1971 से किया जाता रहा है, उसमें भोजन में केलौरी की मात्रा को ही एकमात्र आधार माना गया है, सुरेश तेंदुलकर समिति ने नए फार्मूले में कॉस्ट ऑफ लिविंग को निर्धनता की पहचान के लिए आधार स्वीकार किया गया है। इसमें यह देखा जाना है कि जीवनयापन के लिए कम से कम कितनी राशि की आवश्यकता होती है। तेंदुलकर समिति की निर्धनता रेखा सभी राज्यों के लिए तथा शहरी ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग रहेंगी। तेंदुलकर समिति ने कहा था कि 2009-10 में गरीबों की आबादी 29.8 प्रतिशत थी जो 2011-12 में घटकर 21.9 प्रतिशत रह गई ।
गरीबी पर रंगराजन समिति की रिपोर्ट- योजना आयोग ने देशभर में गरीबों की संख्या के संबंध में विवाद पैदा होने के मद्देनजर गरीबी के आकलन के लिए तेंदुलकर समिति की पद्धति की समीक्षा के लिए मई 2012 में तत्कालीन सी. रंगराजन की अध्यक्षता विशेषज्ञ समूह का गठन किया था।
2009-10 में 38.2 प्रतिशत आबादी गरीब थी जो 2011-12 में घटकर 29.5 प्रतिशत पर आ गई । कोई शहरी व्यक्ति यदि एक महीने में 1,407 रु. (47 रु. प्रतिदिन) से कम खर्च करता है तो उसे गरीब समझा जाए, जबकि तेंदुलकर समिति के पैमाने में यह राशि प्रति माह 1,000 रु. ( 33 रु. प्रतिदिन) थी। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति माह 972 रु. ( 32 रु. प्रतिदिन) से कम खर्च करने वाले लोगों को गरीबी की श्रेणी में रखा है, जबकि तेंदुलकर समिति ने यह राशि 816 रु. प्रति माह (27 रु. प्रतिदिन) निर्धारित की थी।
भारत सरकार द्वारा गरीबी दूर करने के लिए संचालित कार्यक्रमः भारत सरकार ने गरीबी दूर करने के लिए अनेक कार्यक्रम संचालित किए हैं जिनका विवरण निम्नवत् है:
1. सामुदायिक विकास कार्यक्रमः लोगों का विकास लोगों की सहभागिता के माध्यम से करने हेतु 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम की शुरूआत की गई।
2. महाराष्ट्र सरकार की रोजगार गारंटी योजनाः रोजगार को नागरिकों के अधिकार के रूप में स्वीकृति देते हुए सर्वप्रथम महाराष्ट्र सरकार ने रोजगार गारंटी की शुरूआत की।
3. ग्रामीण युवाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रशिक्षण (TRYSEM): 1979 में ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण द्वारा रोजगार उपलब्ध कराने के लिए यह योजना शुरू की गई थी ।
4. स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजनाः शहरी स्वरोजगार योजना और शहरी मजदूरी रोजगार योजना, SJSRY के दो विशेष घटक हैं, जिसे दिसंबर 1997 में, शहरी गरीबी उन्मूलन के लिए विभिन्न मौजूदा योजनाओं के विकल्प के तौर पर लागू किया गया। SJSRY को केंद्र और राज्यों के बीच 75:25 के आधार पर वित्त प्रदान किया जाता है।
5. स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना: 1 अप्रैल, 1999 में ग्रामीण गरीबी और बेरोजगारी दूर करने और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए यह योजना शुरू की गई थी। वर्ष 2011 में इस योजना को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के रूप में पुर्नगठित किया गया। वर्तमान में इस योजना को दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन नाम दिया गया है। इस योजना के अंतर्गत अनेक स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) बनाये जाते है तथा उन्हें बैंकों से वित्तीय मदद भी दी जाती है। इस योजना के तहत सरकार 7% ब्याज की दर पर 3 लाख रूपये तक की ऋण सुविधा प्रदान करती है। समय पर भुगतान करने पर ब्याज की दर घटकर 4% पर आ जाती है।
6. अन्त्योदय अन्न योजना (AAY): इस योजना की शुरूआत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 25 दिसम्बर, 2000 को की थी। इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रहने वाले लगभग 2 करोड़ परिवारों को बहुत ही रियायती दर पर खाद्यान्न प्रदान किया जाता है। इस योजना के तहत एक परिवार को कुल 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान किया जाता है। इस योजना के तहत 3 रूपये /किलो चावल और 2 रूपये/किलो गेंहू दिया जाता है। इस योजना के लिए गरीब परिवारों की पहचान उनके अपने राज्यों द्वारा की जाती है।
7. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनाः नरेगा विधेयक वर्ष 2005 में पारित हुआ था और यह वर्ष 2006 से प्रभावी हो गया था। यह वर्ष 2008 में नरेगा से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) बन गया। इस योजना के अन्तर्गत, पूरे देश के गाँव के लोगों के लिए 100 दिन के काम की गारंटी दी जाती है। यह एक सफल योजना रही है क्योंकि इसके कारण ग्रामीण इलाकों के गरीब लोगों के आय स्तर में वृद्धि हुई है। यह योजना लोगों की आवश्यकतानुसार उन्हें काम के अवसर प्रदान करती है। हालांकि इसमें ज्यादातर अकुशल शारीरिक श्रम शामिल है, लेकिन फिर भी यह आर्थिक रूप से गरीब लोगों के लिए कुछ सुरक्षा की सुविधाएं प्रदान करता है। इस योजना से मिलने वाली आय की मदद से गरीब लोगों को कुछ संपत्ति बनाने में मदद मिलती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थित में भी सुधार होता है। यह कार्यक्रम प्राथमिक रूप से ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया गया है।
8. प्रधानमंत्री जन धन योजनाः प्रधानमंत्री जन धन योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जन धन योजना की शुरुआत की। इस योजना की घोषणा उन्होंने 15 अगस्त 2014 को अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण में की थी। यह एक वित्तीय समावेशन कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के शुरु होने के पहले दिन ही डेढ़ करोड़ बैंक खाते खोले गए थे और हर खाता धारक को 1,00,000 रुपये का बीमा कवर दिया गया। इस योजना के अनुसार कोई भी व्यक्ति शून्य बैलेंस राशि के साथ खाता खोल सकता है।
 9. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना: गरीबी के खिलाफ लड़ाई और बेहतर रोजगार अवसर के लिए देश के लोगों खासकर युवाओं को कुशल बनाने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई। 15 जुलाई 2015 को इसकी शुरुआत करते पीएम ने कहा, ‘अगर देश के लोगों की क्षमता को समुचित और बदलते समय की आवश्यकता के अनुसार कौशल का प्रशिक्षण दे कर निखारा जाता है तो भारत के पास दुनिया को 4 से 5 करोड़ कार्यबल उपलब्ध करवाने की क्षमता होगी।’ सरकार इसके तहत देश के इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग सेंटर्स को बढ़ावा देती है, ताकि युवाओं को स्किलफुल बनाया जा सके।
10. स्टार्टअप इण्डिया कार्यक्रमः इस कार्यक्रम की शुरूआत 16 जनवरी, 2016 को की गई थी । वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय इस योजना के लिए नोडल एजेंसी है। इस योजना की शुरूआत युवाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देने और अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए देश में स्टार्टअपों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें बैंकों द्वारा वित्त पोषण को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। ‘स्टार्टअप इण्डिया’ के ग्रामीण संस्करण का नाम श्दीन दयाल उपाध्याय स्वनियोजन योजनाश् दिया गया है ।
11. स्टैंड अप इंडिया स्कीमः इसकी शुरुआत 5 अप्रैल 2016 को नोएडा के सेक्टर-62 में की गई। इस योजना के लिए प्रधानमंत्री ने एक वेब पोर्टल की शुरुआत की। इस स्कीम को लेकर भारत के उद्यमी वर्ग में खासा उत्साह है। इसका उद्देश्य नए उद्यमियों को स्थापित करने में मदद करना है। इससे देशभर में रोजगार बढ़ेगा। योजना के अंतर्गत 10 लाख रुपये से 100 लाख रुपये तक की सीमा में ऋणों के लिए अनुसूचित जाति / अनुसूचित जन जाति और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को प्रोत्साहन दिया जाएगा। 10 हजार करोड़ रुपये की शुरुआती धनराशि के साथ भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के माध्यम से फिर से वित्त सुविधा । एनसीजीटीसी के माध्यम से लोन गारंटी लिए 5000 करोड़ रुपये के कोष का निर्माण।
12. प्रधानमंत्री मुद्रा योजनाः प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरूआत 8 अप्रैल, 2015 को हुई थी। भारत सरकार द्वारा सूक्ष्म इकाइयों (MSMEs) के विकास और पुनर्वित्त से संबंधित गतिविधियों के लिए एक नई संस्था सूक्ष्म इकाई विकास एवं पुनर्वित्त एजेंसी (MUDRA) बैंक की स्थापना की गई है। पूरे देश में MUDRA बैंकों की स्थापना प्रधानमंत्री MUDRA योजना के तहत की गई है। MUDRA बैंक के तहत छोटी विनिर्माण इकाई, दुकानदार, फल एवं सब्जी विक्रेताओं और कारीगरों को उधार दिया जाएगा।
13. आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशनः आयुष्मान भारत योजना केंद्र सरकार की एक योजना है जो गरीब परिवारों के कल्याण पर केंद्रित है और उन्हें चिकित्सा लाभ प्रदान करती है। इस योजना में चल रही केंद्रीय प्रायोजित योजनाएं राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) और वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना (एससीएचआईएस) शामिल हैं। 72 वें स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर, हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की घोषणा की। 23 सितंबर 2018 को, आयुष्मान भारत योजना को अंततः प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान के रूप में शुरू किया गया था।
14. आकांक्षी जिलों के परिवर्तन का कार्यक्रमः एनआईटीआई आयोग ने “आकांक्षा जिलों में परिवर्तन” कार्यक्रम की घोषणा की जिसका लक्ष्य बुनियादी सुविधाओं, बुनियादी सुविधाओं की सुविधा, स्वास्थ्य सुविधाओं, जीवन स्तर के मानकों आदि के संदर्भ में भारत के 101 पिछड़े जिलों को तेजी से बदलना और ऊपर उठाना है। इस कार्यक्रम में फोकस के प्राथमिक क्षेत्र स्वास्थ्य हैं और पोषण, कृषि और जल संसाधन, शिक्षा, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास, और मूलभूत आधारभूत संरचना जो सरकार को यह तय करने में मदद करेगी कि इस कार्यक्रम के तहत किस जिले ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
15. राष्ट्रीय पोषण मिशन ( पोषण अभियान ): 8 मार्च, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राजस्थान के झुन्झुनू जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा “बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ” योजना के विस्तार के रूप में राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरूआत की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य 0-6 साल तक के बच्चों, किशोरावस्था की लड़कियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को समय-समय पर उचित पोषण तत्व उपलब्ध कराना है। युवा बच्चों, महिलाओं और युवा लड़कियों के बीच एनीमिया को बढ़ने से रोकना और जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं मे प्रति वर्ष कम से कम 2% की कमी लाना।
इसके अतिरिक्त भारत सरकार द्वारा गरीब दूर करने हेतु अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं जिनमें भारत निर्माण योजना, सांसद आदर्श ग्राम योजना, इंदिरा आवास योजना, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना तथा मेक इन इंडिया आदि योजनाएं प्रमुख हैं।
> निर्धनता की परिभाषा
> भारत में निर्धनता हेतु जिम्मेदार कारकों की व्याख्या
> भारत सरकार द्वारा गरीबी दूर करने के लिए संचालित विभिन्न कार्यक्रम एवं योजनाएं
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Sujeet Jha

Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *